Potato Farming: कोहरे, शीतलहर और तापमान गिरने से आलू की फसल में कई बीमारी लग रही हैं। जिसको लेकर किसान परेशान हैं। क्योंकि, आलू की फसल में रोग लगने से पौधे मुरझाने लगे हैं। आलू के पौधों की ग्रोथ रुक गई है। इस मौसम में झुलसा रोग के कारण पौधे की जड़ और पत्तियां सिकुड़ने लगी हैं। आइए, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान से आलू की फसल की देखभाल और बीमारी से बचाव के तरीके जानते हैं।
आगरा, उत्तर प्रदेश
Potato Farming: उत्तर प्रदेश में कोहरे, शीतलहर व ठंड का असर फसलों पर दिखने लगा है। प्रदेश के आलू किसान (Potato Farmers) चिंतित हैं. किसानों की खेतों में खड़ी आलू की फसल (Potato Farming) में झुलसा, आलू की जड़ काली होने के साथ ही अन्य बीमारी लग गई हैं। जिससे किसान परेशान हैं। आगरा और आसपास के जिलों की बात करें तो यहां पर किसानों की आलू की (Potato Farming) फसल 50 से 60 दिन की ओ गई है। इस मौसम में आलू के पौधे की पत्तियां पीली पड़ गई हैं। लगातार तापमान गिरने व धूप नहीं निकलने से फसलों में रोग तेजी से फैल रहा है। Kisanvoice ने आलू की फसल में इस मौसम में लगी बीमारी, उसकी पहचान और स्प्रे को लेकर आगरा में बिचपुरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra Bichpuri, Agra) के अध्यक्ष व वरिष्ठ (Senior Scientist) वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान (Dr. Rajendra Singh Chauhan) से खास बातचीत की। आइए, इस मौसम में आलू की फसल (Potato Farming) में होने वाली बीमारी, कीटनाशक, फफूंदी और अन्य दवाओं के बारे में जानते हैं।
बिचपुरी स्थित (Krishi Vigyan Kendra, Bichpuri) कृषि विज्ञान केंद्र (Senior Scientist Dr. Rajendra Singh Chauhan) के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि अभी सर्दी का सितम बढ़ गया है। तीन दिन से दिनभर सूरज बादलों में छिपे रहते हैं। जिसकी वजह से लगातार तापमान गिर रहा है। आगरा और आसपास के जिलों में किसानों की आलू की फसल 50 से 60 दिन की हो गई है। इस फसल में किसानों की अब तक अच्छी लागत लगी हुई है। इस मौसम की बात करें तो आलू की फसल में कई तरह की रोग लग रहे हैं। इसको लेकर किसान लगातार सपंर्क कर रहे हैं। जिसमें किसानों का कहना है कि आलू की जड़ काली हो गई है। आलू की पत्तियां सिकुडन आ रही है या पत्तियों पर धब्बा आ रहे हैं। इस मौसम और इस अवस्था में आलू की फसल में पौधे को स्वस्थ्य बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है।
Potato Farming: आलू की फसल में कॉमन स्कैब बीमारी (Common scab disease in potato crop)
वरिष्ठ वैज्ञानिक ((Senior Scientist Dr. Rajendra Singh Chauhan) ) डॉ.राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि आलू की फसल जब 50 से 60 दिन की हो जाए तो उसके पौधे हरे भरे होने चाहिए। कहें तो आलू की फसल में पौंधों में एक रूपता बनी रहनी चाहिए। जिससे अच्छी पैदावार होगी। आलू की गुणवक्ता भी अच्छी रहेगी। अभी किसान लगातर संपर्क कर रहे हैं। किसानों की परेशानी या समस्या है कि उनकी खेतों में खड़ी आलू की फसल में चेचक या पपड़ी बीमारी लग गई है। इसके साथ ही कॉमन स्कैब बीमारी प्रवेश कर गई है। जिसकी वजह से किसानों ने जल्द ही आलू की खुदाई शुरू कर दी है। जबकि, हमने पहले ही किसानों को इन बीमारियों के प्रबंधन के बारे में बताया था। इसके लिए हम बीज उपचार में कुछ दवाएं उपयोग करते हैं। जिसकी वजह से ये बीमारी नहीं आती हैं। ये बीमारी इस बार भी खेतों में दिखाई दे रही है।

Potato Farming: आलू में अगेती झुलसा का समय (Time of early blight in potatoes)
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि सबसे पहले हम बात करेंगे। आलू के पौधे की पत्ती में सिकुड़न या पौधे की पत्ती पर आ रहे धब्बा के बारे में बात करेंगे। इसके साथ ही आलू की जड़ काली होने पर भी बात करेंगे। जब भी किसी भी खेती में किसी फफूंदी नाशक या कीटनाशक की बात करते हैं तो हमें इसका एक क्रम बनाकर रखना चाहिए। अगेती झुलसा का समय है। इसमें ही आलू के पौधे की पत्ती काली पडना, पत्ती में सिकुड़न , पत्ती पर धब्बे या आलू की जड़ काली हो रही है तो इसके लिए एक फफूंदी नाशक है। जिसे हम संपर्क फफूंदी नाशक कहते हैं।
Potato Farming: इनका बनायें स्प्रे घोल (Make spray solution of these)
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं किअगेती झुलसा रोग से आलू की फसल के बचाव के लिए मैंकोजेब या एम 45 की दो ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी का घोल बनाना है। इस घोल में ही अंतह प्रवाही फफूंदी नाशक मिलाना है। क्योंकि, जब पहली बार किसी फफूंदी नाशक या अंतह प्रवाही का प्रयोग करते हैं तो उसका एक क्रम बना लेना चाहिए। जिसमें सबसे पहले कार्बंडाजिम का प्रयोग करना चाहिए। दूसरी नंबर पर थायोफिलेट मिथाइल का प्रयोग करना चाहिए। तीसरे नंबर पर कॉपर ऑक्सीक्लोइड का प्रयोग या मेटा एक्सल का प्रयोग करें। यदि फसल में झुलसा की वजह से अधिक समस्या है। जिसमें आलू के पत्ते पूरी तरह से झुलस गए हैं तो इस स्थिति में साइमोक्सिनल का उपयोग करें। इसलिए, क्रम बनाकर ही ये करें। इसकी एक से डेढ़ ग्राम मात्रा इसी घोल में मिला लें । जिसमें आनके मैंकोजेब या एम 45 को मिलाकर घोल बनाएं।

Potato Farming: ये कीटनाशी और बैक्टीरियो साइड का उपयोग करें (Use these insecticides and bacteriocides)
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि आलू की फसल की बात करें तो इसमें चार तरह के कीट दिखाई देते हैं। जो नुकसान पहुंचाते हैं। मांहू, लीफ हॉपर यानी पत्ता फुदका, सफेद मक्खी और थ्रिप्स कीट आ सकता है। जो फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इन कीटों का कार्य बीमारी के वाहक के रूप में होता है। यानी ये पौधे में लगी बीमारी को दूसरे पौधे तक पहुंचा सकते हैं। यदि आलू की पत्तियां सिकुड रही हैं तो ये वायरस का प्रकोप हो। इसमें हमें कीटनाशी का प्रयोग करना चाहिए। इस कीटनाशी की 0.5 से 0.75 एमएल या एक एमएल की मात्रा इसी पानी के घोल में मिला लेनी चाहिए। इसके साथ ही एक बैक्टीरियो साइड का भी प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए हम किसानों को पीला पाउच बताते रहे हैं। जिसमें हम सेप्टोसाइकलिन कहते हैं। जिसका एक पाउच 100 लीटर पानी के लिए होता है। इन सब कॉम्बिनेशन का घोल बनाकर स्प्रे करना चाहिए।
Potato Farming: मौसम की स्थिति देखकर स्प्रे करें (Spray after looking at the weather conditions)
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि जब हम स्प्रे में कीटनाशी का प्रयोग करें तो वायरस का रोग इधर से उधर फसल में फैलेगा नहीं। दवा उसे समाप्त कर देगी। ऐसे ही अंतह प्रवाही फफूंदी के प्रयोग आलू की जड काली होने की समस्या का समाधान होगा। मौसम की स्थिति देखकर एक स्प्रे करना चाहिए।
Potato Farming: ये स्प्रे से आलू का साइज अच्छा होगा (This spray will improve the size of the potato)
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि आलू की साइज बढाने के लिए एक बोतल नैनो यूरिया, एक बोतल नैनो डीएपी और एक बोतल सागरिका लें। ये एक एकड का कॉम्बिनेशन है। इन तीनों का घोल बनाकर एक एकड में स्प्रे करें। इसके साथ ही आलू का साइज अच्छा करना है। मगर, आलू के पौधे की अच्छी बढवार है तो इस कॉम्बिनेशन में नैनो यूरिया का प्रयोग नहीं करें।
Potato Farming: पपड़ी रोग में ये दवा उपयोग करें (Use this medicine in scab disease)
कॉमन स्कैप, चेचक या पपडी रोग आलू में लग गया है तो इसका एक छोटा इलाज है। अधिक पपडी रोग कम है तो इसके लिए बैसिलासब टेसिल नाम का बैक्ट्रीरिया दवा है।इसे तमाम दवा कंपनियां बना रही हैं। जो मार्केट में खूब मिल रहा है। इसे ड्रिप के जरिए लगाएं। एक बोतल का ड्रिप से एक एकड में करें। जिससे इसका फैलावा रुकेगा।
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