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Top Wheat Variety: किसान को राजा बना रही गेहूं की ये किस्म, पैदावार इतनी की बाकी सब भूल जाएंगे; Karan Aditya DBW 332 #kisanvoice.in

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Top Wheat Variety: गेंहू की प्रजाति करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 से किसान मालामाल हो रहे हैं। गेंहू की प्रजाति करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की पैदावार की बात करें तो 83 प्रति क्विंटल तक होती है। इस प्रजाति के गेंहू की बुवाई से पहले बीज को उपचारित करें। करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 को कंडुवा रोग से बचाने के लिए गेंहू बीज को उपचारित करें। गेंहू की इस किस्म में सामान्यत: पांच से छह सिंचाई की जरूरत होती हैं।

Top Wheat Variety: देश में रबी सीजन की (Rabi Season’s) फसलों (Crops) की बुवाई का काम तेजी से चल रहा है। इस समय किसान (Farmer) अपने खेतों में सब्जी (Vegetables) से लेकर खाद्यान्न फसलों (Food Crops) तक की बुवाई की तैयारी में जुटे हैं। रबी की फसलों में खास गेहूं की फसल होती है। इस समय देशभर में किसान गेहूं की बुवाई (Sowing Wheat) की तैयारी में लगे हैं। आज हम आपको गेहूं की एक ऐसी प्रजाति के बारे में बता रहे हैं। जिसकी बुवाई से किसान मालामाल हो जाएंगे। इस गेंहू की प्रजाति की पैदावार अच्छी है। ये गेंहू की प्रजाति (Top Wheat Variety) तमाम बीमारियों से लड़ने में सक्षम है। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल (Indian Wheat and Barley Research Institute, Karnal) की विकसित प्रजाति करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 (Karan Aditya DBW 332) की। आइए जानते हैं…

Top Wheat Variety: 83 क्विंटल तक हो सकता है उत्पादन ( Production can be up to 83 quintals)

जी हां, हम आज किसान भाईयों को गेहूं की किस्म के बारे में बात रहे हैं।गेंहू की ये किस्म (Top Wheat Variety) करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 (Karan Aditya DBW 332) है। जो भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने विकसित की है। ये गेहूं की अगेती किस्म है। जिससे अधिकतम उपज 83 क्विंटल प्रति हैक्टेयर मिल सकती है। यदि हम गेंहू की (Top 5 Wheat Variety) प्रजाति एचडी 2967 और एचडी 3086 की पैदावार से अधिक है। गेंहू की किस्म करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की पैदावार गेंहू की किस्म एचडी 2967 से 31.3 प्रतिशत अधिक और एचडी 3086 से 12 प्रतिशत अधिक है।

DBW 332 wheat Variety details in hindi
(Photo Credit: Kisan Voice)

करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की खासियत (Specialties of Karan Aditya DBW 332)

गेंहू की किस्म करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की फसल में पौधों की ऊंचाई औसतन 97 सेमी होती है। इसके एक हजार दानों का वजन करीब 46 ग्राम होता है। इस किस्म की पैदावार की अच्छी स्थिरता पाई गई है। इसमें अधिक उर्वरकों (Fertilizers) और वृद्धि नियंत्रकों के इस्तेमाल से अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। गेंहू की किस्म (Top Wheat Variety) करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की फसल में औसतन 101 दिन में बाली निकलने लगती है। ये गेंहू की किस्म करीब 156 दिन में पककर तैयार हो जाती है। गेहूं की यह किस्म पीला और भूरा रतुआ की सभी प्रमुख रोग जनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधी पाई गई है। गेंहू की इस किस्म की करनाल बंट रोग के प्रति अन्य किस्मों की तुलना में अधिक रोग प्रतिरोधकता पाई गई है।

करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 में प्रोटीन और आयरन की भरमार (Karan Aditya DBW 332 is full of protein and iron)

गेंहू की किस्म करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 में पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें उच्च प्रोटीन (12.2 प्रतिशत) और उच्च आयरन (39.2 PPM) होता है। यही वजह है कि गेहूं से बनने वाले कई प्रकार के उत्पादों को लिए बहुत उपयुक्त पाई गई है।

Top Wheat Variety
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इन राज्यों के किसान के लिए ये शानदार (This is great for the farmers of these states)

गेंहू की किस्म करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की बात करें तो इसकी खेती भारत के उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्र सबसे अधिक अच्छे हैं। क्योंकि, इस गेंहू की किस्म में अधिक सिंचाई की जरूरत होती है। इस​लिए, सिंचाई के साथ ही अगेती बुवाई के लिए इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर) और उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिले), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के किसान कर सकते हैं। इन जिलों में सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है। जिससे किसानों को भरपूर पैदावार होती है।

 Top 5 variety of wheat
(Photo Credit: Kisan Voice)

करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 बुवाई का समय (Karan Aditya DBW 332 sowing time)

गेंहू की किस्म करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 से अधिक पैदावार लेने के लिए इसकी बुवाई का समय 20 अक्तूबर से पांच नवंबर तक बेहतर है। इस किस्म की बुवाई के लिए 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर जरूरत होती है। बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए। करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 को कंडुवा रोग से बचाने के लिए बीज को उपचारित करें। इसमें पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए। इसके बाद 20 से 25 दिन के अंतराल में सामान्यत: पांच से छह सिंचाई ​करनी चाहिए।

मिट्टी परीक्षण कराकर उपयोग करें उर्वरक (Use fertilizers after getting the soil tested)

गेंहू की किस्म करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की बुवाई से पहले किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच कराएं। मिट्टी की जांच के आधार पर बुवाई के समय उर्वरकों का उपयोग करें। जिससे जहां पौधों को जरूरत के हिसाब से जरूरी पोषक तत्व मिलेंगे। जिससे पौधे अच्छी ग्रोथ करेंगे. लागत भी कम आएगी। उच्च उर्वरकता वाली भूमि के लिए नाइट्रोजन 150, फास्फोरस 60 और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर उपयोग करना चाहिए।

इसमें फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा का भाग बिजाई के समय तथा नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा का भाग पहली सिंचाई के बाद तथा शेष मात्रा दूसरी सिंचाई के बाद देनी चाहिए। किस्म की पूर्णक्षमता को प्राप्त करने के लिए 150 प्रतिशत एनपीके और वृद्धि नियंत्रकों के साथ 15 टन प्रति हैक्टेयर देसी खाद का प्रयोग करना चाहिए।

Ans: करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 किस्म की बुवाई का सही समय बेहतर पैदावार के लिए 20 अक्टूबर से 5 नवंबर तक का है। इस किस्म की बुवाई के लिए 100 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त है। बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी 20 सेमी रखें। बुवाई के 20 से 25 दिन बाद इसमें पहली सिंचाई करनी चाहिए। गेंहू की इस किस्म में सामान्यत: 5 से 6 सिंचाई की जरूरत में फसल कर तैयार हो जाती है।

Ans: करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 किस्म (DBW-322) गेहूं की यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में अगेती बुआई के लिए सही है। इसमें अधिकतम 83 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त की जा सकती है। अच्छी पैदावार के लिए गेंहू की इस किस्म में 20 से 25 दिन के अंतराल में जरूरत के मुताबिक सिंचाई करनी चाहिए।

Ans: देश में गेंहू की प्रीमियम (Premium) किस्म शरबती (Sharbati) है। जो शरबती गेहूं की खेती मध्य प्रदेश के सीहोर ज़िले में सबसे ज़्यादा होती है। इसलिए, इसे एमपी गेंहू भी कहते हैं। शरबती गेंहू सुनहरे रंग का होता है। इसलिए, शरबती गेहूं को ‘द गोल्डन ग्रेन’ भी कहते हैं। शरबती गेहूं की खासियत है कि ये स्वाद मीठा होता है। इसकी रोटियां लंबे समय तक ताज़ी रहती हैं। इसमें पोटाश की मात्रा ज़्यादा है। इसकी वजह से इसके दाने वज़नदार होते हैं। शरबती गेंहू में सबसे ज़्यादा पोषक तत्व होते हैं। इसमें मैग्नीशियम, सेलेनियम, कैल्शियम, ज़िंक और मल्टी विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं।

Ans: रबी सीजन में गेंहू की बुवाई की तैयारी में किसान लगे हैं। गेंहू की बुवाई के लिए किसान खेत तैयार कर रहे हैं। गेंंहू की बुवाई से पहले मृदा की जांच कराकर ही उर्वरक का उपयोग करना चाहिए। खेत की तैयारी के समय ही आखिरी जुताई के समय किसानों को देशी खाद का प्रयोग करना चाहिए। गेंहू की बुवाई से पहले गोबर की खाद के साथ ही नाइट्रोजन, डीएपी और पोटाश की जरूरी मात्रा का उपयोग करना चाहिए।

Ans: पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिनों के बाद इस समय मुख्य जड़ बनती है। दूसरी सिंचाई कल्लों के विकास के समय जो कि बुवाई के 40-45 दिनों बाद होती है। तीसरी सिंचाई बुवाई के 65-70 दिनों बाद तने में गांठ पड़ते समय, चौथी सिंचाई बुवाई के 90-95 दिनों बाद फूल आते समय करनी चाहिए।

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