Potato Farming: फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए बीज का सही चयन सबसे महत्वपूर्ण है। आपके यहां की जलवायु और खेत का मृदा प्रबंधन अनुकूल है तो अच्छी पैदावार मिल सकती है। आलू में कुफरी की प्रजातियां रिकॉर्ड तोड़ पैदावार दे रही हैं। नई-नई प्रजाति विकसित हो रही हैं। सरकार की सोच और वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत से किसानों को कम लागत में अधिक पैदावार वाली आलू की प्रजाति मिल रही हैं। इनमें कुफरी नीलकंठ शामिल है।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
Potato Farming: केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (Central Potato Research Institute Shimla) शिमला ने किसानों अच्छी पैदावार और आषधि गुणों (Medicinal Properties) से भरपूर आलू की एक किस्म विकसित की। जो कुफरी नीलकंठ (Kufri Neelkanth) किस्म है। आलू की ये किस्म एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) से भरपूर है। आलू की प्रजाति कुफरी नीलकंठ में कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने का भी गुण पाया जाता है। इसलिए, ये औषधि गुणों से भरपूर है। आईसीएआर (ICAR) की ये विकसित किस्म उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) , पंजाब (Punjab) , हरियाणा (Haryana) , उत्तराखंड (Uttarakhand) , बिहार (Bihar), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की जलवायु और कृषि पारिस्थितिकी (agro-ecology) की वजह से अच्छी पैदावार दे रही है। इन प्रदेशों में अच्छी तरह से आलू की किस्म कुफरी नीलकंठ खेती करने से 350 से 380 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार हो रही है। जिससे किसान मालामाल हो रहे हैं।
बता दें कि केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला ने वर्ष 2015 में कुफरी नीलकंठ आलू की प्रजाति विकसित की थी। आलू की प्रजाति नीलकंठ की बुवाई देश में वर्ष 2018 से शुरू हुई थी। ये आलू बाहर से बैंगनी या नीले रंग की दिखती है। जबकि इसका गूदा क्रीमी या सफेद रंग का होता है। उत्तर प्रदेश में नीलकंठ आलू की खेती विभिन्न जिलों में हो रही है। कुफरी नीलकंठ उत्तर भारतीय मैदानों के लिए मध्यम परिपक्वता वाली विशेष आलू की किस्म है। बाजार में इस आलू की डिमांड भी खूब है।
Potato Farming: कुफरी नीलकंठ की पैदावार 380 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (Kufri Neelkanth yields 380 quintals per hectare)
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो हाइब्रिड की औसत पैदावार 350-380 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। इसके कंद गहरे बैंगनी काले, मध्यम गहरी आंखों वाले अंडाकार आकार के, क्रीम रंग के मांस, अच्छी भंडारण क्षमता, मध्यम शुष्क पदार्थ (18%) और मध्यम निष्क्रियता के साथ उत्कृष्ट स्वाद वाले होते हैं। कंद पकाने में आसान होते हैं। पकाने के बाद रंगहीन नहीं होते हैं।
कुफरी नीलकंठ आलू में इन तत्वों की मौजूदगी (Presence of these elements in Kufri Neelkanth potatoes)
अगर, आलू की बात करें तो आलू में मुख्य रूप से 80-82 प्रतिशत पानी होता है। इसके अलावा 14 प्रतिशत स्टार्च, 2 प्रतिशत चीनी, दो प्रतिशत प्रोटीन, एक प्रतिशत खनिज लवण वसा 0.1 प्रतिशत और थोड़ी मात्रा में कई विटामिन्स भी पाए जाते हैं। नीलकंठ आलू में ये सब तत्व मौजूद होते हैं।
आलू की फसल का रकबा चौथे स्थान पर आता है (Potato crop comes fourth in area)
भारत में चावल, गेहूं और गन्ना की फसल के बाद क्षेत्रफल में आलू की फसल का चौथा स्थान है। आलू एक ऐसी फसल है, जिससे किसानों को प्रति इकाई क्षेत्रफल में अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक उत्पादन मिलता है। किसानों को आलू की फसल से प्रति हेक्टर आय भी अधिक मिलती है।
आलू की उन्नत खेती लिए जलवायु व तापमान (Climate and temperature for advanced potato cultivation)
आलू की फसल समशीतोष्ण जलवायु की है, जबकि उत्तर प्रदेश में इसकी खेती उपोष्णीय जलवायु की दशाओं में रबी के सीजन में की जाती है। सामान्य रूप से आलू की खेती के लिए फसल अवधि के दौरान दिन का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 4-15 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए। आलू की फसल में कंद बनते समय तापमान लगभग 18-20 डिग्री सेल्सियस सबसे अच्छा होता है। कंद बनने के पहले कुछ अधिक तापमान रहने पर आलू की फसल की वानस्पतिक वृद्धि अच्छी होती है, लेकिन कंद बनने के समय अधिक तापमान होने पर कंद बनना रुक जाता है। लगभग 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान होने पर आलू की फसल में कंद बनना बंद हो जाता है।
आलू के लिए भूमि एवं भूमि प्रबन्ध (Land and land management for potato)
आलू की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए मृदा का पीएच मान 6 से 8 के मध्य होना चाहिए। बलुई दोमट और दोमट मिट्टी उचित जल निकास की उपयुक्त होती है। 3-4 जुताई डिस्क हैरो या कल्टीवेटर से करें। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा जरूर लगाना चाहिए, जिससे ढेले टूट जाते हैं। खेत में नमी सुरक्षित रहती है। वर्तमान में रोटावेटर से भी खेत की तैयारी शीघ्र व अच्छी की जा सकती है। आलू की फसल के लिए बुवाई से पहले पलेवा करना चाहिए।
कार्बनिक खाद और फायदे (Organic manure and benefits)
किसानों ने यदि खेत में हरी खाद का प्रयोग नहीं किया हो तो 15-30 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग जरूर करें। इससे मिट्टी में जीवांश पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जो कन्दों की पैदावार बढ़ाने में सहायक होती है।
आलू बीज का चयन (Selection of potato seed)
किसानों को उद्यान विभाग आलू का प्रथम श्रेणी का बीज देता है। इस बीज को 3-4 वर्ष तक प्रयोग किया जा सकता है। बुवाई के लिए 30-55 मिमी व्यास का अंकुरित आलू बीज का प्रयोग करना चाहिए। एक हेक्टेयर के लिए 30-35 क्विंटल बीज की आवश्यकता पड़ती है। आलू की प्रजातियों का चयन क्षेत्रीय आवश्यकताओं एवं बुवाई के समय अगेती फसल, मुख्य फसल या पिछेती फसलों के अनुसार ही किया जाना उचित होता है।
Q: आलू किस महीने में बोया और किस माह में खुदाई होती है ? (In which month is the potatoes sown and in which month is excavation?)
A: आलू की मुख्य फसल की बुवाई क समय अक्टूबर माह होता है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में वसंत की फसल जनवरी-फरवरी में बुवाई की जाती है। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के मैदानी इलाकों में वसंत की फसल जनवरी में बुवाई की जाती है।
Q: कुफरी आलू क्या है ? (What is Kufri Aloo?)
A: कुफरी आलू की तमाम प्रजाति हैं। जिसमें कुफरी बहार, कुफरी गंगा, कुफरी ख्याति, कुफरी नीलकंठ, कुफरी अलंकार, कुफरी चिप्सोना, कुफरी पुखराज और अन्य आलू की प्रजाति हैं। जो उत्तर भारतीय मैदानी इलाकों में भरपूर पैदवार देती हैं।
Q: कुफरी नीलकंठ में कौन कौन से तत्व मौजूद हैं ? (Which elements are present in Kufri Neelkanth?)
A: कुफरी नीलकंठ आलू की एक उन्नत प्रजाति है। कुफरी नीलकंठ उत्तर भारतीय मैदानी इलाकों के लिए जारी की गई एक नई मध्यम परिपक्वता वाली विशेष आलू की किस्म है। जो भरपूर पैदावार देती है। आलू की नीलकंठ प्रजाति में औषधि गुण होते हैं। आलू की नीलकंठ प्रजाति एंटीऑक्सीडेंट (एंथोसायनिन > 100µg/100g ताजा वजन और कैरोटीनॉयड ~ 200 µg/100g ताजा वजन) से भरपूर है।
Q: आलू की खेती किस महीने में करनी चाहिए? (In which month should potato be cultivated?)
A: भारत की बात करें तो आलू की अगेती बुवाई 15 से 25 सितंबर के बीच करनी चाहिए। इसके साथ ही आलू की मुख्य फसल की बुवाई के लिए अक्टूबर माह में करनी चाहिए। आलू की पिछेती बुवाई 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच तक की जाती है। इसके बुवाई से पहले खेत की मिट्टी को जैविक विधि से तैयार किया जाता है। जिससे आलू की भरपूर पैदावार होती है।
Q: सबसे अधिक पैदावार वाली अच्छा की किस्में कौन सी है ? (What are the most yielded varieties of good?)
A: आलू की पैदवार की छह उन्नतशील किस्में हैं। Top 6 Potato Variety जो सबसे अधिक पैदावार देने वाली हैं।
आलू की कुफरी पुखराज किस्म।
आलू की कुफरी चिप्सोना किस्म।
आलू की कुफरी अलंकार किस्म।
आलू की कुफरी नीलकंठ किस्म।
आलू की कुफरी सिंदूरी किस्म।
आलू की कुफरी बहार किस्म।
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