Electricity Privatisation in UP: बिजली कर्मचारियों के साथ ही अब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मांग की है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम को निजी हाथों में नहीं सौंपा जाए. सरकार जल्द ही एंपावर्ड कमेटी के मंजूर पीपीपी मॉडल को निरस्त करे। इस निर्णय सिर्फ निजी कंपनियां लाभ उठाएंगी।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
Electricity Privatisation in UP: उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल (Purvanchal Discoms) और दक्षिणांचल डिस्कॉम (Dakshinchal Discoms) के निजीकरण (Privatization) का ऐलान किया है। जिससे प्रदेश में बिजली कर्मचारी (electricity employees) और अधिकारियों (electricity officers ) में आक्रोश है। लगातार विरोध प्रदर्शन के साथ बिजली पंचायत की जा रही हैं। प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम को (Electricity Privatisation in UP) मंहगी बिजली के साथ ही निजी कंपनी को भारी-भरकम सब्सिडी और दूसरे डिस्कॉम से सस्ती बिजली दिए जाने पर सवाल उठ रहे है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (Uttar Pradesh State Electricity Consumer Council) ने एंपावर्ड कमेटी (Empowered Committee) से मंजूर पीपीपी मॉडल (PPP model) को निरस्त करने की सरकार से मांग की है। आइए, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसके पीछे क्या तर्क दिया है. इसके साथ ही यूपी में बिजली कर्मचारियों की आगे की रणनीति क्या है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के निर्णय को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में निजीकण के विरोध में गुरुवार को देश में 27 लाख बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरे। बिजली कर्मचारियों की मांग है कि उत्तर प्रदेश (Electricity Privatisation in UP) में बिजली का निजीकरण जनविरोधी निर्णय है। इसे सरकार वापस ले। कर्मचारी अपनी मांग को लेकर देशभर में एकजुट हैं।
बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उप्र में बिजली के निजीकरण की एकतरफा कार्रवाई प्रारम्भ की गयी तो उसी समय बिना और कोई नोटिस दिये देश भर के बिजली कर्मचारी आन्दोलन शुरू करेंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी उप्र सरकार और उप्र पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की होगी।
Electricity Privatisation in UP: निजीकरण से कॉपरेट घराने को बड़ा फायदा (Corporate houses benefit greatly from privatization)
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि कमेटी ने दोनों डिस्कॉम की पांचों नई कंपनी को सस्ती बिजली देने का निर्णय किया है। जिससे सिर्फ निजी कंपनियां लाभ उठाएंगी। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एंपावर्ड कमेटी ने पांचों नई बिजली कंपनी को पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) आवंटित करने का जो तरीका अपनाया है। उससे संबंधित कंपनी को लेने वाले निजी घराने को बड़ा फायदा होगा। जिसमें तय किया गया है कि पावर कारपोरेशन दो वर्षों तक नई कंपनियों को नियामक आयोग की ओर से तय बल्क सप्लाई टैरिफ (बीएसटी) पर बिजली देगा।
Electricity Privatisation in UP: पॉवर कॉरपोरेशन 77315 करोड़ रुपये से बिजली खरीदेगा (Power Corporation will buy electricity for Rs 77315 crore)
दरअसलन, चालू वित्तीय वर्ष की बात करें तो पॉवर कॉरपोरेशन 77315 करोड़ रुपये से लगभग 141245 मिलियन यूनिट बिजली खरीदेगा। जिसमें से पूर्वांचल की पीपीए आधारित बीएसटी की दर 5.21 रुपये प्रति यूनिट और दक्षिणांचल डिस्कॉम की 5.45 रुपये प्रति यूनिट है। इसमें पूर्वांचल 17652 करोड़ रुपये और दक्षिणांचल 15910 करोड़ रुपये की बिजली खरीदेगा।
Electricity Privatisation in UP: कानपुर की केस्को की दर 6.51 रुपये प्रति यूनिट (Kanpur’s Kesco rate is Rs 6.51 per unit)
इस बारे में यदि दूसरी तरफ देखें तो 24357 करोड़ रुपये की बिजली खरीदने वाले पश्चिमांचल डिस्कॉम की दर 5.65 रुपये और मध्यांचल डिस्कॉम की दर 5.40 रुपये प्रति यूनिट है। जो कि 16435 करोड़ रुपये की बिजली खरीदेगा। 2,959 करोड़ रुपये की बिजली खरीदने वाले कानपुर की केस्को की दर 6.51 रुपये प्रति यूनिट है।
Electricity Privatisation in UP: सरकार देगी नई कंपनियों को 9661 करोड़ रुपये सब्सिडी (Government will give subsidy of Rs 9661 crore to new companies)
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि इससे साफ है कि पूर्वांचल की कंपनियां, पॉवर कॉरपोरेशन से सबसे सस्ती दर पर बिजली खरीदेंगी। इसी तरह मध्यांचल के बाद दक्षिणांचल की नई कंपनियों को भी कम दर पर बिजली उपलब्ध होगी। इतना ही नहीं, सरकार लगभग 9061 करोड़ रुपये सब्सिडी भी नई कंपनियों को देगी।
ये भी पढ़ें… Electricity Privatisation in UP: बिजली कर्मचारियों की हुंकार
Electricity Privatisation in UP: रणनीति तय करेगा आफिसर्स एसाेसिएशन (Officers Association will decide the strategy)
बता दें कि बीते दिनों से उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों में आक्रोश है। प्रदेश की दो डिस्कॉम के प्रस्तावित निजीकरण का विरोध कर रहे पॉवर आफिसर्स एसोसिशन अब अपने आंदोलन को और धार देने की तैयारी में हैं। इसको लेकर एसोसिएशन सभी ऊर्जा निगमों में तैनात वंचित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं के साथ शुक्रवार को वर्चुअल माध्यम से बैठक करेगा। जिसमें अब तक हुए कार्यक्रम की समीक्षा करेगा। इसके साथ ही एसोसिएशन की आगे के आंदोलन को धार देने के लिए कार्यक्रम की रूपरेखा को अंतिम रूप देगा। जिससे बिजली निजीकरण का विरोध और तेज किया जा सके।
Electricity Privatisation in UP: काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये (Tributes paid to the immortal martyrs of Kakori Revolution)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (Vidyut Karamchari Joint Sangharsh Samiti) उप्र के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि गुरुवार को उप्र की राजधानी लखनऊ, मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, अलीगढ़, सहारनपुर, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, कानपुर, झांसी, बांदा, बरेली, अयोध्या, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, अनपरा, ओबरा, पनकी, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर में बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किये हैं। जिसमें राजधानी लखनऊ में हाईडिल फील्ड हास्टल में एक नाट्य प्रस्तुति की गयी। नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि बिजली आम आदमी की जीवन रेखा है और इसे कारपोरेट घरानों को देने से आम जन का भविष्य चौपट जायेगा। राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये हैं।
Electricity Privatisation in UP: ऊर्जा मंत्री ने बिजली चोरी आरोप झूठे (Energy Minister calls electricity theft allegations false)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (Vidyut Karamchari Joint Sangharsh Samiti) उप्र के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आरवाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मोहम्मद इलियास, श्रीचन्द ने सभा को संबोधित किया. सभी ने ऊर्जा मंत्री ने बिजली कर्मचारियों पर बिजली चोरी कराने के लगाये गये झूठे आरोप की कड़े शब्दों में निन्दा की। उन्होंने कहा कि एक ओर ऊर्जा मंत्री यह बताते हुए नहीं थकते कि उनके कार्यकाल में प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में युगान्तकारी कायाकल्प हुआ है। दूसरी ओर वे यह कह रहे हैं कि बिजली व्यवस्था पटरी से उतर गयी है। बिजली कर्मचारी चोरी करा रहे हैं। इसीलिए बिजली का निजीकरण करना जरूरी हो गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद ऊर्जा क्षेत्र में उत्तरोत्तर गुणात्मक सुधार बिजली कर्मचारियों ने ही किया है।
Electricity Privatisation in UP: 14 साल में पावर कारपोरेशन को 2434 करोड़ रूपये की चपत लगी (Power Corporation suffered a loss of Rs 2434 crore in 14 years)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने मुक्त कण्ठ से आगरा में काम कर रही निजी क्षेत्र की टोरेंट कम्पनी की तारीफ की है। हकीकत यह है कि यह प्रयोग पूरी तरह से विफल है। इससे हजारों करोड़ रूपये की चपत आम जनता पर पड़ रही है। ध्यान रहे पॉवर कॉरपोरेशन मंहगी दर पर बिजली खरीद कर टोरेंट कम्पनी को सस्ते दाम में देती है। जिससे पिछले 14 साल में पावर कारपोरेशन को 2434 करोड़ रूपये की चपत लग चुकी है। वर्ष 2023-24 में पावर कारपोरेशन ने 5.55 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट कम्पनी को 4.36 रूपये प्रति यूनिट पर बेचा। जिससे 1 साल में ही 275 करोड़ रूपये का घाटा हुआ।
Electricity Privatisation in UP: गुजरात मॉडल की जगह ऊर्जा मंत्री चंद कॉरपोरेट घरानों पर फोकस (Energy Minister focuses on a few corporate houses instead of Gujarat model)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री के सामने कई बार यह प्रस्ताव रखा है कि यदि गुजरात की तरह उप्र के ऊर्जा मंत्री की ओर से दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय दिया जाये। बिना किसी हस्तक्षेप के बिजली कर्मियों को काम करने दिया जाये। तो प्रदेश की बिजली व्यवस्था देश में अव्वल होगी। अत्यन्त दुर्भाग्य की बात है कि संघर्ष समिति के बार-बार कहने पर सरकारी क्षेत्र के गुजरात मॉडल की जगह ऊर्जा मंत्री चंद कॉरपोरेट घरानों के हाथ अरबों-खरबों रूपये की परिसम्पत्तियां बिना मूल्यांकन किये कौड़ियों के मोल सौंपना चाहते हैं।
Leave a comment