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UP में मौसम की मार, आलू बीज में किसानों की मांग कुफरी बहार l Farmers Demand Kufri Bahar Potato Seeds Potato Cultivation

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान
(Photo Credit: Kisan Voice)
Potato Cultivation: उद्यान विभाग से आलू का बीज लेने के लिए आगरा के 600 से अधिक किसानों ने आवेदन फॉर्म जमा कराए हैं। किसानों की मांग आलू के कुफरी बहार बीज की है, जबकि जिले में एक हजार किसानों ने सरकार से आलू का बीज खरीदने के लिए फॉर्म लिए हैं। मगर, अभी जो फार्म जमा हुए हैं। उनमें से 90 फीसदी किसानों की मांग कुफरी बहार आलू बीज है। पांच अक्टूबर तक किसान सरकार से आलू का बीज खरीदने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

आगरा, उत्तर प्रदेश

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Potato Cultivation: देश के आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका है। यूपी में आलू खेती में आगरा मंडल अव्वल है। आगरा मंडल में भी आगरा जिला आलू की खेती (Potato Cultivation) के लिए जाना जाता है। जनपद आगरा के प्रत्येक विकास खंड में आलू की बंपर पैदावार होती है। मगर, इस साल बार-बार बिगड़ रहे मौसम ने किसानों को डराना शुरू कर दिया है। ऐसे में चूक हुई तो पछिताने का मौका भी नहीं मिलेगा। इसलिए आलू की प्रजाति (variety of potato) के चयन करने में किसानों की डिमांड कुफरी बहार के बीज की है। जो उत्पादन के मामले में अच्छा है। इसलिए, आलू के बीज में कुफरी बहार (Kufri Bahar Potato seeds) की डिमांड में अधिक है। उद्यान विभाग (Horticulture Department) से आलू का बीज लेने वाले किसानों में 90 फीसदी किसानों की डिमांड कुफरी बहार है। जिसने उद्यान विभाग के लिए भी संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी है।

बता दें कि उद्यान विभाग के मुताबिक आगरा में सब्जियों के राजा आलू का रकबा जनपद में 74-75 हजार हेक्टेयर है, जबकि कृषि विभाग के अनुसार ये आंकड़ा करीब 80 हजार हेक्टेयर का है। आगरा मंडल में सबसे अधिक आलू का उत्पादन (Potato production) आगरा जिले में होता है। जिले के विकास खंड खंदौली, एत्मादपुर, शमसाबाद, फतेहाबाद, बिचपुरी, बरौली अहीर में आलू उत्पादन सबसे अधिक होता है।

इस मौसम से आलू की खेती में रोग की संभावना (Potential for disease in potato cultivation this season)

बता दें कि किसानों को मौसम की मार का डर सताने लगा है। जिस तरह से बार-बार मौसम बिगड़ रहा है। उससे आलू की फसल में रोग-बीमारी आने की संभावना अधिक है। इसके साथ ही खेतों की मिट्टी में इस बार ज्यादा नमी होने की वजह से कुफरी बहार (3797) के अलावा अन्य प्रजातियों की फसल में रोग-बीमारियां आने की संभावना ज्यादा है। जिन प्रजातियों में पानी की मात्रा ज्यादा है उनके अंकुरण से लेकर कंद बनने तक रोग-बीमारी की चपेट का डर बना रहेगा।

आलू की कुफरी बहार में पानी कम (Less water in potato Kufri Bahar)

आलू किसानों का कहना है कि मौसम को देखकर इस बार सबसे ज्यादा बुवाई कुफरी बहार की करने की प्लानिंग है। आगरा की जलवायु और इस बदलते मौसम में कुफरी बहार ही एक ऐसी प्रजाति है। जिस पर किसानों को भरोसा ज्यादा है। आगरा मंडल में लंबे समय से यह प्रजाति किसान उगाते आ रहे हैं। बुवाई के दौरान खेतों में नमी और खुदाई के दौरान तापमान अधिक होने पर उसे सहन करने की क्षमता कुफरी बहार में ज्यादा है। किसानों का कहना है इसका छिलका मजबूत होता है। बीज साइज (Seed size potatoes) के आलू की बुवाई ही सबसे ज्यादा होती है। कलम करके आलू कम मात्रा में बोया जाता है। इसमें अन्य प्रजातियों के मुकाबले कम पानी होता है, जिससे मिट्टी में सड़ने का कम खतरा होता है। अंकुरण की प्रक्रिया भी ठीक होती है।

आलू की अच्छी प्रजातियां (Potential potato varieties)

हर साल की तरह इस बार भी आगरा के किसानों के लिए कुफरी बहार आलू की प्रजाति (Kufari Bahar potato variety) , ख्याति आलू की प्रजाति (Khyati potato variety) , मोहन आलू की प्रजाति (Mohan potato variety), गंगा आलू की प्रजाति (Ganga potato variety), पुखराज आलू की प्रजाति (Pukhraj potato variety), नीकंठ आलू की प्रजाति (Nilkanth potato variety), सूर्या आलू की प्रजाति (Surya potato variety) , गरिमा आलू की प्रजाति (Garima potato variety), चिपसोना आलू की प्रजाति (Chipsona potato variety) अच्छी हैं। इनकी पैदावार अच्छी है। इस साल किसानों की पहली पसंद कुफरी बहार है, जिसके लिए मारामारी रहती है। उद्यान विभाग से आगरा में लगभग एक हजार किसानों ने आवेदन फॉर्म लिये थे। अभी तक लगभग 600 किसानों ने आलू बीज की डिमांड करके आवेदन फॉर्म जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय में जमा कराए हैं।

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विभाग से ज्यादा किसानों की डिमांड (Farmers’ demand is more than the department’s)

उद्यान विभाग ने जिले के किसानों के लिए लगभग आठ हजार कुंतल आलू के बीज की डिमांड शासन से की है, जबकि किसानों के आवेदनों का आंकलन करें तो यह डिमांड उद्यान विभाग से डबल है। उन्हें ज्यादा से ज्यादा बीज विभाग से चाहिए। जनपद के किसान जिस तरह से आलू के बीज की डिमांड कर रहे हैं।उससे उद्यान विभाग के अधिकारियों पर प्रेशर बढ़ रहा है। किसानों की ओर से आलू के बीज के लिए सिफारिशों का कॉल कर रहे हैं। ज्यादातर को कुफरी बहार आलू का बीज ही चाहिए।

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मौसम ने बदल दिया किसानों का मन (weather has changed the minds of the farmers)

किसानों का कहना है कि जिस तरह से मौसम का मिजाज है। उससे तो आलू की फसल में नुकसान की संभावना (possibility of damage to the potato crop) है। कुफरी बहार ही एक ऐसी प्रजाति है, जो इस तरह के मौसम में किसानों की उम्मीदों पर खरी उतर सकती है। इसके अलावा अन्य प्रजातियां नमी वाले मौसम में गड़बड़ा सकती हैं। इसलिए कुफरी बहार की बुवाई ज्यादा करना ठीक रहेगा।

बुवाई से पहले आलू का बीज उपचारित करें (Treat potato seeds before sowing)

आगरा के बिचपुरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra Bichpuri) के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान (Senior Scientist Dr. Rajendra Singh Chauhan) बताते हैं कि किसान आलू की बुवाई में जल्दबाजी ना करें। मौसम को ध्यान में रखकर ही आलू की बुवाई करें। आलू के बीज का उपचार ठीक तरीके (Treat potato seeds properly) से करें। इस बार खेतों की मिट्टी में नमी ज्यादा रहेगी। क्योंकि, बारिश का बार-बार मौसम बन रहा है। नमी के कारण आलू की फसल में जड़ गलन जैसे रोगों का खतरा ज्यादा है। इसलिए पूरी जानकारी और समझदारी से ही आलू की बुवाई करें। बीज के उपचार में कोई लापरवाही ना बरतें।’

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जमीन में छह इंच नीचे रहती है नमी (Moisture remains six inches below the ground)

मानसून (weather) की स्थिति सही होने पर इस साल बारिश ठीक हुई है। जिससे खेतों में नमी बढ़ जाती है। आलू विशेषज्ञों की मानें तो इस साल बारिश से खेतों में नमी काफी है। किसान आलू बुवाई समय पर करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। इस साल बुवाई के बाद जमीन में नमी रहने की संभावना है। ऊपरी मिट्टी (छह इंच) सूख जाती है, लेकिन नीचे जमीन में नमी बनी रहती है। इससे कई संवेदनशील प्रजातियों के बीज साइज आलू को कलम (potato cutting) करके बोया गया है तो उसमें सड़ांध फैलने की संभावना रहती है। विभाग के अधिकारियों (Horticulture department officer) या किसी आलू के विशेषज्ञ (potato expert) से जानकारी जरूर कर लें।

उद्यान विभाग को मिलती हैं ये प्रजाति (Horticulture Department gets these variety)

यूपी सरकार हर साल किसानों को आलू का बीज देती है। प्रदेश में आलू का बीज जिलेवार आवंटित किया जाता है। बात करें आगरा की तो उसे पिछले साल लगभग 4800 कुंतल आलू का बीज मिला था। इनमें मुख्य रूप से कुफरी बहार kufri bahar (3797) , ख्याति chip Sona, चिपसोना-1, चिप्सोना-2, सूर्या Surya, केसर Kesar, मोहन Mohan, आनंद Anand, पुखराज pukhraj आदि प्रजातियां शामिल हैं।

आलू बीज के तीन साइज (Three sizes of potato seeds)

उद्यान विभाग के अधिकारी की मुताबिक, शासन की ओर से किसानों को आलू का बीज तीन रूप में जाएगा। जिसमें पहला एफ-1, दूसरा एफ-2 और तीसरा ओवर साइज होता है. आलू की अधिकतर मात्रा एफ-1 और एफ-2 साइज की बुवाई होती है। प्रदेश में किसान भी सबसे अधिक एफ-1 और एफ-2 साइज के बीज की मांग करते हैं।

सरकार दे रही किसानों को सब्सिडी (potato subsidy)

सरकार हर साल प्रदेश के आलू किसानों (potato farmer) को कम दामों पर आलू की प्रजाति का बीज मुहैया कराया जाता है। इसके साथ ही सरकार की ओर किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है। सरकार की ओर से सब्सिडी भी अच्छी खासी दी जाती है। तभी तो प्रदेश में सरकार के ओर से दिए जाने वाले आलू के बीज के लिए मारामारी होती है। उद्यान विभाग (Horticulture Department) के अधिकारियों के मुताबिक, प्रदेश में किसानों को आलू के बीज पर पिछले साल एक हजार रुपये प्रति कुंतल की सब्सिडी दी गई थी। ये सब्सिडी सभी प्रजातियों (potato varieties)पर किसानों को मिली थी।

आलू बीज की कलम करके बुवाई ना करें (Do not sow potato seeds by cutting them)

उद्यान विभाग के उप निदेशक धर्मपाल यादव बताते हैं कि किसानों को आलू की बुवाई (sowing potatoes) करने से पहले कुछ सावधानियां बेहद जरूर बरतनी चाहिए। आलू की बुवाई से पहले मिटटी की जांच जरूर कराएं। जिससे जमीन में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी होगी। इसके साथ ही ओवर साइज के आलू बीज की भी काटकर बुवाई कर सकते हैं। मगर, इसके लिए आलू के बीज को अच्छी तरह से उपचारित जरूर करें। किसानों से अपील है कि आलू बीज को कलम (potato cutting) करके बुवाई नहीं करें।

आलू की बुवाई से पहले इन बातों का ध्यान रखें (Keep these things in mind before sowing potatoes)

देश में आलू की खेती की बात करें तो दो अगेती (early) और एक पिछेती आलू की बुवाई की जाती है। देश में आलू की अगेती बुवाई 15 सितंबर से 25 सितंबर तक होती है। इसके साथ ही आलू की पछेती बुवाई 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच की जाती है। मगर, देश में तमाम किसान भाई 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच भी आलू की पछेती बुवाई भी करते हैं।

आलू की बुवाई से पहले ये बातें रखें ध्यान (Keep these things in mind before sowing potatoes)
  • आलू की बुवाई से पहले खेत की अच्छे से जुताई करके भुरभुरा बना लें।
  • खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं।
  • मिट्टी परीक्षण के आधार पर खेती में जरूरी उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
  • आलू की खेती को रोग प्रतिरोधी व अच्छी पैदावार देने वाली किस्में चुनें।
  • आलू के बीजों को बुवाई से पहले दो से तीन दिन तक धूप में जरूर रखें।
  • आलू के बीज की बुवाई के समय कतारों में 60-75 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
  • आलू की बुवाई में कतारों में बीजों के बीच 20-25 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
  • आलू की बुवाई के बाद जमीन में आलू बीज को 5-7 सेंटीमीटर गहराई में बोएं।
  • आलू की बुवाई के बाद खेत की जरूरी और नियमित रूप से सिंचाई करें।
  • आलू की कटाई तब करें जब आलू की पत्तियां पीली हो जाएं और गिरने लगें।

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