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Kisan Diwas 2024: क्यों मनाया जाता है किसान दिवस, इतिहास और महत्व ? ; Former PM Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh Birthday

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Kisan Diwas 2024: भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश में हर साल 23 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की जयंती है। जो किसानों के मसीहा हैं। इसलिए, उनका जन्मदिन राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। आइए, राष्ट्रीय किसान दिवस के बारे में विस्तार से जानते हैं…

Kisan Diwas 2024: भारत एक कृषि प्रधान (Agricultural Country) देश है। भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। देश में हर साल 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers’ Day) मनाया जाता है। जो किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (former Prime Minister Chaudhary Charan Singh) की जयंती है। किसान दिवस का उद्देश्य किसानों के समाजिक-आर्थिक विकास में योगदान को मान्यता देना और उनके कल्याण के लिए जागरूकता फैलाना है। इस बार के किसान दिवस का विषय स्थायी कृषि के लिए किसानों को सशक्त बनाना रखा गया है। आइए, राष्ट्रीय किसान दिवस के बारे में विस्तार से जानते हैं…

Table of Contents

Kisan Diwas 2024: चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन (Chaudhary Charan Singh’s Birthday)

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न (Former Prime Minister Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh) चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में हुआ था। उनके पिता मीर सिंह किसान थे। उनकी मां का नाम नेत्रा कौर था। किसान मीर सिंह और नेत्रा कौर की पांच संतान में चौधरी चरण सिंह सबसे बड़े थे। जो स्‍थायी कृषि जीवन के लिए उपयुक्‍त जमीन की तलाश में परिवार के साथ मेरठ चले गए। सन 1922 में गांव भदौला गए। चौधरी चरण सिंह की स्कूली शिक्षा गांव जानी खुर्द गांव में हुई थी।

Kisan Diwas 2024: चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन (Chaudhary Charan Singh's Birthday)
(Photo Credit: Kisan Voice)
Kisan Diwas 2024: आगरा से बीएससी तो मेरठ से कानून की पढ़ाई (BSc from Agra and law from Meerut)

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह ने सन 1919 में गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। इसके बाद आगे की एजुकेशन के लिए चौधरी चरण सिंह आगरा आए। उन्होंने सन 1923 में आगरा कॉलेज से बीएससी की। इसके बाद सन 1925 में इतिहास में एमए की पढ़ाई की। फ‍िर चौधरी चरण सिंह ने 1926 में मेरठ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की थी। कानून की पढ़ाई करने के बाद चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में सिविल कानून की प्रैक्टिस शुरू की थी। इसके बाद साल 1929 में चौधरी चरण सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

Kisan Diwas 2024: चौधरी चरण सिंह के नाम पर मेरठ में यूनिवर्सिटी (University in Meerut named after Chaudhary Charan Singh)

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण की कर्मभूमि मेरठ रही। यहां चौधरी चरण सिंह के नाम से एक विश्‍वविद्यालय भी है। सीसीएसयू की स्थापना सन 1965 में ‘मेरठ विश्वविद्यालय’ नाम से हुई थी। जिसका नाम बदलकर चौधरी चरण सिंह के नाम पर रख दिया गया। मेरठ के कचहरी रोड स्थित छोटे से मकान में रहकर उन्‍होंने वकालत की शुरुआत की। चौधरी चरण सिंह अधिवक्‍ता के अलावा एक लेखक भी थे। उन्होंने इकोनामिक नाइट मेयर आफ इंडिया समेत कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। चौधरी साहब महाभारत से जुड़ी कथाएं लोक शैली में गाते थे।

Kisan Diwas 2024: चौधरी चरण सिंह के नाम पर मेरठ में यूनिवर्सिटी (University in Meerut named after Chaudhary Charan Singh)
(Photo Credit: Social Media)
Kisan Diwas 2024: छपरौली से चुनकर गए विधानसभा (Elected to the assembly from Chhaprauli)

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के राजनैतिक जीवन की बात करें तो यूपी के छपरौली से 1937 में पहली बार उन्होंने विधानसभा का चुनाव जीता था। फिर लगातार यहां से चुनाव जीतते रहे। सन 1946, 1952, 1962 और 1967 में भी इसी विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने उन्हें विधानसभा भेजा। जिसकी वजह से चौधरी चरण सिंह यूपी में गोविंद वल्लभ पंत की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बने तो साथ ही साथ राजस्व, कानून और स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाला था। डॉ. संपूर्णानंद की सरकार और फिर चंद्रभानु गुप्त की सरकार में भी महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले।

Kisan Diwas 2024: एक किसान, नेता फिर बने यूपी के सीएम (A farmer, leader again became the CM of UP)

कहें तो पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह एक किसान परिवार में पैदा हुए थे। उनका जीवन पूरी तरह से किसानों के कल्याण के लिए समर्पित रहा। उनके पूर्वजों ने सन 1857 की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया था। जिससे उनके परिवार का संघर्ष का इतिहास भी बहुत पुराना था। चौधरी चरण सिंह ने भारत की आजादी की लड़ाई में भाग लिया। चौधरी चरण सिंह कई बार जेल भी गए। पहली बार 1929 में और फिर 1940 में उन्हें गिरफ्तार किया गया। पहले चरण सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े थे। लेकिन, कुछ समय बाद कांग्रेस छोड़ उन्होंने भारतीय क्रांति दल की स्थापना की। इसके बाद समाजवादी नेताओं के साथ मिलकर भारतीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई। इसके बाद भी वे लगातार किसानों के मुद्दों के लिए सक्रिय रहे। सबसे पहली बार चौधरी चरण सिंह सन 1967 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले उन्होंने मंत्री रहकर कई विभागों को संभाला था। चौधरी चरण सिंह एक बार फिर दूसरी बार 1970 में यूपी के मुख्यमंत्री बने थे।

Kisan Diwas 2024: किसान नेता से बने ‘किसानों का मसीहा’ (From farmer leader to ‘messiah of farmers’)

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की किसान कल्याण और राजनीति के तरीके ने उन्हें किसानों का मसीहा के रूप में स्थापित किया था। यूपी के सीएम रहकर चौधरी चरण सिंह की ओर से ही जमींदारी उन्मूलन कानून विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है। सन 1952 में उन्होंने विधानसभा से जमींदारी उन्मूलन कानून पास कराया। जिसके चलते जमींदारों के पास से अतिरिक्त जमीनें लेकर भूमिहीन किसानों को दी गईं। इसके साथ ही 27 हजार पटवारियों का सामूहिक इस्तीफा मंजूर कर लिया था। इसके साथ ही नए पटवारियों की नियुक्ति में 18% आरक्षण लागू किया। चौधरी चरण सिंह ने 1939 में ऋण मोचन विधेयक पेश किया। जिससे किसानों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त किया गया। उन्होंने ज़मींदारी उन्मूलन और भूमि सुधारों पर कई किताबें लिखी थी। जो आज भी किसानों के अधिकारों और उनकी स्थितियों को समझने में मदद करती हैं।

Kisan Diwas 2024: किसान नेता से बने 'किसानों का मसीहा' (From farmer leader to 'messiah of farmers')
(Photo Credit: Kisan Voice)
Kisan Diwas 2024: आपातकाल के बाद बनी सरकार में बने उप प्रधानमंत्री (Became Deputy Prime Minister in the government formed after Emergency)

देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपात की घोषणा की। जिसको लेकर कभी कांग्रेस का अहम हिस्सा रहे चौधरी चरण सिंह ने खिलाफत कर दी। जिसका नतीजा ये हुआ कि चौधरी चरण सिंह को जेल जाना पड़ा। आपातकाल के बाद देश में आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हार का मुंह देखना पड़ा। तक देश में पहली बार गैर कांग्रेसी दलों की सरकार बनी। जो जनता पार्टी की अगुवाई में सरकार बनी थी। जिसके मुखिया मोरारजी देसाई बने। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने किसानों के नेता चौधरी चरण सिंह को अपनी सरकार में उप प्रधानमंत्री बनाया। इसके साथ ही उन्होंने गृह मंत्री का पद सौंपा था। मगर, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार ज्यादा दिन नहीं चली। जनता पार्टी में कलह के कारण उनकी सरकार गिर गई थी।

Kisan Diwas 2024: इंदिरा गांधी से समर्थन नहीं लिया था (Did not take support from Indira Gandhi)

बात 1979 की है। जब मोरारजी देसाई की सरकार गिरने के बाद सन 1979 में कांग्रेस यू के समर्थन से चौधरी चरण सिंह पीएम बने। लेकिन सरकार चलाने के लिए जो जरूरी ताकत चाहिए थी। उनके पास नहीं थी। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह चाहते तो इंदिरा गांधी का समर्थन लेकर अपनी सरकार बचा सकते थे। मगर, उन्होंने ऐसा नहीं किया। कहा जाता है कि चौधरी चरण सिंह की इस जिद के पीछे एक खास वजह थी। वे ये कि इंदिरा जी चाहती थीं कि आपातकाल को लेकर उनके और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ जो केस दर्ज किए गए हैं। उन्हें वापस ले लिया जाए। जो चौधरी चरण सिंह को मंजूर नहीं था। 21 अगस्त 1979 को तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। महज 23 दिन तक ही चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान संसद का कोई सत्र नहीं होने के कारण उन्हें संसद का सामना करने का मौका भी नहीं मिला।

Kisan Diwas 2024: प्रधानमंत्री के रूप में योगदान (Contribution as Prime Minister)

किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह ने सन 1979 से 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्य किया। हालांकि, उनका प्रधानमंत्री पद का कार्यकाल छोटा था। लेकिन उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं बनाई। जो आज भी किसानों के लिए लाभकारी हैं। जब चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने तो देश में राजनीति की स्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

Kisan Diwas 2024: किसान दिवस का उद्देश्य और महत्व (Purpose and Importance of Kisan Diwas)

देश में चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन देश में राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। किसान दिवस का मुख्य उद्देश्य भारतीय किसानों के योगदान को मान्यता दिलाने के साथ ही उनके संघर्षों के बारे में जागरूक करना है। यह दिन खासतौर पर कृषि प्रमुख पेशा वाले प्रदेश जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को अपनी समस्याओं और लक्ष्यों के बारे में बात करने का अवसर मिलता है। भारत में किसानों का जीवन कई कठिनाइयों से भरा हुआ है। जैसे कम मजदूरी, गरीबी और खेती की अधिक लागत, बाजार तक सीमित पहुंच समेत अन्य परेशानी हैं। राष्ट्रीय किसान दिवस इस जीवन संघर्ष को समझने और उसका समाधान खोजने का एक प्रयास है। इस दिन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नवाचारों से किसानों को अवगत कराया जाता है। जिससे अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकें।

Kisan Diwas 2024: राष्ट्रीय किसान दिवस की थीम (National Farmers Day 2024 Theme)

हर साल राष्ट्रीय किसान दिवस (Kisan Diwas) एक विशिष्ट थीम पर आधारित होता है। जो कृषि और किसानों की प्रासंगिक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित होता है। इस साल यानी 2024 की थीम “सतत कृषि और ग्रामीण सशक्तिकरण” का उद्देश्य किसानों को स्थायी कृषि पद्धतियों के महत्व को समझाना और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है। इस दिन को विशेष रूप से मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। जिनका लक्ष्य किसानों की बेहतरी और ग्रामीण क्षेत्रों की प्रगति सुनिश्चित करना है।

Kisan Diwas 2024: राष्ट्रीय किसान दिवस पर होने वाले आयोजन (Events to be held on National Farmers Day)

किसान मेले: इन मेलों में किसानों को उन्नत उपकरण, नई तकनीक और कृषि संबंधित जानकारी प्रदान की जाती है।

कार्यशालाएं और सेमिनार: इनसेमिनार में कृषि विशेषज्ञ और किसान आपस में चर्चा करते हैं और समस्याओं के समाधान खोजते हैं।

पुरस्कार समारोह: उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले किसानों को सम्मानित किया जाता है। स्कूल और कॉलेज गतिविधियां: विद्यार्थियों को कृषि और किसानों के योगदान के बारे में जागरूक किया जाता है।

Kisan Diwas 2024: चौधरी चरण सिंह का योगदान (Contribution of Chaudhary Charan Singh)

चौधरी चरण सिंह ने किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा संघर्ष किया। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने 1978 में किसान ट्रस्ट की स्थापना की। किसान ट्रस्ट का उद्देश्य ग्रामीण जनता को न्याय के बारे में शिक्षित करना और उन्हें एकजुट करना था। उनके द्वारा ही शुरू किए गए कार्यक्रमों और योजनाओं ने न केवल किसानों की स्थितियों को सुधारने में मदद की। बल्कि कृषि क्षेत्र में भी स्थिरता और समृद्धि लाने का कार्य किया।

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