Top 5 Wheat Variety: देश में किसान अभी रबी सीजन की फसलों की तैयारी में लगे हैं। रबी सीजन की अहम फसल गेंहू है। जिसकी बुवाई की तैयारी में किसान जुटे हुए हैं। Kisan Voice Team ने गेंहू की किस्म को लेकर कृषि वैज्ञानिक और उन्नतशील किसानों से बात की. जिससे ही बंपर पैदावार की गेंहू की पांच किस्में इस आर्टिकल में बताई जा रही हैं. गेहूं की ये किस्में कम सिंचाई, कम लागत में बंपर पैदावार देती हैं। आइए, गेहूं की पांच बेहतरीन किस्मों के बारे में जानते हैं, जो बंपर पैदावार से किसानों को मालामार कर रही है।
Top 5 Wheat Variety: रबी सीजन (Rabi Season 2024) की फसलों में गेहूं की खेती सबसे ऊपर आती है, जो प्रमुख खाद्यान्न फसल है। गेंहू भारत ही नहीं, हर देश की रसोई की जररूत है। भारतीय गेहूं (Indian Wheat) की देश के साथ ही दुनिया के तमाम देशों में डिमांड रहती है। इसलिए, देश के किसानों के ऊपर भी अच्छी क्वालिटी और बंपर पैदावार वाले गेंहू की खेती करनी चाहिए। इसको लेकर हमारे देश के कृषि वैज्ञानिकों भी गेहूं की उन्नत किस्में विकसित की हैं। जो कम समय और कम खर्च में ही अच्छी क्वालिटी के गेंहू की बंपर पैदावार होती है। आने वाला समय ही गेंहू की बुवाई का है। गेंहू की हम पांच उन्नत और बपंर पैदावार वाली किस्में बता रहे हैं। इस बारे में आगरा के बिचपुरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि, गेंहू की फसल में अच्छी पैदावार लेने के लिए बीज का चयन सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, किसान जिस बीज की बुवाई करने जा रहे हैं। उसके बारे में पूरी जानकारी कर लें। आइए,गेहूं की उन बेहतरीन किस्मों के बारे में जानते हैं. जो बंपर पैदावार से किसानों को मालामाल कर देती है।
1. पूसा तेजस गेंहू की किस्म (Pusa Tejas Wheat)
इंदौर कृषि अनुसंधान केन्द्र ने सन 2016 में पूसा तेजस (Pusa Tejas Wheat) गेहूं विकसित की थी। जो मध्य प्रदेश के साथ ही यूपी, पंजाब, हरियाणा और अन्य प्रदेश में इसकी खेती खूब होती है। पूसी तेजस गेहूं का वैज्ञानिक नाम HI-8759 है। जो रोटी और बेकरी उत्पादों (Bakery Wheat) के साथ-साथ ही नूडल, पास्ता और मैक्रोनी जैसे उत्पादों को बनाने के लिये सबसे उपयु्क्त रहती है।
पूसा तेजस गेंहू में पोषक तत्व: पूसा तेजस (Pusa Tejas Wheat) गेहूं किस्म उन्नत प्रजाति है। जिसमें आयरन, प्रोटीन, विटामिन-ए और जिंक जैसे पोषक तत्व की भरमार है।
पूसा तेजस गेंहू में रोग नहीं होते : पूसा तेजस (Pusa Tejas Wheat) गेहूं किस्म उन्नत में गेरुआ रोग, करनाल बंट रोग और खिरने की संभावना भी नहीं होती है। पूसा तेजस गेहूं की फसल में पत्तियां चौड़ी, मध्यमवर्गीय, चिकनी और सीधी होती है। किसानों जोखिम में भी रिकॉर्ड उत्पादन दे सकती है।
बुवाई का समय और बीजदर : पूसा तेजस (Pusa Tejas Wheat) गेहूं की बुवाई का सही समय 10 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक का रहता है। इस गेंहू की प्रति एकड़ 50 से 55 किलोग्राम बीज और प्रति हेक्टेयर 120 से 125 किलोग्राम प्रति बीघा के हिसाब से बुवाई की जाती है। Pusa Tejas Wheat में कल्लो की संख्या भी ज्यादा रहती है। ये पूसा तेजस गेहूं के पौधे में 10 से 12 कल्ले निकलते हैं।
पूसा तेजस से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार (Pusa Tejas Wheat Production)
पूसा तेजस (Pusa Tejas) गेहूं की फसल सिर्फ 3 से 5 सिंचाईयों की जरूरत होगी। जिससे मिट्टी में सिर्फ नमी बनाये रखकर भी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। गेहूं फसल की समय-समय पर निगरानी, खरपतवार प्रबंधन, निराई-गुड़ाई, कीट नियंत्रण और रोग प्रबंधन आदि प्रबंधन कार्य भी करते रहना चाहिये। गेहूं की पूसा तेजस किस्म से बुवाई के 115 से 125 दिन में तैयार हो हाती है। इसमें 65 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार (Pusa Tejas Wheat Production) होती है। पूसा तेजस गेहूं के एक हजार दानों का वजन ही 50 से 60 ग्राम होता है। जो कड़क और चमकदार होता है। यदि खेत या फसल में कभी कण्डवा रोग का इतिहास रहा हो, तब भी बीजो को 1 ग्राम टेबुकोनाजोल या पीएसबी कल्चर 5 ग्राम से प्रतिकिलो बीजों को उपचारित (Seed Treatment) कर लेना चाहिये। गेहूं की बुवाई का समय बचाने के लिये सीडड्रिल मशीन (Seed Drill Machine) का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे लाइनों के बीच 18 से 20 सेमी और 5 सेमी. गहराई में बीजों की बुवाई करनी चाहिये।
2. गेंहू की किस्म HD 3118 (Pusa Vatsala)
उन्नत किस्म HD 3118 की खेती का समय (Time of cultivation of improved variety HD 3118): Wheat variety HD 3118 (Pusa Vatsala): भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के कृषि वैज्ञानिक ने गेंहू की किस्म HD 3118 (पूसा वत्सला) तैयार की। इसकी खेती का सबसे उपयुक्त समय देर से बुवाई और सिंचाई की बेहतर व्यवस्था होना है। गेहूं की किस्म HD 3118 (पूसा वत्सला) की उपज भी किसानों को मालामाल करती है। पूसा वत्सला की औसत उपज लगभग 41.7 से 66.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। आईसीएआर के कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि गेहूं की उन्नत किस्म HD 3118 महज 112 दिन में पक कर तैयार होती है। कहे तो गेंहू की ये किस्म बुवाई के चार माह में कटने के योग्य हो जाती है।
गेंहू की किस्म HD 3118 (Pusa Vatsala) में पोषक तत्व: गिला ग्लुटेन प्रतिशत (Wet gluten percentage): गेंहू की इस किस्म में गिला ग्लुटेन प्रतिशत 29.8 है। जो गेंहू की उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं की किस्मों में शामिल करता है। इसके साथ ही इस किस्म के गेंहू की चपाती गुणवत्ता मूल्यांक 7.5 है। जो, इसे भारतीय व्यंजनों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाता है।
HD 3118 (पूसा वत्सला) रोग प्रतिरोधी (Disease resistant): गेंहू की किस्म HD 3118 पूसा वत्सला) पीले और भूरे रतुए रोग के प्रति प्रतिरोधी है। जो गेहूं की फसल के लिए एक गंभीर समस्या होती है। प्रतिरोधी विशेषताओं की वजह से उपज भी बंपर होती है। गेंहू की ये फसल लोगों की सेहत भी बेहतर रखती है।
HD 3118 (पूसा वत्सला) की खेती इन राज्यों में HD 3118 (Pusa Vatsala) cultivation in these states : आईसीएआर के वैज्ञानिकों के मुताबिक, गेंहू की HD 3118 किस्म की खेती मुख्य रूप से उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र में की जा सकती है। गेंहू की किस्म की पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल (पहाड़ियों को छोड़कर) और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदान क्षेत्र में खेती की जा सकती है। इन क्षेत्र की अनुकूल जलवायु और मिट्टी आदर्श है। गेंहू की HD 3118 किस्म की खेती करने से गेंहू की बंपर पैदावार होती है।
HD 3118 (पूसा वत्सला) की खेती : HD 3118 किस्म की खेती मुख्य रूप से उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र में की जा सकती है. इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल (पहाड़ियों को छोड़कर) और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदान शामिल हैं. ये क्षेत्र इस किस्म के लिए आदर्श हैं क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी की स्थिति HD 3118 किस्म की वृद्धि के लिए अनुकूल है.
3. गेंहू की किस्म (Wheat Variety) HD 3386
Wheat Variety HD 3386: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार में गेहूं की खेती होती है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute) ने किसानों के लिए गेहूं की उन्नत किस्म Pusa Wheat 3386 या Pusa HD 3386 किस्म तैयार की है। जो गेंहू की एक अच्छी किस्म (good variety of wheat) है। गेंहू की उन्नत किस्म Pusa Wheat 3386 या HD3386 बेहतर पैदावार के साथ ही पत्ती धब्बा रोग और पीला धब्बा रोग से लड़ने में पूरी क्षमता है। गेहूं की ये प्रजाति HD 3386 महज 145 दिन में तैयार होती है। इसमें प्रति हेक्टेयर 63 क्विंटल से अधिक की पैदावार होती है। इसमें लीफ रस्ट और यलो रस्ट (It does not get affected by leaf rust and yellow rust) रस्ट को पनपने हैं। यानी कहें तो इस किस्म के बीज में रोग प्रतिरोधी क्षमता है। जिसकी खुद ही ये रोग खत्म कर देती है।
इन आठ राज्यों में बुवाई की सलाह (Advice for sowing in these eight states): IARI दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गेहूं की 3386 किस्म देश के आठ राज्यों में अच्छी पैदावार दे सकती हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों, हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों ऊना जिला और पांवटा घाटी और उत्तराखंड तराई क्षेत्र में बुवाई करके अच्छी पैदावार ली जा सकती है। इसके साथ ही राजस्थान के कोटा और उदयपुर संभाग में गेंहू की पूसा किस्म की बुवाई करके अच्छी पैदावार ली जा सकती है। यूपी की बात करें मो झांसी मंडल और जम्मू के कठुआ जिले में गेंहू की किस्म पूजा 3386 की बुवाई नहीं करनी चाहिए।
आयरन और जिंक भी भरपूर (Iron and zinc also plentiful): भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अनुसार पूसा गेहूं 3386 (Pusa Wheat 3386) किस्म में आयरन 41.1 पीपीएम और जिंक 41.8 पीपीएम मात्रा होती है। कृषि वैज्ञानिकों की किसानों को सलाह है कि रबी सीजन में ऐसी ही गेंहू की अच्छी किस्म की निर्धारित क्षेत्रों में बुवाई करनी चाहिए।
गेंहू की पूसा 3386 (Pusa Wheat 3386) किस्म की खासियत (Specialties of Pusa 3386 Wheat Variety)
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की विकसित की गई गेंहू की एक नई किस्म पूसा 3386 है। जिसमें कुछ खासियतें ये हैं।
- पूसा 3386 गेहूं की किस्म 145 दिनों में तैयार हो जाती है।
- पूसा 3386 की प्रति हेक्टेयर में पैदावार 63 क्विंटल तक रहती है।
- पूसा 3386 में आयरन और ज़िंक भरपूर मात्रा में होता है।
- गेहूं की पूसा 3386 किस्म में पत्ती धब्बा रोग और पीले धब्बे नहीं होता है।
- पूसा 3386 में रोगों-कीटों की रोकथाम पर खर्च बेहद कम आता है।
- पूसा 3386 की बुवाई उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत कई राज्यों में करना सही है।
4. गेंहू की किस्म (Wheat Variety) GW 322
GW 322 मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसकी खासियत है कि इसे कम पानी की जरूरत होती है और फिर भी 60-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है। इसके दानों से बनी रोटी मुलायम और स्वादिष्ट होती है। यह किस्म 115-120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को जल्दी फसल मिलती है और वे अगली फसल की तैयारी में जुट सकते हैं।
5. गेंहू की किस्म (Wheat Variety) HD 4728 (पूसा मालवी)
HD 4728 जिसे पूसा मालवी भी कहा जाता है, एक उन्नत किस्म है जो 55-57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देती है। इसे मात्र 2-3 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। इस किस्म से दलिया, सूजी, और अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं। 120 दिनों में तैयार होने वाली इस किस्म के कारण किसान जल्दी फसल काटकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
यूं करें गेहूं की खेती (This is how to cultivate wheat)
Cultivate Wheat: गेहूं की बुवाई से पहले खेतों में गहरी जुताई करके मिट्टी भुरभुरा बना लें। इसके बाद गोबर की खाद और खरपतवार नाशी दवा (Weed Management in Wheat) भी मिट्टी में छिड़काव करें। इस फसल में खरपतवार की संभावना भी कम रहती है। पूसा तेजस के बीजों की बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना चाहिए।
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