Potato Farming:देश के आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका है। यहां सीपीआरआई की कई महत्वपूर्ण आलू की प्रजातियां किसानों की मिल रही हैं। वैज्ञानिक रोग प्रतिरोधक और अधिक उत्पादन क्षमता वाली प्रजातियों का आलू बीज किसानों को मिल रहा है। कुफरी बहार, कुफरी ख्याति, कुफरी मोह, कुफरी आनंद, कुफरी सूर्या, कुफरी चिप्सोना, कुफरी नीलकंठ, पुखराज, कुफरी गंगा आदि शामिल हैं।
लखनऊ/आगरा, उत्तर प्रदेश
Potato Farming: उद्यान विभाग (Horticulture Department) किसानों को अच्छी पैदावार देने वाली केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (Central Potato Research Institute) की प्रजातियां (Varieties) उपलब्ध करवा रहा है। किसानों को मिलने वाली प्रजातियों (Varieties) में कुफरी बहार (Kufri Bahar), कुफरी ख्याति (Kufri Khyati) , कुफरी मोहन (Kufri Mohan), कुफरी आनंद (Kufri Anand) , कुफरी सूर्या (Kufri Surya) , कुफरी चिप्सोना (Kufri Chipsona), कुफरी नीलकंठ (Kufri Neelkanth), कुफरी गंगा (Kufri Ganga) शामिल हैं। बात करें कुफरी गंगा की तो ये प्रजाति कम पानी में पूरी पैदावार देती है। 75-80 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। खाने वाले लोगों को आलू (Potato) की चमक से लेकर स्वाद तक पसंद आ रहा है। किसानों के बीच भी कुफरी गंगा अपनी जगह बना रही है। हर साल कुफरी गंगा का रकबा बढ़ रहा है। पैदावार की बात करें तो 350-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। किसानों को बाजार में कुफरी गंगा का भाव भी अच्छा मिलता है।

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) मोदीपुरम, मेरठ के वैज्ञानिकों ने आलू की कुफरी गंगा प्रजाति विकसित की है। यह प्रजाति आलू पैदा करने वाले किसानों को मालामाल कर रही है। कुफरी गंगा प्रजाति के इस आलू की फसल की पैदावार सामान्य प्रजाति की तुलना में इसकी पैदावार ज्यादा है। यह आलू खाने में भी स्वादिष्ट है।
Potato Farming: गंगा प्रजाति की ये हैं खासियत (specialties of Ganga variety)
रिलीज का वर्ष: 2018
पैदावार: 350-400 क्विंटल प्रति हेक्टयर
अवधि: 75-80 दिन में तैयार
अनुकूलनशीलता: उत्तरी मैदानी क्षेत्र
भंडारण गुणवत्ता: अच्छी
रोग प्रतिरोधी क्षमता: पिछेता झुलसा रोग के प्रति सामान्य प्रतिरोधी
आलू कंद: सफेद क्रीम, अंडाकरण, उथली आंखें, गूदा सफेद क्रीमी
शुष्क पदार्थ : 16 से 18 प्रतिशत
विशेष गुण: सब्जी के लिए उपयुक्त

अगेती फसल की प्रजाति है कुफरी गंगा (Kufri Ganga is an early crop variety)
सीपीआरआई की कुफरी गंगा प्रजाति भी अगेती बुवाई की श्रेणी में आती है। यूपी के किसान भी आलू की अगेती प्रजाति की बुवाई करते हैं। जल्दी तैयार होने वाली इस प्रजाति में रोग प्रतिरोधी क्षमता भी अच्छी है। यह प्रजाति की उत्पादन क्षमता 350-400 क्विंटल प्रति हेक्टयर है। जबकि सामान्य प्रजाति 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टयर तक उत्पादन देती है।
MS/82-638 और कुफरी गौरव की क्रॉस से एक क्लोनल चयन (It is a clonal selection from the cross of MS/82-638 and Kufri Gaurav)
कुफरी गंगा मुख्य मौसम की उच्च उपज वाली टेबल उद्देश्य आलू की किस्म है। एक मध्यम परिपक्वता वाली फसल है, जो उत्तर भारतीय मैदानों में खेती के लिए उपयुक्त है। यह MS/82-638 और कुफरी गौरव के बीच एक क्रॉस से एक क्लोनल चयन है। इसमें अर्ध-संकुचित, जोरदार और लंबे पौधे हैं। देर से होने वाले तुषार (पाला) के लिए क्षेत्र प्रतिरोध करते हैं। कुफरी गंगा ने कम पानी की व्यवस्था के तहत भी टिकाऊ कंद उपज का उत्पादन किया है। इसने मोदीपुरम और जोधपुर में नियंत्रण की तुलना में उच्च सूखा सहिष्णुता सूचकांक दिखाया।

पिछेती झुलसा रोग से लड़ने में भी सक्षम (Also capable of fighting late blight disease)
कुफरी गंगा किसानों के लिए मुनाफे की फसल है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के सब्जी विज्ञान विभाग ने केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के साथ मिलकर संकर की यह प्रजाति विकसित की है। सफेद चमकदार, गोल, चपटे व उभरी आंखों वाली कुफरी गंगा आम आलू की अपेक्षा 20 फीसद अधिक फसल देगा। इसके साथ ही यह आलू में लगने वाले पिछेती झुलसा रोग से लड़ने में भी सक्षम है।
गंगा आलू खाने के लिए स्वादिष्ट प्रजाति (Ganga potato is a tasty variety to eat)
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान द्वारा तैयार कुफरी गंगा प्रजाति मैदानी क्षेत्र में किसानों के लिए अच्छी फसल है। सफेद क्रीम अंडाकार कंद वाली यह प्रजाति खाने में लोगों को स्वादिष्ट लगती है। किसानों को इसके उत्पादन से आर्थिक लाभ होगा।

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए खास (Special for farmers of Uttar Pradesh)
सीपीआरआई के वैज्ञानिकों की मदद से उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए कुफरी गंगा प्रजाति तैयार की गई है। यह प्रजाति सामान्य प्रजाति से अधिक उत्पादन देगी। किसानों के लिए लाभकारी रहेगी। यहां के मौसम के लिहाज से अनुकूल है।
विपणन योग्य कंद उपज देता है 90% से अधिक (Gives marketable tuber yield more than 90%)
आगरा में कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी (Krishi Vigyan Kendra Bichpuri, Agra) के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि कुफरी गंगा उत्तर भारतीय मैदानों में खेती के लिए उपयुक्त है। इसमें अर्ध-संकुचित, जोरदार और लंबे पौधे हैं, जो देर से होने वाले तुषार के लिए क्षेत्र प्रतिरोध करते हैं। यह आकर्षक सफेद-क्रीम, उथली आंख और क्रीम मांस के साथ अंडाकार कंद पैदा करता है। इसमें अच्छी रखने की गुणवत्ता और मध्यम कंद शुष्क पदार्थ (16-18%) है। यह 90% से अधिक विपणन योग्य कंद उपज देता है। 35-40 टन प्रति हेक्टेयर उपज देने में सक्षम है।
आलू की बुवाई का सही समय (Right time for sowing potatoes)
आलू की फसल अक्टूबर के अन्तिम सप्ताह तक बुवाई करनी चाहिए। बुवाई के समय मौसम हल्का ठण्डा होना चाहिए।
खेत की तैयारी एवं भूमि उपचार (Preparation of field and land treatment)
आलू की फसल के लिए खेत की जुताई (plowed) अच्छी तरह होनी चाहिए। एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल (cultivator) से, फिर दो-तीन बार कल्टीवेटर (cultivator) से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर लेना चाहिए। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाएं, जिससे खेत में ढेले न रहें। मृदा उपचार के लिए अन्तिम जुताई के समय क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें, जिससे भूमिगत कीटों से फसल की सुरक्षा हो सके।
कन्दों की तैयारी (Preparation of tubers)
भण्डारित आलू को लगभग एक सप्ताह पूर्व कोल्डस्टोर से निकाल कर सामान्य ठन्डे स्थान पर रखना चाहिए। कोल्डस्टोरेज से लाये गए आलू के बीज को धूप में न रखें। न ही तुरन्त बुवाई के लिए प्रयोग में लाएं, अन्यथा बाहरी तापमान की अधिकता की वजह से आलू के सड़ने का खतरा बना रहता है। जिन कन्दों पर अंकुरित प्रस्फुट न दिखाई दे उन्हें हटा देना चाहिए। बुवाई से पूर्व इसे 24 से 48 घंटे तक हवादार, छाया युक्त स्थान में फैलाकर रखें।
Q: आलू के लिए कौन सा राज्य सबसे अच्छा है? (Which state is best for potatoes?)
A: भारत में सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है। इसके साथ ही प्रमुख आलू उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और गुजरात शामिल हैं।
Q: भारत में कौन सा राज्य सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले आलू का उत्पादन करता है? (Which state in India produces the best quality potatoes?)
A: भारत में आलू का सबसे अधिक पैदावार उत्तर प्रदेश में होती है। आलू की पैदावार के बारे में बात करें तो भारत में आलू उत्पादन में सबसे आगे उत्तर प्रदेश है। प्रदेश में 16 मिलियन टन आलू का उत्पादन होता है। इसकी वजह राज्य के उपजाऊ खेत और अनुकूल जलवायु से आलू की खेती में बंपर पैदावार होती है।
Q: भारत में आलू के लिए कौन सा शहर प्रसिद्ध है? (Q: Which city is famous for potatoes in India?)
A: देश की बात करें तो उत्तर प्रदेश के आगरा में आलू उत्पादन सबसे अधिक होता है। आगरा के साथ ही आसपास के जिलों में भी आलू की खेती की जाती है। आगरा को अक्सर “भारत का आलू का कटोरा” कहते हैं। जिसकी वजह आगरा में उपजाऊ मिट्टी और उपयुक्त जलवायु समेत अनुकूल कृषि परिस्थितियां हैं। जिसकी वजह से आलू की खेती में अच्छी पैदावार होती है।
Q: भारत में आलू की प्रजाति कितनी हैं? (How many varieties of potatoes are there in India?)
A: भारत में आलू की सैकड़ों विभिन्न किस्में या प्रजाति हैं। देश में सबसे अधिक उगाई जाने वाली आलू की किस्मों में कुफरी ज्योति, कुफरी, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी बादशाह, कुफरी पुखराज और कुफरी सिंदूरी, कुफरी गंगा समेत अन्य किस्में शामिल हैं।
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