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Electricity Privatisation in UP: देश के हर प्रदेश की राजधानी में आज विरोध प्रदर्शन #kisanvoice

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Electricity Privatisation in UP: उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है। बिजली कर्मचारियों की विरोध सभाएं हो रही हैं। प्रदेश में बिजली निजीकरण के ​विरोध में प्रदेश की राजधानी में आज विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

आगरा, उत्तर प्रदेश.

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Electricity Privatisation in UP: उप्र में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण (Electricity Privatisation in UP) से बिजली कर्मचारियों में आक्रोश है। बिजली कर्मचारी लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विद्युत कर्मचारी संघ के संघर्ष समिति और नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (National Coordination Committee of Electricity Employees and Engineers) की ओर उप्र और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हो रहा है। जिसमें ही 23 जनवरी यानी आज यूपी की राजधानी के साथ ही अन्य प्रदेशों की राजधानी में बिजली निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया जाएगा।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करने का सरकार ने ऐलान किया है। तभी से बिजली कर्मचारी विरोध में उतर आए हैं। बिजली कर्मचारी लगातार बिजली निजीकरण (Electricity Privatisation in UP) का विरोध में जिला मुख्यालय, कार्यालय पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बाद अलग अलग शहरों में बिजली पंचायत (Bijali Panchayats) की गईं। उत्तर प्रदेश में लगातार बिजली कर्मचारी काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

Electricity Privatisation in UP: हर प्रदेश की राजधानी में 23 जनवरी को प्रदर्शन (Protests in the country on January 23)
(Photo Credit: Kisan Voice)
Electricity Privatisation in UP: हर प्रदेश की राजधानी में 23 जनवरी को प्रदर्शन (Protests in the country on January 23)

दरअसल, नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (National Coordination Committee of Electricity Employees and Engineers) के पदाधिकारियों ने बिजली निजीकरण के विरोध को रणनीति बनाई है। जिसके चलते ही संगठन ने उप्र और चंडीगढ में बिजली निजीकरण के लिए होने वाली प्री बिडिंग कांफ्रेंस को विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई। जिसके चलते ही अब उप्र की राजधानी 23 जनवरी के साथ ही सभी प्रदेश की राजधानियों में बिजली कर्मी विरोध प्रदर्शन करेंगे। जिसके साथ ही प्रेस कांफ्रेंस करके निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने की मांग करेंगे। इसके साथ ही 31 जनवरी को देश के समस्त प्रांतों में जनपद एवं परियोजना मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन और 01 फरवरी को चंडीगढ़ की बिजली व्यवस्था निजी कंपनी द्वारा अधिग्रहीत किए जाने की योजना के विरोध करेंगे।

Electricity Privatisation in UP: बिजली कर्मचारियों में प्रतिदिन बढ़ रहा गुस्सा (Anger among electricity employees is increasing day by day)

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि बुधवार को बिजली कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। अब 23 जनवरी को निजीकरण के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए होने वाली प्री बिडिंग कांफ्रेंस के विरोध में प्रदेश के बिजली कर्मी भोजन अवकाश के दौरान कार्यालय से बाहर आकर प्रदर्शन करेंगे। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। माननीय उच्च न्यायालय के 5 दिसंबर 2024 के निर्णय के बावजूद पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन और सरकार ने अभी तक विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ निजीकरण जैसे बिजली कर्मियों को प्रभावित करने वाले अत्यधिक गंभीर मामले पर एक बार भी बातचीत नहीं की है। प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का गुस्सा दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। बिजली कर्मचारी शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। यह विरोध तब तक जारी रहेगा। जब तक सरकार निजीकरण का फैसला वापस नहीं लेगी।

Electricity Privatisation in UP: बिजली कर्मचारियों को सीएम योगी पर पूरा विश्वास (Electricity employees have full faith in CM Yogi)
(Photo Credit: Kisan Voice)
Electricity Privatisation in UP: बिजली कर्मचारियों को सीएम योगी पर पूरा विश्वास (Electricity employees have full faith in CM Yogi)

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि उप्र में निजीकरण के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने के पहले सरकार को अन्य प्रांतों में और उत्तर प्रदेश में आगरा एवं ग्रेटर नोएडा में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता पर संघर्ष समिति से वार्ता करनी चाहिए। 5 अप्रैल 2018 और 6 अक्टूबर 2020 के समझौतों के अनुरूप विद्युत वितरण निगमों के वर्तमान ढांचे में ही बिजली व्यवस्था में कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सुधार करना चाहिए। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि बिजली कर्मचारियों को प्रदेश के मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बिजली कर्मी लगातार सुधार कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री पिछले तीन वर्ष में अनेक बार ट्वीट करके सुधार हेतु बिजली कर्मचारियों की प्रशंसा करते रहे हैं। अब इससे ठीक उलट निजीकरण की बातें करना का क्या औचित्य है?

Electricity Privatisation in UP: बिजली कर्मचारी सुधार के लिए तैयार (Electricity employees ready for reform)

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि यदि सरकार का उद्देश्य सचमुच बिजली व्यवस्था में सुधार करना है तो बिजली कर्मचारी सुधार के लिए हमेशा तैयार हैं। सुधार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी तरह संकल्प बद्ध हैं। बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण को स्वीकार नहीं करेंगे। उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में 23 जनवरी को देश के सभी प्रांतों की राजधानियों में बिजली कर्मचारियों के प्रदर्शन किया जाएगा। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के बैनर तले देश के लाखों बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और इंजीनियर इन विरोध प्रदर्शनों में अलग-अलग प्रांतों की राजधानियों में सम्मिलित होंगे।

Electricity Privatisation in UP: विरोध प्रदर्शन में ये संगठन शामिल होंगे (These organizations will be involved)
(Photo Credit: Kisan Voice)
Electricity Privatisation in UP: विरोध प्रदर्शन में ये संगठन शामिल होंगे (These organizations will be involved)

नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (NCCEEE) में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन,ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन, ऑल इंडिया पॉवर मेन्स फेडरेशन प्रमुख अखिल भारतीय फेडरेशन भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं।

Electricity Privatisation in UP: यूपी में काली पट्टी बांधकर निजीकरण का विरोध (Opposition to privatisation by wearing black bands)

बता दें कि यूपी में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंता काली पट्टी बांधकर निजीकरण का विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यूपी के सभी जिले और परियोजनाओं पर भोजन अवकाश या कार्यालय समय के उपरान्त विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यूपी की बात करें तो मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, नोएडा, मुरादाबाद, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर, पनकी, ओबरा, पिपरी, अनपरा, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, झांसी, बांदा,आगरा, कानपुर में बड़ी विरोध सभाएं हो रही हैं।

Electricity Privatisation in UP: यूपी सरकार प्री बिडिंग कांफ्रेंस तत्काल रद्द करे (Pre Bidding Conference should be cancelled immediately in UP)

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आंदोलन हो रहा है। कर्मचारियों की मांग है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण को लेकर ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए प्री बिडिंग कांफ्रेंस तत्काल रद्द की जाए। इसको लेकर ही प्रदेश में बिजली कर्मचारियों में आक्रोश है।

Electricity Privatisation in UP: यूपी में काली पट्टी बांधकर विरोध सभाएं (Protest meetings with black bands in UP)

यूपी सरकार के बिजली निजीकरण के ऐलान के बाद बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की छंटनी की जाएगी। निजीकरण (Privatization Of Electricity) के पहले ही यूपी में बड़े स्तर पर आउटसोर्स कर्मियों (outsourced workers) को हटाने काम चल रहा है। जिससे बिजली कर्मियों में आक्रोश है। यूपी में इसके विरोध में ही बिजली कर्मचारी काली पट्टी (black bands) बांधकर कर रहे हैं। हर जिले में विरोध में सभाएं की जा रही हैं। काली पट्टी बांधकर विरोध सभा (Protest Meetings) कर्मचारी कर रहे हैं।

Electricity Privatisation in UP: यूपी में काली पट्टी बांधकर विरोध सभाएं (Protest meetings with black bands in UP)
(Photo Credit: Kisan Voice)
Electricity Privatisation in UP: बिजली कर्मचारियों के साथ लिखित समझौता किया (Written agreement made with electricity employees)

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आरोप है कि विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष बिजली के निजीकरण पर दिए गए बयान को अवांछनी और भड़काने वाला है। विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन का अध्यक्ष रहते समय बिजली कर्मचारियों के साथ लिखित समझौता किया था। जिसमें बिजली का निजीकरण नहीं करने की बात कही थी। विद्युत वितरण के मौजूदा ढांचे में ही बिजली व्यवस्था में सुधार का कार्य करने का दावा किया था। अब उनके द्वारा निजीकरण के संबंध में की गई टिप्पणी पूरी तरह से अनुपयुक्त है। इससे बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है।

Electricity Privatisation in UP: यूपी में कर्मचारी कर रहे प्रदर्शन (Employees will come out of the office and protest in UP)

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि बिजली कर्मचारियों की परेशानी है। रियायती बिजली की सुविधा कर्मचारियों से छीनने की कोशिश हुई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी। जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी। प्रदेश के समस्त जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की आमसभा हुईं। सभा में निर्णय लिया गया की। 23 जनवरी को बिजली के निजीकरण के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति हेतु प्री वेडिंग कांफ्रेंस के दिन भोजन अवकाश के दौरान शत प्रतिशत कर्मचारी कार्यालय से बाहर आकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

Electricity Privatisation in UP: यूपी में शक्ति भवन मुख्यालय पर विरोध करेंगे (Will protest at Shakti Bhawan Headquarters in UP)


विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि बिजली निजीकरण के विरोध में उप्र की राजधानी लखनऊ में 23 जनवरी को शक्ति भवन मुख्यालय पर लखनऊ स्थित समस्त कार्यालयों के बिजली कर्मचारी एकत्र होकर शांतिपूर्वक वैधानिक ढंग से प्री वेडिंग कॉन्फ्रेंस का प्रबल विरोध करेंगे। बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियंता अपने-अपने कार्यालय के बाहर आएंगे। संघर्ष समिति के आह्वान पर अगले सप्ताह भर बिजली कर्मी काली पट्टी बांधकर पूरे दिन कार्य करेंगे और विरोध सभाएं करेंगे।

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