Fake Fertilizers and Pesticides: आधुनिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक दवाओं से फसलों का उत्पादन बढ़ा रहा है। लेकिन यदि ये उर्वरक और कीटनाशक नकली हैं तो किसानों की मुसीबत बढ़ी है। नकली उत्पाद से फसलों में नुकसान से किसानों के सपने तबाह हो रहे हैं। नकली उत्पादों का कारोबार बढ़ रहा है। जिनकी बाजार में भरमार है। आइये, आगरा के बिचपुरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान की सलाह जानते हैं।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
Fake Fertilizers and Pesticides: केंद्र और प्रदेश सरकारें किसानों (Farmers) की आमदनी बढ़ाने के लिए तमाम योजनाएं चल रहीं हैं। देश के अनुसंधान केंद्रों में कम लागत में ज्यादा पैदावार देने वाले उन्नतशील बीज विकसित किये जा रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक (Agricultural Scientists) भी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने और जैविक खाद एवं दवाओं का इस्तेमाल करने पर सरकारें (Central & State Governments) जोर दे रही हैं। वहीं, बाजार में माफिया नकली खाद, नकली दवाएं (Fake Fertilizers and Pesticides) और घटिया किस्म के बीजों को खपा रहे हैं, जिससे किसानों को आर्थिक, मानसिक और व्यवसायिक नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे उत्पादों से फसलों की लागत पूरी होने के बाद भी उत्पादन (Products) किसानों को काम ही मिल रहा है।
Fake Fertilizers and Pesticides: नकली रासायनिक दवाओं का प्रभाव (Effect)
आगरा के बिचपुरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra, Bichpuri, Agra) के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि फसलों में नकली और मिलावटी कीटनाशकों, खरपतवार नाशकों एवं अन्य रासायनिक दावों (Fake Fertilizers and Pesticides) का लगातार इस्तेमाल खेत की मृदा को बंजर बना सकता है। इससे खाद्य जनित बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इनमें मौजूद खतरनाक अवशेष वायुजनित और जलजनित बीमारियों का भी कारण बन सकते हैं। ऐसी अर्थव्यवस्था में जहां किसान विनियामक देरी, बिचौलियों के हस्तक्षेप, मुद्रास्फीति और पर्याप्त भंडारण सुविधाओं के अभाव से पीड़ित हैं। नकली कीटनाशकों के कारण किसानों को तीव्र श्वसन संकट, विषाक्तता और कैंसर जैसे घातक रोग ग्रस्त कर सकते हैं। दूरदराज के इलाकों में जहां स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा और आपातकालीन परिवहन सुविधाएं न होने के कारण नकली कीटनाशकों, खरपतवार नाशकों आदि रासायनिक दवाओं की कीमत किसान की जान पर बन सकती है।
Fake Fertilizers and Pesticides: किसानों में जागरूकता की कमी (Lack of awareness among farmers)
वरिष्ठ वैज्ञानिक (Senior Scientist Dr. Rajendra Singh Chauhan) डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि किसानों में साक्षरता दर में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी हमें बहुत आगे जाना है। भोले-भाले गरीब और अनपढ़ किसानों को ठगना आसान हो गया है। जालसाज किसानों की जागरूकता की कमी का फायदा उठाते हैं और उन्हें नकली कीटनाशक, खरपतवार नाशक (Fake Fertilizers and Pesticides) और अन्य रासायनिक दवाएं बेचते हैं।
पक्का बिल लेने के बाद मुआवजा संभव (Compensation possible after getting a proper bill)
आगरा के जिला कृषि अधिकारी (District Agriculture Officer) व प्रभारी जिला कृषि रक्षा अधिकारी विनोद कुमार सिंह का कहना है कि नकली बीजों, उर्वरकों (Fake Fertilizers and Pesticides) और दवाओं को लेकर किसान जब शिकायत करते हैं उनके पास पक्का बिल नहीं होता है, जिसकी वजह से किसान को हुए नुकसान का उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिल पाता है। उनका कहना है कि किसान लाइसेंस वाली दुकान से ही खाद, बीज और दवाएं खरीदें। जो भी उत्पाद खरीद रहे हैं, उसका दुकानदार से पक्का बिल जरूर लें। यदि किसान दुकानदार से पक्का बिल प्राप्त करता है तो नुकसान होने की स्थिति में वह अपने उपभोक्ता अधिकारों का उपयोग कर सकता है। कृषि विभाग द्वारा भी उक्त दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। पक्का बिल होने से पीड़ित किसान को मुआवजा मिलना संभव है।
जैविक दवाओं का करें इस्तेमाल, घर पर करें तैयार (Use organic medicines, prepare them at home)
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि किसान कीटनाशकों का निर्माण घर पर ही कर सकते हैं। यह जैविक भी होगा और इससे फसल एवं मिट्टी भी सुरक्षित रहेगी। इसका मुख्य उद्देश्य कीटों का नियंत्रण करना, किसान ब्रह्मास्त्र, निमास्त्र, अग्नियास्त्र जैसे जैविक कीटनाशकों (Fake Fertilizers and Pesticides) का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा स्टिकी ट्रैप का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। येलो स्टिकी ट्रैप या फिर रंग-बिरंगे स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनका इस्तेमाल करके भी कीटों का नियंत्रण कर सकते हैं।
नकली रासायनिक दवाई बनीं किसानों की मुसीबत (Fake chemical medicines have become a problem for farmers)
खेतीबाड़ी की ओर लोगों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। पढ़ा लिखा वर्ग भी अब खेती करने में रुचि दिखा रहा है। किसान भी खेतीबाड़ी में आधुनिक हो रहे हैं। हाइब्रिड बीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। विभिन्न प्रकार के रासायनिक खाद (Fake Fertilizers and Pesticides) भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जिससे लगातार फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में फसलों को ज्यादा नुकसान न हो, उसके लिए तरह-तरह के कीटनाशकों, खरपतवार नाशकों आदि रासायनिक दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। किसानों के लिए नकली खाद, नकली बीज के बाद अब नकली रासायनिक दवाएं एक बड़ी मुसीबत बन गईं हैं। ऐसे में रासायनिक दवाएं खरीदते समय कुछ सावधानी बरती जाए तो नकली दवाओं के उत्पादों से बचा जा सकता है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. चौहान की सलाह, किसान इन बातों का विशेष ध्यान रखें
▪️ जिन दुकानदारों के पास कृषि विभाग से मिलने वाला लाइसेंस है उनसे ही दवाएं खरीदें।
▪️किसान इनटरनेट सौदों से बचें जो बहुत अच्छे लगते हैं।
▪️ऐसी कीटनाशक, खरपतवार नाशक एवं अन्य रासायनिक दवाएं कभी न खरीदें, जिन पर अंग्रेजी-हिंदी में निर्देश न लिखे हों।
▪️बोतल, पैकेट पर उचित लेबल हो, जिसमें EPA पंजीकरण संख्या शामिल हो।
▪️लेबल स्पष्ट रूप से सक्रिय घटक नामों की पहचान करता है।
▪️सभी ईपीए पंजीकृत दवाओं के सक्रिय घटक लेबल पर स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध होते हैं।
▪️सभी दवाएं पक्के बिल पर खरीदें, जिससे आप दुकानदार पर क्लेम कर सकें
▪️ फसल में इस्तेमाल की गई दावों की बोतल पैकेट आज सामग्री को सुरक्षित रख लें, फसल में नुकसान होने पर यह सभी काम आएंगे
▪️पैकिंग पर विभिन्न प्रकार के लेबल लगे होते हैं जैसे दवा का निर्माण कब किया गया है, इस दवा की एक्सपायरी डेट कब है, इस दवा की बैच संख्या क्या है ये सभी चीजें ध्यान से देखें।
▪️ बोतल अथवा पैकेट है, उसकी सील को अच्छी तरह से देखें कहीं व टूटी, कटी-फटी या उसमें कोई लीकेज तो नहीं।
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