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Electricity Privatisation in UP: काला दिवस बनाया, आरपास की लडाई क ऐलान #kisanvoice

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Electricity Privatisation in UP: उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण को लेकर आक्रो​शित कर्मचारियों ने प्रदेश में अनोख प्रदर्शन किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की उत्तर प्रदेश के काला दिवस पर कर्मचारियों ने काली पटटी बांध कर विरोध जताया। बिजली कर्मचारियों ने आगरा, लखनऊ, गोरखपुर और झांसी की बिजली पंचायत के बाद ये निर्णय लिया था। आइए, कर्मचारियों के काला दिवस के बारे में जानते हैं…

Electricity Privatisation in UP: उत्तर प्रदेश सरकार ने जब से प्रदेश में बिजली के निजीकरण (Electricity Privatisation) का ऐलान किया है। तभी से बिजली कर्मचारी विरोध और प्रदर्शन कर रहे हैं। निजीकरण के तहत सरकार ने अब पूर्वाचंल डिस्कॉम (Purvanchal Discom ) और दक्षिणांचल डिस्कॉम (Dakshinchal Discom) को निजी हाथों में देने की तैयारी कर ली है. जिसको लेकर ही प्रदेश में बिजली कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। प्रदेश में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (Vidyut Karamchari Joint Sangharsh Samiti UP) की ओर से बिजली पंचायत (Bijali Panchayat) आयोजित हो रही हैं। जिसके चलते ही यूपी में अब तक चार बिजली पंचायत हो चुकी हैं। जिसमें कर्मचारियों की भीड पहुंची. कर्मचारियों न बिजलीं पंचायत में एक जनवरी यानी बुधवार को काला दिवस मनाने का ऐलान किया था। जिसके चलते बुधवार सुबह से प्रदेश में कर्मचारियों ने काली पट्टी बांध कर प्रदर्शन किया। इसके साथ ही हर जिले में पंचायत होगी। इसके साथ ही बिजली रथ भी निकलेगा।

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बता दें कि उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण का विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र उतर आई है। जिसके चलते ही यूपी में बिजली कर्मचारियों ने बिजली के निजीकरण के विरोध में राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में काली पट्टी बांध कर काला दिवस मनाया। बिजली कर्मचारियों ने भोजनावकाश में मानव श्रृंखला बनाकर निजीकरण के विरोध में अपनी एकजुटता का परिचय दिया. अब 05 जनवरी को प्रयागराज में बिजली पंचायत आयोजित की जाएगी।

Electricity Privatisation in UP: अधिकारियों का जताया विरोध (Expressed opposition to officials)

नये वर्ष के पहले दिन बिजली कर्मचारियों ने उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबन्ध निदेशक एवं पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबन्ध निदेशक का सामाजिक बहिष्कार किया और कोई भी बिजली कर्मी इन्हें नव वर्ष की बधाई देने नहीं गया।

Electricity Privatisation in UP: अधिकारियों का जताया विरोध (Expressed opposition to officials)
(Photo Credit: Kisan Voice)
Electricity Privatisation in UP: काली पट्टी बांध कर दिन भर किया काम (Worked all day wearing a black band)

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में यूपी में समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियन्ताओं उतर आए हैं। 2025 के पहले दिन बुधवार को काला दिवस मनाने का आवाहन किया गया था। जिसके चलते ही बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांध कर दिन भर काम किया। बिजली कर्मियों ने भोजनावकाश में कार्यालय के बाहर आकर काली पट्टी बांधकर मानव श्रृंखला बनाकर अपनी एकजुटता दिखाई।

Electricity Privatisation in UP: मानव श्रृंखला बनाई (Human chain formed)

प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का काला दिवस मनाने का असर प्रदेश भर में दिखा। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शक्तिभवन मुख्यालय पर सैकड़ों बिजली कर्मियों ने बड़ी मानव श्रृंखला बनायी। इसी प्रकार मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय पर भी बिजली कर्मियों ने मानव श्रृंखला बनाकर अपना विरोध दर्ज किया।

Electricity Privatisation in UP: इनके मार्गदर्शन में हुआ ​विरोध (Protest happened under their guidance)

राजधानी लखनऊ के साथ ही प्रदेश के वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, देवीपाटन, अयोध्या, बरेली, मुरादाबाद, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद, संभल, पारीछा, हरदुआगंज, सीतापुर, झांसी, बांदा में बड़ी संख्या में बिजली कर्मियों ने काली पट्टी बांधकर सरकार की बिजली निजीकरण योजना का विरोध जताया. इसके साथ ही बिजली कर्मचारियों ने मानव श्रृंखला बनाकर अपना विरोध दर्ज किया।

Electricity Privatisation in UP: इनके मार्गदर्शन में हुआ ​विरोध (Protest happened under their guidance)
(Photo Credit: Kisan Voice)
Electricity Privatisation in UP: इन नेताओं ने निभाई अहम भूमका (These leaders played an important role)

उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण को लेकर कर्मचारी एकजुट है. जिसकी वजह से ही जिले में विरोध का असर दिखने लगा है. बुधवार को मनाए गए काला दिवस में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मोहम्मद वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मोहम्म्द इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी ने बताया कि निजीकरण के विरोध में व्यापक जनजागरण अभियान के तहत 05 जनवरी को प्रयागराज में बिजली पंचायत आयोजित की गयी है।

Electricity Privatisation in UP: उप्र में लाइन हानियां 17 प्रतिशत कीं (Line losses reduced to 17 percent)

बिजली कर्मचारियों की बिजली पंचायत में कई बाते सामने आ रही हैं. बिजली पंचायत को लेकर लोगों का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पूरा विश्वास है। बिजली कर्मी उनके नेतृत्व में लगातार सुधार करने में जुटे हैं। सत्र 2016-17 की बात करें तो प्रदेश में 41 प्रतिशत लाइन हानियां थीं। जो सत्र 2023-24 में घटकर 17 प्रतिशत हो गई है। बिजली कर्मी अगले एक दो वर्ष में लाइन हानियों का ग्राफ 15 प्रतिशत से नीचे लेकर आएगी। बिजली कर्मचारी के बीच अच्छा कार्य करने का वातावरण चल रहा था। जिसे पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने अचानक निजीकरण की घोषणा करके बिगाड़ दिया है।

Electricity Privatisation in UP: निजीकरण से एक झटके में बिजली की दरें तीन गुना बढ़ेंगी (Electricity rates will increase three times in one stroke)
(Photo Credit: Kisan Voice)
Electricity Privatisation in UP: निजीकरण से एक झटके में बिजली की दरें तीन गुना बढ़ेंगी (Electricity rates will increase three times in one stroke)

संघर्ष समिति ने इंजीनियर (Engineer Jitendra Singh Gurjar) जितेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि सरकारी विद्युत वितरण निगम (electricity distribution corporations) घाटा उठाकर लागत से कम मूल्य पर घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली दी जाती है। निजी कंपनी मुनाफे के लिए करेंगी। ऐसे में निजीकरण के बाद प्रदेश में बिजली की दरों में काफी वृद्धि होगी। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि मुम्बई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17.71 रुपए प्रति यूनिट हैं। जबकि उप्र में सरकारी क्षेत्र में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम दरें रु 06.50 प्रति यूनिट है। जिससे स्पष्ट है कि निजीकरण होते ही एक झटके में बिजली की दरें तीन गुना बढ़ जाएंगी।

Electricity Privatisation in UP: निगम की भूमि निजी घरानों को सौंपने की साजिश’ (Conspiracy to hand over all the land of the corporation to private houses’)
(Photo Credit: Kisan Voice)
Electricity Privatisation in UP: निगम की भूमि निजी घरानों को सौंपने की साजिश’ (Conspiracy to hand over all the land of the corporation to private houses’)

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि प्रदेश में निजीकरण को लेकर पॉवर कॉरपोरेशन ने नियम ताक पर रखकर कार्य किया है। निजीकरण को लेकर जो मसौदा तैयार किया है। उसमें पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम की समस्त भूमि मात्र 01 रुपए प्रति वर्ष की लीज पर निजी कंपनी को दिए जाने का प्रस्ताव बनाया है। जिससे लाखों करोड़ रुपये की निगमों की परिसंपत्तियों को बिना मूल्यांकन किए कौड़ियों के दाम निजी घरानों को सौंपने की साजिश है। जो गलत है। ये कर्मचारियों के साथ-साथ बिजली उपभोक्ताओं से भी धोखा है। प्रयागराज में पांच जनवरी 2025 को आयोजित बिजली पंचायत में आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।

Electricity Privatisation in UP: पांच को प्रयागराज में बिजली पंचायत (Electricity Panchayat in prayagraj )

गोरखपुर की बिजली पंचायत के बाद 29 दिसंबर को झांसी में बिजली पंचायत हुई। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि झांसी की बिजली पंचायत में निजीकरण के नाम पर बड़े घोटाले होने जा रहा है। इलेक्ट्सिटी एक्ट-2003 को दरकिनार करके सरकार की ओर से निजीकरण किया जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि इस निजीकरण से प्रदेश के 75 में से 42 जिले की बिजली निजी हाथों में चली जाएगी। इससे न सिर्फ किसान बल्कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के सामने महंगी बिजली लेना मजबूरी होगी। हमने प्रयागराज में बिजली पंचायत के बाद सभी जिलों में बिजली पंचायत होगी और बिजली रथ निकलेगा। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट-2003 के तहत यदि कोई परिसंपत्ति दी जाती है तो उसकी कीमत का मूल्यांकन जरूरी है।

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