Union Cabinet: पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में हजारों करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी दी गई। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के फैसले की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अलावा किसानों से जुड़ी कई योजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही चेन्नई मेट्रो फेज-2 को भी मंजूरी दी है। आइए, कैबिनेट में सरकार की तरफ से मंजूर हजारों करोड़ रुपये की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नई दिल्ली
Union Cabinet: पीएम मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में देश के किसानों और इन्फ्रास्ट्र्कचर विकास से जुड़ी कई परियोजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव (Union Minister Ashwini Vaishnav) ने बताया कि कैबिनेट की ओर से लिए गए फैसले के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM National Agriculture Development Scheme) और कृषि उन्नति योजना (Krishi Unnati Yojana) को मंजूरी दी है। जिनमें 1 लाख 1321 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि देश के किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं।
किसानों की आय बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की कवायद Exercise to increase the income of farmers and ensure food security
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट बैठक में सबसे बड़ा फैसला किसानों की आय बढ़ाने और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का किया गया है। इसके लिए ‘पीएम राष्ट्र कृषि विकास योजना’ (PM Rashtra Krishi Vikas Yojana) और ‘कृषोन्ति योजना’ (Krishonnati Yojana) को मंजूरी दी है। कृषि मंत्रालय की ओर से संचालित सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) को दो व्यापक योजनाओं में तर्कसंगत बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। पीएम-आरकेवीवाई (PM-RKVY) टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देगा। जबकि, केवाई खाद्य सुरक्षा और कृषि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने में सहायता करेगा।
101321.61 करोड़ रुपये के कुल प्रस्तावित व्यय Total proposed expenditure of Rs 101321.61 crore
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बताया कि किसानों की इन दोनों योजनाओं के तहत 9 अलग-अलग योजनाएं हैं। इन विभिन्न घटकों के कुशल और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा। इन सभी घटक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाएंगे। ये दोनों योजनाएं राज्यों की ओर से कार्यान्वित की जाती हैं। सरकार की ओर से 101321.61 करोड़ रुपये के कुल प्रस्तावित व्यय में से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के केंद्रीय हिस्से का अनुमानित व्यय 69088.98 करोड़ रुपये हैं। इसके साथ ही इसमें राज्यों का हिस्सा 32232.63 करोड़ रुपये है। इसमें कृषि विकास योजना के लिए 57074.72 करोड़ रुपये और कृषोन्नति योजना के लिए 44246.89 करोड़ रुपये शामिल हैं।
किसानों की आय बढ़ाने की कवायद Efforts to increase farmers’ income
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट बैठक में सबसे बड़ा फैसला किसानों की आय बढ़ाने और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का है। इसके लिए ‘पीएम राष्ट्र कृषि विकास योजना’ (PM Rashtra Krishi Vikas Yojana) और ‘कृषोन्ति योजना’ (Krishonnati Yojana) को मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने गुरुवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा (क्लासिकल लैंग्वेज) का दर्जा दिया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले के लिए पीएम मोदी का आभार भी प्रकट किया है।
खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन-ऑयलसीड्स को मंजूरी Approval to National Mission-Oilseeds on Edible Oil
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने 10103 करोड़ रुपये की खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन ऑयलसीड्स को भी मंजूरी दी है। ये कृषोन्नति योजना के तहत आने वाली नौ योजनाओं में से एक है। इस योजना का लक्ष्य 2031 तक खाद्य तेलों का उत्पादन 1.27 करोड़ टन से बढ़ाकर 2 करोड़ टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस मिशन से भारत तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बन जाएगा। इस मिशन में साथी पोर्टल लॉन्च करेगा। जिससे राज्य गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता के लिए हितधारकों के साथ समन्वय कर सकेंगे।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता केंद्र में शामिल होने की मंजूरी Approval to join the International Energy Efficiency Center
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लेटर ऑफ इंटेंट पर हस्ताक्षर करने (the signing of the Letter of Intent) को मंजूरी दे दी है। जिससे भारत ऊर्जा दक्षता केंद्र में शामिल हो सके। यह दुनिया भर में ऊर्जा दक्षता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक वैश्विक मंच है। ये कदम सतत विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। इसके साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के उसके प्रयासों के अनुरूप है। इस निर्णय से भारत को विशिष्ट 16 देशों के समूह की साझा रणनीतिक ऊर्जा प्रथाओं और नवीन समाधानों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
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