Mustard Seeds: रबी का सीजन (Rabi season) चल रहा है। इस सीजन में अक्टूबर माह सरसों की बुवाई के लिए सबसे अच्छा है। ये खबर सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए है। यदि आप भी सरसों की खेती करना चाहते हैं। खेत की तैयारी के बाद सबसे बड़ा काम सरसों के बीज की सही किस्म का चयन करना होता है। सरसों की अच्छी किस्म का चुनाव किया तो फसल की पैदावार अच्छी होगी। जिससे किसानों को मुनाफा होगा। जानिए, सरसों की ऐसी ही 10 सरसों की किस्में बताने जा रहे हैं। जो अच्छी पैदावार देगी। जिससे किसान 100 दिन की सरसों की फसल से मालामाल हो जाएंगे।
Mustard Seeds: रबी सीजन में एक अहम फसल सरसों (mustard) की है, जो एक प्रमुख तिलहन की फसल है। सरसों की खेती किसान खूब करते हैं। सरसों की खेती (Mustard cultivation) कम सिंचाई और कम लागत में अच्छे मुनाफे वाली होती है। इस साल सरसों की डिमांड भी अधिक है।इसके साथ ही सरसों का भाव भी अच्छा है। क्योंकि सरसों तेल के फायदे अधिक होने की वजह से बाजार में सरसों की डिमांड खूब है। देश की अर्थव्यवस्था (country’s economy) में सरसों की खेती का महत्वपूर्ण स्थान है। दुनिया की बात करें तो सरसों उत्पादन और क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो चीन (China) और कनाडा (Canada) के बाद भारत का स्थान आता है। इस समय देश में किसान सरसों की बुवाई की तैयारी में लगे हैं। इस आर्टिकल में KisanVoice Team ने सरसों की 10 उन्नत किस्मों के बारे में बताने जा रही है। जिनसे 100 दिनों में सरसों की बंपर पैदावार मिलेगी। जो किसानों को मालामाल कर देंगीं। आइए, सरसों की 10 ऐसी उन्नतशील किस्मों से पैदावार, उनमें तेल का प्रतिशत समेत अन्य खूबियां जानते हैं।
सरसों की इन 10 उन्नत किस्मों की करें बुवाई (10 improved varieties of mustard)
यूपी (Uttar Pradesh), राजस्थान (Rajasthan), हरियाणा (Haryana), पंजाब (Punjab), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और अन्य राज्यों में किसान अभी सरसों की बुवाई की तैयारी में लगे हैं। जिसके लिए खेतों की तैयारी के साथ ही सरसों की बुवाई में किसान जुट चुके हैं। अक्टूबर माह में यदि आप भी सरसों की बुवाई करना चाहते हैं तो ये काम जल्दी करें। ये काम है सरसों की अच्छी उन्नत किस्म (improved variety of mustard) का बुवाई के लिए चयन करना है। जो अच्छी पैदावार से किसानों को मालामाल कर देगी।
आगरा रीजन की जलवायु में सरसों PM-32 की होगी बंपर पैदावार (In the climate of Agra region, mustard PM-32 will have bumper yield)
आगरा के बिचपुरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि आगरा में लगभग 50 हजार हेक्टेयर रकबा में सरसों की फसल की बुवाई होती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली (Indian Agricultural Research Institute Pusa) की सरसों की वैरायटी PM-32 यहां की जलवायु के लिए उपयोगी है। सरकार ने इसलिए सरसों की PM-32 वैरायटी के बीज की मिनी किट जिले में फ्री किसानों को दे रही है। सरसों की PM-32 प्रजाति 140-150 दिनों की है। इसमें 38 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। PM-32 प्रजाति में सबसे कम इरुसिक एसिड पाया जाता है। इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ये प्रजाति बहुत अच्छी है।
आगरा में दो और चार किलोग्राम की मिनी किट (Mini kits of two and four kg)
आगरा के जिला कृषि अधिकारी ने विनोद कुमार सिंह ने बताया कि सरकार ने जिले में सरसों की बीज पीएम-32 की 36,800 मिनी किट भेजी हैं, जिन्हें वितरित किया जा रहा है। किसानों को सरसों बीज पीएम-32 की दो किलोग्राम और चार किलोग्राम की मिनी किट दी जा रही हैं। ये मिनी किट बीज विकास बोर्ड ने जिले में प्रदान की हैं।
सरसों की पीएम-32 प्रजाति (Specialty of PM-32 variety of mustard):
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था पूसा, नई दिल्ली ने सरसों की पीएम-32 प्रजाति विकसित की है। सरसों की इस प्रजाति की फसल 140- 150 दिन में तैयार हो जाती है। इस प्रजाति में 38 प्रतिशत तेल निकलता है। सरसों की पीएम-32 प्रजाति की औसत पैदावार 25.10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रहती है। इसमें इरुसिक एसिड की मात्रा 1.32 प्रतिशत रहती है, जबकि सरसों की दूसरी सामान्य प्रजातियों में इरुसिक एसिड 40 प्रतिशत से ऊपर तक होता है। इरुसिक एसिड ही शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है। ये काली सरसों में है, जो कोलेस्ट्रॉल फ्री है।
सरसों की आरएच 725 किस्म (RH 725 variety of mustard): सरसों की ये उन्नत किस्म चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) ने विकसित की है। ये किस्म 136 से 143 दिनों में तैयार होती है। सरसों की इस किस्म में फलियां लंबी होती हैं। सरसों की फलियों में दानों की संख्या 17 से 18 तक होती है। इसके साथ ही सरसों का दाने का आकार भी मोटा होता है। जिसकी वजह से सरसों की इस किस्म से 25-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार मिलती है। इसमें 40 प्रतिशत तेल होता है।
सरसों की RH-761 किस्म (RH-761 variety of mustard): सरसों की ये किस्म 136 से 145 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इसमें कम सिंचाई की जरूरत होती है। सरसों की इस किस्म में पाले सहने की क्षमता होती है। इस किस्म में किसानों को 25-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार होती है। इस किस्म में 45 से 55 दिन में फूल आने लगते हैं।
आरएच 30 किस्म (RH 30 variety): सरसों की ये किस्म 130 से 135 दिनों में पककर तैयार होती है। अगर इस सरसों की किस्म की बुवाई 15 से 20 अक्टूबर तक कर दी जाए तो इससे 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार मिल जाती है। ये किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों में बुवाई के लिए सबसे बेहतर होती है। इस किस्म तेल की मात्रा लगभग 39 प्रतिशत तक होती है।
राज विजय सरसों-2 किस्म (Raj Vijay Mustard-2 variety) : सरसों की ये किस्म फसल 120 से 130 दिनों में तैयार होती है। इसकी बुवाई भी अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में करने से 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार हो जाती है। इस किस्म में तेल की मात्रा 37 से 40 प्रतिशत तक होती है. सरसों की ये किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के जिलों में बुवाई और अच्छी पैदावार के लिए बेहतर है।
पूसा बोल्ड सरसों किस्म (Pusa Bold Mustard Variety): सरसों की ये किस्म 130 से 140 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म से 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार हो सकती है। इसमें तेल की मात्रा लगभग 42 प्रतिशत तक होती है। सरसों की ये किस्म राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र के इलाकों में बुवाई के लिए सबसे अच्छी है।
पूसा मस्टर्ड-21 किस्म (Pusa Mustard-21 variety): सरसों की पूसा मस्टर्ड-21 किस्म की बुवाई सिंचित क्षेत्रों में अधिक होती है। ये किस्म 137 से 152 दिनों में पककर तैयार होती है। पूसा मस्टर्ड-21 में तेल की मात्रा 37 प्रतिशत होती है। सरसों की पूसा मस्टर्ड पूसा मस्टर्ड-21 से करीब 18 से 21 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उत्पादन मिल जाता है। ये किस्म पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त है।
पूसा सरसों 28 (Pusa Mustard 28): सरसों की पूसा सरसों 28 किस्म की फसल 105 से 110 दिनों के पश्चात कटाई के लिए पक कर तैयार हो जाती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की विकसित सरसों की नवीनतम किस्म है। जिससे 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार हो सकती है। इसमें तेल की मात्रा 21 प्रतिशत तक तेल की होती है। मिट्टी और जलवायु के मुताबिक, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में पूसा सरसों 28 किस्म की खेती की जाती है।
पूसा जय किसान (बायो-902) Pusa Jai Kisan (Bio-902): सरसों की ये किस्म सिचिंत क्षेत्रों में अधिक पैदावार देती है। ये किस्म 130 से 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। सरसों की इस किस्म विल्ट, तुलासिता और सफेद रोली रोग को सहने में समक्ष है। इसकी वजह से इसमें ये रोग बेहद प्रकोप कम करते हैं। सरसों की पूसा जय किसान (बायो-902) किस्म से 18 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार मिल सकती है। इसमें तेल की मात्रा करीब 38 से 40 प्रतिशत तक होती है।
सरसों की पूसा डबल जीरो-31 किस्म (Pusa Double Zero-31 variety of mustard): सरसों की किस्म पूसा डबल जीरो-31 की फसल 144 दिन में पककर तैयार हो जाती है। ये पीले बीज वाली सरसों की उन्नत किस्म है। जो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने विकसित किया है। जिसमें तेल की मात्रा 40.56 प्रतिशत होती है। इसमें एरुसिक एसिड की मात्रा 2 प्रतिशत से कम होती है, और ग्लूसाइनोलेट्स 30 पीपीएम से कम होता है। इसलिए, तेल व बीज आहार की क्वालिटी अच्छी होती है। सरसों की यह किस्म दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों के आसपास के क्षेत्रों के लिए सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त है है। सरसों की पूसा डबल जीरो-31 किस्म से औसत बीज उपज 2379 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर है। .
यूं करें सरसों की बुवाई से पहले खेत की तैयारी (prepare the field before sowing mustard)
खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।
खेत की अंतिम जुताई के समय देसी खाद डालकर मिलाएं।
खेत की जुताई और पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें।
खेत में पानी का जमाव न हो। इसका इंतजाम करें।
खेत में खरपतवार नियंत्रण के लिए उचित इंतजाम करें।
दीमक की समस्या होने पर बुवाई से पहले एन्डोसल्फ़ॉन 4% या क्यूनालफ़ॉस 1.5% कीटनाशक पाउडर की 25 किलोग्राम मात्रा प्रति हैक्टेयर के हिसाब से खेत की भूमि में मिलाएं।
सरसों की बुवाई का सही समय (Right time for sowing mustard)
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब में सरसों की बुवाई का उचित समय सरसों की किस्म के हिसाब से सितंबर मध्य से लेकर अक्टूबर अंत तक का होता है। कहें तो सरसों की बुवाई 25 सितंबर से 15 अक्टूबर और सिंचित क्षेत्रों में 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच करनी चाहिए।
Q: सरसों की बुवाई के लिए खेत कैसे तैयार करें ? (How to prepare the field for sowing mustard?)
A: सरसों की खेती (sarson ki fasal) के लिए भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है। सबसे पहले खेत की अच्छी जुताई करें। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से जोतना चाहिए। इसके बाद दो से तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर की से करें। जुताई करने के बाद खेत में नमी बनाए रखने और समतलता बनाए रखने के लिए पाटा लगाएं।
Q: सरसों की बुवाई में कितनी खाद (fertilizer) डालें ?
A: जिन क्षेत्रों में सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है। वहां पर सरसों की बुवाई से पहले अच्छी सडी हुई गोबर या कम्पोस्ट खाद 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अथवा केचुंआ की खाद 25 क्विंटल/प्रति हेक्टेयर बुवाई के पूर्व खेत में डालकर जुताई करें।
Q: सरसों का बीज (mustard seed) कितने दिन में अंकुरित हो जाता है?
A: सरसों की बुवाई के बाद यदि मौसम सही रहता है तो सरसों के बीज 4 से 14 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं।
Leave a comment