Farming Tips: यूपी की राजधानी लखनऊ के केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH) के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला ने अमरूद और आम का बाग साथ लगाने की सलाह देते हैं. बारिश के मौसम में बाग लगाना चाहिए.
लखनऊ (उत्तर प्रदेश).
Farming Tips: केंद्र और प्रदेश सरकारों का जोर किसानों की आमदनी बढाने (increasing the income of farmers) पर है. इसको लेकर नई-नई योजनाएं लाने के साथ ही सरकारें अत्याधुनिक तकनीकि पर खूब छूट दे रही हैं. यही वजह से है कि, पारंपरिक खेती (traditional farming) छोड़कर किसानों का रूझान अत्याधुनिक खेती (modern farming) के साथ ही बागवानी (Horticulture) की ओर तेजी से बढ़ रहा है. बागवानी से किसानों को मोटी कमाई हो रही है. ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान यानी Central Institute of Subtropical Horticulture (ICAR- CISH) रहमानखेड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला की बागवानों को सलाह है कि, नए बाग लगाने से पहले पूरी योजना बनाएं. यदि बागवान भाई, अपने नए बाग में आम और अमरूद के पौधे साथ -साथ लगायें तो उनकी मोटी कमाई और अधिक समय तक होगी. आइए, जानते है वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला के नया बाग लगाने के जरूरी टिप्स और ट्रिक्स.
बता दें कि अमरूद अपने पोषक गुणों (nutritional properties) और वाजिब दाम की वजह से गरीबों का सेब कहलाता है. यूपी के अमरूद अपनी मिठास के लिए खूब मशहूर हैं. योगी सरकार भी प्रदेश में खूब बागवानी को
बढावा दे रही है. जिससे ही किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
CISH की ये हैं विकसित किस्में (varieties developed by CISH)
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों की टीमों ने अमरूदों की कई अच्छी प्रजातियां विकसित की हैं. जो अपनी मिठास, रंग और स्वाद की वजह से लोगों को खूब पसंद आती हैं. जिससे जहां लोगों को अच्छे अमरूद खाने को मिल रहे हैं तो बागवानों की कमाई भी अच्छी हो रही है.
ललित प्रजाति: CISH के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला बताते हैं कि, अमरूद की ललित प्रजाति (Lalit variety) के फल भीतर से गुलाबी एवं बाहर से आकर्षक लाल आभायुक्त केसरिया पीले रंग के होते हैं. अमरूद के फल का गूदा सख्त होने के साथ ही शर्करा व अम्ल से भरपूर होता है. इस प्रजाति के फल में शर्करा और अम्ल का अनुपात बेहतर रहता हे. अमरूद की नई ललित प्रजाति की बात करें तो ये अमरूद की लोकप्रिय किस्म इलाहाबाद सफेदा की अपेक्षा औसतन 24 प्रतिशत अधिक उपज देती है. इसकी वजह से प्रजाति के पौधों का रोपण व्यावसायिक खेती में किया जा रहा है.
श्वेता प्रजाति: ये एप्पल कलर अमरूद की प्रजाति (Shweta variety) है. इस प्रजाति पौधों के फल थोड़े गोल होते हैं. फलों का औसत आकार करीब 225 ग्राम और बीज मुलायम होता है. सीजन में अमरूद के एक पेड़ से करीब 90 किग्रा फल मिलते हैं.
धवल प्रजाति: अमरूद की ये Dhwal variety (प्रजाति) इलाहाबाद सफेदा से भी लगभग 20 फीसद से अधिक फल देती है. इसका फल गोल, चिकने एवं मध्यम आकार होने के साथ ही करीब 200-250 ग्राम का होता है. पकने पर इन फलों का रंग हल्का पीला और गूदा सफेद, मृदु सुवासयुक्त मीठा होता है. बीज भी अपेक्षाकृत खाने में मुलायम होता है.
लालिमा प्रजाति: अमरूद की इस प्रजाति (Lalima variety) एप्पल ग्वावा से चयनित किस्म है. इस प्रजाति में फलों का रंग लाल होता है. प्रति फल औसत वजन 190 ग्राम होता है.
हर तरह की भूमि पर लगा सकते हैं अमरूद (Guava can be planted on any type of land)
CISH के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला बताते हैं कि, अमरूद का बाग किसी भी तरह की जमीन पर लगाए जा सकता है. बाग से जलनिकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. वैसे अमरूद का पौधा बलुई दोमट मिट्टी में अचछी तरह से ग्रोथ करता है. अमरूद का नया बाग लगाते समय पौध से पौध और लाइन से लाइन की मानक दूरी 5 से 6 मीटर रखनी चाहिए. अमरूद के पौधों बड़े होने में 4 से 5 साल का समय लगता है. ऐसे में इन पौधे के बीच की जमीन में सीजन के हिसाब से इंटर क्रॉपिंग भी की जा सकती है. अगर, किसान को सघन बागवानी करनी है तो पौधे से पौधे के साथ ही लाइन से लाइन की दूरी आधी सकते हैं. मानसून सीजन में नए बाग को लगाना चाहिए. इसके साथ ही सिंचाई का संसाधन होने पर फरवरी- मार्च में भी अमरूद का बाग लगाया जा सकता है.
आम के साथ अमरूद के पौधे भी लगाएं (Plant guava plants along with mango
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला बताते हैं कि, बागवानी में अधिक कमाई के लिए बगावान भाईयों को कुछ नए इनोवेशन भी करने होंगे. अभी हमने देखा कि, यदि बाग लगाने में आम के साथ अमरूद के भी पौधे लगाए जाएं तो ज्यादा मुनाफा देगा. जब आम का नया बाग लगाते हैं तो आम के पौधों की लाइन से लाइन की दूरी 10 मीटर रखें. इसके साथ ही दो आम के पौधों और लाइन से लाइन के बीच में 5 से 5 मीटर पर अमरूद के पौधे लगाएं. इससे अमरूद के काफी पौधे लग जाएंगे. इसके साथ ही बागवानों की दोहरी फसल मिलने से मुनाफा होगा.
खनिज, विटामिंस और रेशा से भरपूर अमरूद (Guava is full of minerals, vitamins and fiber)
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन बताते हैं कि, अमरूद खास स्वाद और सुगंध के अलावा विटामिन सी से भरपूर होता है. अमरूद में शर्करा, पेक्टिन भी होता है. इसके साथ ही अमरूद में खनिज, विटामिंस और रेशा भी खूब होता है. इसलिए अमरूद अमृत फल और गरीबों का सेब कहते हैं. अमरूद के ताजे फलों के सेवन के साथ ही इनकी प्रोसेसिंग करके चटनी, जेली, जेम, जूस और मुरब्बा समेत अन्य उत्पाद बना सकते हैं.
प्रति 100 ग्राम अमरूद में मिलने वाले पोषक तत्व
- नमी 81.7
- फाइबर 5.2
- कार्बोज 11.2
- प्रोटीन 0.9
- वसा 0.3
(अमरूद में कैल्शियम, फॉस्फोरस, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, आयरन समेत अन्य पौषक तत्व भी होते हैं)
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