Fertilizer News: देशभर में रबी सीजन की फसलों की बुवाई में किसान जुटे हुए हैं। बुवाई से पहले उन्नतशील बीज के साथ ही किसान खाद जुटाने में व्यस्त हैं। किसान अभी डीएपी की किल्लत जूझ रहे हैं। इसकी वजह ये है कि सरसों, गेंहू और आलू की बुवाई में डीएपी का खूब उपयोग कर रहे हैं। जबकि, एक ऐसी खाद एनपीके है, जिसमें पौधों के लिए जरूरी तीन पोषक तत्व हैं। जिसकी उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों में भरमार है। मगर, किसान ये खाद खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। जबकि, ये खाद डीएपी से सस्ती है। आइए, एनपीके खाद के बारे में जानते हैं.
Fertilizer News: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, राजस्थान में किसान अपने खेतों में सरसों (Mustard) , आलू (Potato) और गेंहू (Wheat) के साथ ही तमाम सब्जियों (Vegetables) को बुवाई करने जुटे हैं। रबी सीजन (Rabi Season Crops) की फसलों को लेकर उर्वरक (Fertilizer News) को लेकर मारामारी मची है। किसानों की डिमांड में डीएपी (DAP) उर्वरक है, जिसकी वजह से डीएपी की कालाबाजारी और किल्लत बनी हुई है। मगर, डीएपी के साथ ही एक ऐसी भी खाद यानी (Fertilizer News) है, जो फसलों में अच्छी पैदावार दे सकता है। मगर, किसान इसके बारे में जागरुक नहीं हैं। किसानों डीएपी के साथ फसल बुवाई की होड़ मची है। जी हां, इस खाद का नाम एनपीके खाद (NPK Fertilizer) की। NPK के उपयोग से पौधों का बेहतर विकास होने के साथ ही पौधों की जडें भी मजबूत होती हैं। जिससे ही फसलों (Crops) में भरपूर पैदावार होती है। मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार भी किसानों से एनपीके के इस्तेमाल करने की सलाह और अपील कर रही है. आइए, एनपीके (NPK) के पोषक तत्व (Nutrients) और उसकी उपलब्धता के बारे में जानते हैं…
यूपी, एमपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, बिहार और अन्य प्रदेश में रबी की सीजन को लेकर डाई अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की डिमांड अधिक है। जिसकी वजह से ही हर प्रदेश में डीएपी की किल्लत है। यूपी में खाद की कालाबाजारी और जमाखोरी (Hoarding DAP) करने वालों पर मुकदमा दर्ज कराए गए हैं। जिसमें से सबसे अधिक मुकदमे आगरा जिले में दर्ज कराए गए हैं। आगरा में खाद की किल्लत की गूंज लखनऊ तक पहुंची।
फसल में एक ही तरह के उर्वरक का प्रयोग नहीं करें (Do not use the same type of fertilizer in the crop)
जबलपुर स्थित किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग (Farmer Welfare and Agricultural Development Department in Jabalpur) के उपसंचालक डॉ. एस के निगम बताते हैं कि किसानों से फसलों में एक ही तरह के उर्वरकों का उपयोग नहीं करना चाहिए। किसान खेत की तैयारी के दौरान गोबर एवं केंचुए की खाद खेत में डालनी चाहिए। इसके साथ ही मृदा की जांच रिपोर्ट के आधार पर फसल की बुवाई के साथ एनपीके उर्वरक का उपयोग करना चाहिए। जब किसान खेती के दौरान संतुलित उर्वरकों का उपयोग करेंगे तो कम लागत में अच्छा उत्पादन ले सकेंगे। जिससे पैदावार में बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही भूमि, जल और पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा।
आवश्यकता से अधिक नहीं करें उर्वरकों का उपयोग (Do not use more fertilizers than required)
कृषि विभाग के उपसंचालक (Deputy Director Dr. SK Nigam) डॉ. एस के निगम बताते हैं कि किसानों को एनकेपी उर्वरक (NPK Fertilizer) का उपयोग फसलों की बुवाई के समय नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा और फॉस्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा के साथ आधार उर्वरक के रूप में करना चाहिए। आवश्यकता से अधिक उर्वरक का प्रयोग नहीं करेंगे तो इससे जहां फसलों की लागत बढ़ेगी। इसके साथ ही खेत की मिट्टी और पानी दशा भी खराब होगी। इससे फसलों में कीड़ों व बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है। जिसके नियंत्रण के लिए किसानों को कीटनाशकों खरीदने पर भी अलग से खर्च करना होगा।
एनपीके खाद के उपयोग से क्या होगा लाभ (What will be the benefit of using NPK fertilizer)
कृषि विभाग के उपसंचालक डॉ. एस के निगम बताते हैं कि एनपीके खाद के इस्तेमाल से फसलों के बीजों के वजन, चमक और गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है। क्योंकि, एनपीके उर्वरक में पोटाश की मात्रा होती है। जो बिना अतिरिक्त रुपये खर्च किए ही किसान को मिलती है। इसी पोटाश की वजह से बीजों में चमक के साथ ही वजन भी अच्छा होता है। जिससे फसल से उत्पादन अधिक और क्वालिटी भी अच्छी मिलती है। यही वजह है कि किसान फसल की बुवाई और बाद में एनपीके का इस्तेमाल करेंगे तो कम रुपये में अच्छी पैदावार मिलेगी।
Fertilizer News: क्या है एनपीके खाद (What is NPK fertilizer)
एनपीके खाद नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पाटेशियम का आनुपातिक मिश्रण से तैयार किया जाता है। एपीके (NPK) , नाइट्रोजन के लिए (N), फॉस्फोरस के लिए (P) और पाटेशियम के लिए (K) अक्षर प्रतीक के रूप में प्रयुक्त किया गया है। एनपीके में तीनों पोषक तत्वों का अनुपात अलग अलग तरह से होता है। जिससे ही अलग अलग तरह की एनपीके खाद बनकर तैयार होती है। समझें तो यदि एनपीके खाद की बोरी पर यदि 20:20:20 लिखा है। यानी एपीके (NPK) में 20 प्रतिशत नाइट्रोजन, 20 प्रतिशत फॉस्फोरस और 20 प्रतिशत पोटेशियम है। ये तीनों तत्व ही पौधों के बेहतर पोषण के लिए जरूरी है। यदि किसान फसलों में एपीके खाद का प्रयोग करता है तो इसके बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। इससे फसलों का बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
Fertilizer News: एनपीके, एमओपी, एसएसपी समेत अन्य खादें भी लें किसान (Farmers fertilizers including NPK, MOP, SSP)
आगरा के जिला कृषि अधिकारी (District Agriculture Officer Vinod Kumar Singh) विनोद कुमार सिंह ने बताया कि खाद का मतलब (फॉस्फेटिक उर्वरक हैं) केवल डीएपी नहीं है। इसके अलावा एनपीके, एमओपी, एसएसपी समेत अन्य खादें (Farmers should also take other fertilizers including NPK, MOP, SSP)भी हैं। सरकार की ओर से इनका आवंटन भी हर जिले में किया गया है. किसानों की खाद के रूप में डीएपी सबसे ज्यादा पसंद है। फसल की बुवाई से काफी समय पहले ही डीएपी खरीदकर रखने की वजह से ही ये परेशानी हो रही है।
खतौनी के आधार पर डीपीए का वितरण (Distribution of DPA on the basis of Khatauni)
दूसरी तरफ शासन से खाद की मात्रा को लेकर नियमों में सख्ती हो रही है। खतौनी के आधार पर ही निर्धारित मात्रा मिल रही है, जबकि किसानों की डिमांड इससे कहीं ज्यादा है। 20-25 किलोग्राम प्रति बीघा खाद का इस्तेमाल करने की बात की जाती है, लेकिन ज्यादातर किसान आलू की फसल में 40-50 किलोग्राम प्रति बीघा डीएपी देने का प्रयास करते हैं। आगरा में अभी एनपीके 10 हजार मीट्रिक टन से अधिक और डीएपी चार हजार मीट्रिक टन से अधिक उपलब्ध है। आगरा के जिला कृषि अधिकारी (District Agriculture Officer Vinod Kumar Singh) विनोद कुमार सिंह ने बताया कि जिले के किसानों के लिए खाद की कोई कमी नहीं है। पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। आलू फसल की बुवाई चल रही है। बी-पैक्स के अलावा खाद की दुकानों पर खाद की पर्याप्त उपलब्धता है। किसान डीएपी की तुलना में एनपीके का इस्तेमाल ज्यादा करें। इससे फसल की लागत कम होगी और पैदावार पूरी मिलेगी। फसलों की कम लागत एनपीके के उपयोग से कम आएगी।
आगरा में एनपीके और डीएपी की उपलब्धता (Availability of NPK and DAP in Agra)
जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि अक्टूबर माह की बता करें तो शुरूआत में एनपीके की उपलब्धता लगभग 11,294 मीट्रिक टन थी। जिसके बाद लगभग 2,984 से मीट्रिक टन एनपीके और मिली। इसमें से लगभग 4,486 मीट्रिक टन बिक्री हो चुकी है। इसके बाद 10 हजार मीट्रिक टन से अधिक एनपीके की उपलब्धता अभी जिले में है। जिले में डीएपी लगभग 10,724 मीट्रिक टन की उपलब्धता थी। इसके बाद लगभग 4,065 मीट्रिक टन डीएपी और मिल गई। लगभग 12,185 मीट्रिक टन डीएपी की बिक्री हो चुकी है। इसके बाद भी लगभग 4,056 मीट्रिक टन डीएपी की उपलब्ध है।
एनपीके यानी तीन पोषक तत्वों की खाद (NPK means fertilizer of three nutrients)
जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि किसानों से बार-बार अनुरोध किया जा रहा है कि खाद की डोज पर ध्यान दें। केवल डीएपी ही खाद नहीं है। फसलों के लिए संतुलित खाद के रूप में एनपीके बहुत अच्छा है। आलू की फसल के अलावा तिलहन, दलहन और अन्न वाली फसलों में कम लागत से पूरी पैदावार लेने के लिए किसान एनपीके का प्रयोग करें। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरश और पोटोश जो फसल के मुख्स पोषक तत्व होते हैं वो तीनों की मौजूद हैं।
Q: एनपीके खाद में क्या-क्या आता है? (What is included in NPK fertilizer?)
A: एनपीके (NPK) एक रासायनिक है। एनपीके ऐसा उर्वरक है, जिसके उपयोग से पौधों की वृद्धि और समग्र पौधे के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक तीन आवश्यक पोषक तत्व नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटेशियम (K) मिलते हैं।
Q: एनपीके खाद क्या काम करती है? (What does NPK fertilizer do?)
A: एनपीके एक रासायनिक उर्वरक है। जिसमें मुख्य रूप से तीन मुख्य तत्व का कॉम्बिनेशन होता है। ये तत्व नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) हैं। जो पौधों के पोषण के लिए अति आवश्यक हैं। जहां नाइट्रोजन के पोषण से पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं। इसके साथ ही बीज और फलों के उत्पादन को भी बढ़ाता है। ये प्रकाश संश्लेषण में भी सहायता करता है। फॉस्फोरस से पौधे की स्वस्थ जड़ों का विकास के साथ ही अंकुरों का तेज़ी से विकास है। इसके साथ ही फलों, सब्ज़ियों, और अनाज की गुणवत्ता में सुधार होता है। पोटेशियम (K) से पौधों की वृद्धि तेजी से होती है। पोटेशियम की आवश्यकता नाइट्रोजन की आवश्यकता के लगभग बराबर हो सकती है।
Q: NPK कितने प्रकार के होते हैं? (How many types of NPK are there?)
A: इफको के मुताबिक एनपीके उर्वरक कई कॉम्बिनेशन में तैयार किया जाता है। NPK के कई प्रकार में अलग अलग फॉर्मूलेशन शामिल हैं। जिनमें NPK 19-19-19, NPK 0-52-34, NPK 20-20-20, NPK 15-15-15 समेत अन्य कॉम्बिनेशन के मिश्रण शामिल हैं। हर कॉम्बिनेशन का मिश्रण पौधों की जरूरत के हिसाब से बनाया जाता है। जिसे पौधों की अच्छी वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिज जाते हैं।
Q: DAP और NPK में क्या अंतर है? (What is the difference between Dap and NPK?)
A: डीएपी और एनपीके वैसे तो उर्वक हैं। मगर, दोनों समानता नहीं है। एनपीके का मतलब ऐसा उर्वरक जिसमें नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) का विभिन्न अनुपात हो सकता है। एनपीके का कॉम्बिनेशन पौधे की जरूरत के मुताबिक बनाया जाता है। ये कॉम्बिलेशन अलग अलग होता है। पौधे के लिए जरूरी होता है। ऐसे ही डीएपी का मतलब डाय अमोनियम फॉस्फेट है। जो रासायनिक उर्वरक है। जिसकी किसानों में खूब डिमांड रहती है।
- DAP Black Market
- DAP Fertilizer Overpricing
- Do not store Fertilizer
- n p k खाद का पूरा नाम
- NPK 20:20:13
- NPK Better उर्वरक
- Npk खाद क्या है
- npk खाद में क्या-क्या होता है ?
- NPK में तीन पोषक तत्व
- Potato Farming
- Rabi season crops
- एनपीके 12 32 16 मूल्य
- एनपीके खाद का रेट क्या है
- डीएपी खाद के नुकसान
- डीएपी खाद में क्या-क्या होता है
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