'कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत और सरकारों की सोच से देश में किसानों के उत्थान की दिशा काम हो रहा है। देश में अनुसंधान संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र पर वैज्ञानिक अपनी लगन और मेहनत से किसानों के लिए नई-नई प्रजातियों पर काम कर रहे हैं। उनकी कड़ी तपस्या से किसानों के खेतों की मिट्टी सोना उगल रही है। यूपी सरकार प्रदेश में किसानों को सरसों का मुफ्त बीज दे रही है। हर जिले में डिमांड के हिसाब से सरसों का बीज भेजा गया है। कृषि विभाग की इकाईयों पर किसानों को सरसों की पीएम-32 प्रजाति की मिनी किट (पैकेट) दी जा रही हैं। किसानों को न्यूनतम दो किलोग्राम और अधिकतम चार किलोग्राम सरसों का बीज दिया जाएगा या जा रहा है।'
आगरा, उत्तर प्रदेश
Mustard Seeds: यूपी में सरकार (Yogi Sarkar) किसानों को सरसों की अच्छी प्रजाति का बीज फ्री (Free Seeds) में दे रही है। बीज विकास निगम ने हर जिले में कृषि विभाग को सरसों के बीज की मिनी किट (पैकेट) डिमांड के हिसाब से प्रदान की हैं। प्रदेश में तहसील और ब्लाक मुख्यालय पर किसानों को सरसों के बीज का वितरण होना है। यूपी में इस बार अधिकतर जिलों में सरसों की प्रजाति पीएम-32 (PM-32) की मिनी किट वितरित की जा रही हैं। जो अच्छी क्वालिटी की सरसों की वैरायटी है। जिसकी पैदावार ही अच्छी होती है। आइए, जानते हैं सरसों की वैरायटी पीएम-32 (Mustard Variety PM-32) की बुवाई के फायदे क्या हैं
बता दें कि बारिश की वजह से यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब में सरसों की बुवाई में देरी हो रही है। सरकार की ओर से तिलहन की खेती (oilseed cultivation) को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सरसों का फ्री बीज दिया जा रहा है। यूपी सरकार की ओर से इस बार किसानों को सरसों की पीएम-32 वैरायटी की मिनी किट दी जा रही हैं। इसके लिए बीज विकास निगम की ओर से हर जिले में डिमांड के हिसाब से सरसों की वैरायटी की मिनी किट (पैकेट) भेजी हैं।
दो और चार किलोग्राम की मिनी किट (Mini kits of two and four kg)
आगरा के जिला कृषि अधिकारी ने विनोद कुमार सिंह ने बताया कि जिले में सरसों की बीज पीएम-32 की 36,800 मिनी किट आईं हैं। जिन्हें वितरित किया जा रहा है। किसानों को सरसों बीज पीएम-32 की दो किलोग्राम और चार किलोग्राम की मिनी किट दी जा रही हैं। ये मिनी किट बीज विकास बोर्ड ने जिले में प्रदान की हैं। मुजफ्फरनगर के जिला कृषि अधिकारी राहुल सिंह तेवतिया ने बताया कि सरसों बीज की मिनी किट का वितरण सोमवार से शुरू होगा। गोदामों से केवल उन्हीं किसानों को बीज दिया जाएगा। जिनका विभाग में पंजीकरण हुआ हैं। ऐसे में किसान तत्काल अपना पंजीकरण करा लें। सरसों के बीज का वितरण पॉश मशीन से होगा। इसलिए, किसान अपना आधार कार्ड, रजिस्ट्रेशन नंबर और जिस मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन किया है। उसे जरूर लेकर आएं।
आगरा रीजन की जलवायु में सरसों PM-32 की होगी बंपर पैदावार (In the climate of Agra region, mustard PM-32 will have bumper yield)
कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी (आगरा) के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि आगरा में लगभग 50 हजार हेक्टेयर रकबा में सरसों की फसल की बुवाई होती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली (Indian Agricultural Research Institute Pusa) की सरसों की वैरायटी PM-32 यहां की जलवायु के लिए उपयोगी है। सरकार की ओर से इसलिए सरसों की PM-32 वैरायटी के बीज की मिनी किट फ्री में किसानों को दी जा रही है। सरसों की PM-32 प्रजाति 140-150 दिनों की है। इसमें 38 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। PM-32 प्रजाति में सबसे कम इरुसिक एसिड पाया जाता है। इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ये प्रजाति बहुत अच्छी है।
सरसों की वैरायटी पीएम-32 में तेल की मात्रा अधिक (Mustard variety PM-32 has more oil content)
जिला कृषि अधिकारी ने विनोद कुमार सिंह ने बताया कि आगरा जिले में किसानों को सरसों की पूसा मस्टर्ड-32 किस्म का बीज दिया जा रहा है। जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था पूसा, नई दिल्ली ने विकसित की है। जो आगरा रीजन के लिए सरसों की अच्छी किस्म है। इसमें सफेद रतुआ रोग लगने की संभावना बेहद कम है। जिससे ही सरसों की पीएम 32 किस्म की अच्छी पैदावार होती है। इससे 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन लिया जा सकता है। पीएम-32 के गुणों की वजह से इसे बोने वाले किसानों को फायदा होगा।
सरसों की पीएम-32 प्रजाति की खासियत (Specialty of PM-32 variety of mustard)
आगरा के उपनिदेशक कृषि पुरुषोत्तम कुमार मिश्रा ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था पूसा, नई दिल्ली ने सरसों की पीएम-32 प्रजाति विकसित की है। सरसों की इस प्रजाति की फसल 140- 150 दिन में तैयार हो जाती है। इस प्रजाति में 38 प्रतिशत तेल निकलता है। सरसों की पीएम-32 प्रजाति की औसत पैदावार 25.10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रहती है। इसमें इरुसिक एसिड की मात्रा 1.32 प्रतिशत रहती है, जबकि सरसों की दूसरी सामान्य प्रजातियों में इरुसिक एसिड 40 प्रतिशत से ऊपर तक होता है। इरुसिक एसिड ही शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है। ये काली सरसों में है, जो कोलेस्ट्रॉल फ्री है।
पीएम-32 किस्म की ये भी विशेषताएं (These are also the features of PM-32 variety)
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था (IARI) पूसा ने 2021 में सरसों की पूसा मस्टर्ड-32 पीएम 32 किस्म विकसित की थी। ये सरसों की पहली एकल शून्य किस्म है। जिसमें सफेद रतुआ रोग लगने की संभावना बेहद कम है। इसकी वजह से सरसों की इस किस्म की पैदावार अच्छी है। इस किस्म में एक फली में करीब 17 से 18 सरसों के दाने पाए जाते हैं। इससे प्रति हैक्टेयर 25 क्विंटल तक पैदावार भी हो सकती है।
पूसा मस्टर्ड-32 पीएम 32 के लाभ (Benefits of Pusa Mustard-32 PM 32)
- पूसा मस्टर्ड-32 किस्म में इरुसिक एसिड की मात्रा बहुत कम होने से इसका तेल उपयोग करने से हृदय रोग का खतरा कम रहता है।
- पीएम 32 के बीज से निकलने वाले तेल में झाग कम बनता है. जिससे ही ये तेल बेहतर क्वालिटी का होता है।
- पीएम 32 किस्म से किसान का 10 क्विंटल तक अधिक उत्पादन बढ़ेगा। जिससे किसानों का लाभ भी बढ़ जाएगा।
- पीएम 32 किस्म से किसानों को प्रति हैक्टेयर करीब 1.16 लाख रुपए की कमाई हो सकती है।
- पीएम 32 में ग्लूकोसिनोलेट की मात्रा बहुत कम है। यदि मात्रा में देखें तो 30 माइक्रोमोल से भी कम है। जबकि सामान्य सरसों में इसकी मात्रा 120 माइक्रोमोल होती है।
सरसों की ये भी किस्में हैं बेहतर (varieties of mustard are also better)
सरसों की पूसा मस्टर्ड-32 किस्म के अलावा सरसों की कई किस्में और भी हैं। जो किसानों को अच्छा उत्पादन दे रही हैं। इनमें से कुछ प्रमुख सरसों की किस्में हैं। जो ये हैं।
पूसा सरसों 28 किस्म (Pusa Mustard 28 variety): सरसों की पूसा सरसों 28 किस्म भी काफी अच्छी किस्म है। जो 105 दिन में पककर तैयार हो जाती है। पूसा सरसों 28 किस्म से 17 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसमें तेल की मात्रा 21 प्रतिशत तक है। ये किस्म हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के लिए अच्छी है।
पूसा मस्टर्ड-21 किस्म (Pusa Mustard-21 variety): सरसों की पूसा मस्टर्ड-21 किस्म की बुवाई सिंचित क्षेत्रों में अधिक होती है। ये किस्म 137 से 152 दिनों में पककर तैयार होती है। पूसा मस्टर्ड-21 में तेल की मात्रा 37 प्रतिशत होती है। सरसों की पूसा मस्टर्ड पूसा मस्टर्ड-21 से करीब 18 से 21 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उत्पादन मिल जाता है। ये किस्म पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त है।
पूसा बोल्ड किस्म (Pusa Bold variety): सरसों की पूसा बोल्ड किस्म की फलियां मोटी होती हैं। ये किस्म 130 से 140 दिन में पक कर तैयार होती है। इस सरसों के एक हजार दानों का वजन करीब 6 ग्राम होता है। इसमें 20 से 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार होती है। इसमें तेल की मात्रा सबसे अधिक 42 प्रतिशत तक होती है। सरसों की पूसा बोल्ड किस्म की बात करें तो ये किस्म राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, एनसीआर और महाराष्ट्र प्रदेश में बेहतर पैदावार देती है।
पूसा जय किसान (बायो-902) Pusa Jai Kisan (Bio-902): सरसों की ये किस्म सिचिंत क्षेत्रों में अधिक पैदावार देती है। ये किस्म 130 से 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। सरसों की इस किस्म विल्ट, तुलासिता और सफेद रोली रोग को सहने में समक्ष है। इसकी वजह से इसमें ये रोग बेहद प्रकोप कम करते हैं। सरसों की पूसा जय किसान (बायो-902) किस्म से 18 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार मिल सकती है। इसमें तेल की मात्रा करीब 38 से 40 प्रतिशत तक होती है।
सरसों का एमएसपी/ सरसों का मंडी भाव (Pusa Jai Kisan (Bio-902): केंद्र सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल जारी की थी। सरकार ने सरसों का 2023-24 के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य में 400 रुपए की बढ़ाकर एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल किया था। जबकि इस समय मंडियों में सरसों के भाव अलग-अलग चल रहे हैं।
यूं करें सरसों की बुवाई से पहले खेत की तैयारी (prepare the field before sowing mustard)
- खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।
- खेत की अंतिम जुताई के समय देसी खाद डालकर मिलाएं।
- खेत की जुताई और पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें।
- खेत में पानी का जमाव न हो। इसका इंतजाम करें।
- खेत में खरपतवार नियंत्रण के लिए उचित इंतजाम करें।
- दीमक की समस्या होने पर बुवाई से पहले एन्डोसल्फ़ॉन 4% या क्यूनालफ़ॉस 1.5% कीटनाशक पाउडर की 25 किलोग्राम मात्रा प्रति हैक्टेयर के हिसाब से खेत की भूमि में मिलाएं।
सरसों की बुवाई का सही समय (Right time for sowing mustard)
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब में सरसों की बुवाई का उचित समय सरसों की किस्म के हिसाब से सितंबर मध्य से लेकर अक्टूबर अंत तक का होता है। कहें तो सरसों की बुवाई 25 सितंबर से 15 अक्टूबर और सिंचित क्षेत्रों में 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच करनी चाहिए।
Q: सरसों की बुवाई के लिए खेत कैसे तैयार करें ? (How to prepare the field for sowing mustard?)
A: सरसों की खेती (sarson ki fasal) के लिए भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है। सबसे पहले खेत की अच्छी जुताई करें। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से जोतना चाहिए। इसके बाद दो से तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर की से करें। जुताई करने के बाद खेत में नमी बनाए रखने और समतलता बनाए रखने के लिए पाटा लगाएं।
Q: सरसों की बुवाई में कितनी खाद (fertilizer) डालें ?
A: जिन क्षेत्रों में सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है। वहां पर सरसों की बुवाई से पहले अच्छी सडी हुई गोबर या कम्पोस्ट खाद 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अथवा केचुंआ की खाद 25 क्विंटल/प्रति हेक्टेयर बुवाई के पूर्व खेत में डालकर जुताई करें।
Q: सरसों का बीज (mustard seed) कितने दिन में अंकुरित हो जाता है?
A: सरसों की बुवाई के बाद यदि मौसम सही रहता है तो सरसों के बीज 4 से 14 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं।
Nice; information to mustard crop
किसान शिक्षको दिल सैल्यूट