Electricity Panchayat In Agra: बीते 14 साल में इस मद में पावर कारपोरेशन को 2434 करोड रुपए का घाटा हो चुका है। सत्र 2023-24 में पॉवर कारपोरेशन ने 05.55 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट को रु 04.36 प्रति यूनिट में बेची। इस एक वर्ष में ही 275 करोड़ रु का घाटा हुआ।
आगरा, उत्तर प्रदेश।
Electricity Panchayat In Agra: उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड मुख्यालय पर मंगलवार देर शाम विशाल बिजली पंचायत (Electricity Panchayat In Agra) हुई। आगरा की बिजली पंचायत में यूपी की (UP NEWS) पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव और आगरा में टोरेंट पॉवर के फ्रेंचाइजी करार रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया गया। बिजली पंचायत में वक्ताओं ने कहा कि बिजली का निजीकरण आम उपभोक्ताओं और किसानों को लालटेन युग में वापस ले जाना है। इसमें इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का उल्लंघन करके निजीकरण करके भारी घोटाला किया जाएगा।
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को लेकर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के आगरा मंडल और जिले के पदाधिकारी भी बिजली पंचायत (Electricity Panchayat In Agra) में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हम कर्मचारियों के साथ हैं। सरकार की बिजली निजीकरण की योजना के विरोध में हम सब जन आंदोलन करेंगे। यदि सरकार ने बिजली का निजीकरण कर दिया तो किसानों को महंगी बिजली मिलेगी। किसानों का उत्पीडन होगा। जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बता दें कि आगरा में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम महाप्रबंधक कार्यालय पर मंगलवार देर शाम विशाल बिजली पंचायत (Electricity Panchayat In Agra) हुई। जिसमें दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के सभी 21 जिलों के कर्मचारी के साथ ही पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारी भी शामिल हुए। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और तहसील अध्यक्ष समेत अन्य किसान भी शामिल हुए। किसान नेता और बिजली विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने एक सुर में एक दूसरे के साथ खडे होने की बात कही। कहा कि हम सब मिलकर बिजली के निजीकरण के विरोध में लड़ाई जारी रखेंगे।
Electricity Panchayat In Agra: दो निगम के बाद प्रदेश के 33 जिलों भी होगा निजीकरण (After both the corporations, 33 districts of the state will also be privatized)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बिजली पंचायत में कहा कि केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पहले आगरा और अन्य शहर में बिजली की व्यवस्था निजी हाथों में दी थी। जिससे सरकारों को ही घाटा हो रहा है। मगर, ये बडा स्कैम है। जिसके चलते ही अब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय लिया है। जो बेहद गलत है। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का घोर उल्लंघन करके ही पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन इन निगमों को बेचने की जल्दी में है। इसके लिए एक बड़ी डील हुई है। यदि प्रदेश के 42 जनपदों में एकतरफा निजीकरण थोपा गया तो प्रदेश के शेष 33 जनपदों में भी आनन फानन में बिजली का निजीकरण किया जाएगा। जिससे उत्तर प्रदेश के किसान और आम उपभोक्ता लालटेन युग में धकेल दिए जाएंगे। हम इसके विरोध में हैं। इसके साथ ही बिजली पंचायत में आगरा में चल रहे टोरेंट पावर कंपनी के फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया। जिससे अब सीएम योगी को प्रेषित किया जाएगा।
Electricity Panchayat In Agra: इन वक्ताओं ने किया संबोधन (These speakers addressed)
आगरा की बिजली पंचायत में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के प्रमुख पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे, प्रभात सिंह, जितेंद्र सिंह गुर्जर, पीके दीक्षित, सुहैल आबिद, ठाकुर राजपाल सिंह, मोती सिंह, विशाल भारद्वाज, विष्णु शर्मा, राकेश पाल, हिमालय अकेला, अनूप उपाध्याय, राहुल वर्मा, गौरव कुमार के साथ उपभोक्ताओं और किसानों के प्रतिनिधियों चौधरी रणवीर सिंह चाहर,राजवीर लवानियां, शशिकांत,भारत सिंह, दिगम्बर चौधरी, राजाराम यादव, प्रवीण चौधरी, छीतर मल, नगेन्द्र चौधरी आदि ने संबोधित किया और निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग की।
Electricity Panchayat In Agra: आगरा के घरेलू उपभोक्ता और किसान भुगत रहे (Domestic consumers and farmers of Agra are suffering)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि सन 2009 में फ्रेंचाइजी बिडिंग के दौरान एटी एंड सी हानियों के पूरी तरह गलत आंकड़े देकर आगरा शहर की विद्युत आपूर्ति टोरेंट पावर कंपनी को दे दी गई। जिसका दुष्परिणाम आज तक पॉवर कारपोरेशन और आगरा के घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को भुगतना पड़ रहा है। आगरा के निजीकरण से कोई सबक लेने के स्थान पर एक बार पुनः वही हथकंडे अपनाकर पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण ए टी एंड सी हानियों के आंकड़े बढ़ा चढ़कर बताकर किया जा रहा है।
UP NEWS: पॉवर कार्पोरेशन को घाटा, टोरेंट पावर कंपनी का मुनाफा (Power Corporation incurs loss, Torrent Power Company profits)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि आगरा में फ्रेंचाइजी करार के तहत पॉवर कारपोरेशन टोरेंट पावर कंपनी को प्रति वर्ष एक निश्चित दर पर बिजली बेचता है। जिससे प्रति वर्ष पॉवर कारपोरेशन को भारी घाटा हो रहा है। बीते 14 साल में इस मद में पावर कारपोरेशन को 2434 करोड रुपए का घाटा हो चुका है। सत्र 2023-24 में पॉवर कारपोरेशन ने 05.55 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट को रु 04.36 प्रति यूनिट में बेची। इस एक वर्ष में ही 275 करोड़ रु का घाटा हुआ। सवाल ये है कि इस घाटे के निजीकरण मॉडल से प्रदेश के आम उपभोक्ताओं और किसानों को क्या मिला जिसका डंका पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन पीट रहा है। इस निजीकरण के मॉडल में पॉवर कारपोरेशन के हिस्से में घाटा और टोरेंट पावर कंपनी के हिस्से में मुनाफा कमाना है।
Electricity Panchayat In Agra: टोरेंट पावर को मुनाफा कमाया (Torrent Power made profit)
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि आगरा में एशिया का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग है। आगरा विश्व पर्यटन केन्द्र होने के कारण यहां दर्जनों पांच सितारा होटल है। आगरा में पॉवर कारपोरेशन टोरेंट पावर कंपनी को मात्र 04.36 रुपए प्रति यूनिट पर बिजली दे रही है। औद्योगिक एवं वाणिज्यिक शहर होने के नाते आगरा का औसत बिजली विक्रय मूल्य 8 रु प्रति यूनिट है। इससे स्पष्ट होता है कि आगरा में निजीकरण के पीछे कितनी बड़ी डील हुई होगी। आगरा में सत्र 2023-24 में महंगी बिजली खरीद कर सस्ते दर पर टोरेंट को देने में जहां पॉवर कारपोरेशन को 275 करोड रुपए का नुकसान हुआ। वहीं टोरेंट पावर को इस एक साल में 800 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। इसलिए, संघर्ष समिति की मांग है कि टोरेंट पावर का करार रद्द किया जाए। आगरा की फ्रेंचाइजी घोटाले की उच्च स्तरीय सीबीआई जांच कराई जाय। जिससे उप्र में बिजली निजीकरण के नाम पर घोटाला करने की किसी की हिम्मत न हो।
Electricity Panchayat In Agra: निजी घरानों को सौंपने के पीछे मंशा क्या है? (What is the intention behind handing it over to private houses?)
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों कहा कि पॉवर कारपोरेशन को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से सत्र 2023-24 में रु 04.47 प्रति यूनिट का राजस्व मिला है। जो टोरेंट से मिले रु 04.36 प्रति यूनिट से अधिक है। जबकि, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 21 जनपदों में अधिकांश बहुत पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र और चम्बल के बीहड़ है। यह आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम टोरेंट की तुलना में अधिक राजस्व दे रहा है। इसके बावजूद निजीकरण का क्या औचित्य है। यदि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में भारत सरकार की आर डीएसएस स्कीम में 44000 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। जिसके अच्छे परिणाम अब आ रहे हैं। और आने वाले हैं। इसी समय इसे निजी घरानों को सौंपने के पीछे मंशा क्या है?
Electricity Panchayat In Agra: बिजली राजस्व का बकाया 66000 करोड़ रुपए से अधिक (Electricity revenue dues are more than 66000 crore rupees)
संघर्ष समिति के पदाधिकारी ने बताया कि सन 2010 में जब आगरा शहर टोरेंट को सौंपा गया था। तब विद्युत विभाग के पुराने एरियर लगभग 2200 करोड रुपए के थे। जिसे टोरेंट पावर कंपनी ने आज तक पॉवर कारपोरेशन को नहीं दिया है। इस समय पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में बिजली राजस्व का बकाया 66000 करोड़ रुपए से अधिक है। निजी घरानों की इसी 66000 हजार करोड़ रुपए पर नजर है।
Electricity Panchayat In Agra: टोरेंट पावर कंपनी का आगरा फ्रेंचाइजी करार रद्द किया जाय (Torrent Power Company’s Agra franchise agreement should be canceled)
इसके अतिरिक्त दोनों निगमों की 21-21 जनपदों की पूरी जमीन मात्र एक रुपए प्रति वर्ष की लीज पर दी जा रही है। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 131 का घोर उल्लंघन करते हुए दोनों निगमों के 30000 करोड़ रु से अधिक के राजस्व पोटेंशियल और अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों का सी ए जी से आडिट कराए बिना इनकी रिजर्व प्राइस मात्र 1500 करोड़ रुपए के आधार पर जनता की इन बेहद कीमती परिसंपत्तियों को निजी घरानों को सौंपने की साजिश है। निजीकरण के बाद बिजली कर्मियों को निजी कम्पनी का बंधुआ मजदूर बनाने, बड़े पैमाने पर छंटनी और संविदा कर्मियों की नौकरी जाने वाले का मसौदा सार्वजनिक होने के बाद बिजली कर्मियों का गुस्सा और बढ़ गया है। बिजली कर्मी किसी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे। बिजली पंचायत ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया कि बिजली कर्मचारियों, घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले निजीकरण के निर्णय को वापस लिया जाय और टोरेंट पावर कंपनी का आगरा फ्रेंचाइजी करार रद्द किया जाय।
Electricity Panchayat In Agra: बिजली निजीकरण पर भाकियू का कड़ा विरोध, जन आंदोलन की तैयारी (Strong opposition of BKU on electricity privatization, preparation for mass movement)
केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से बिजली विभाग को निजी कंपनियों के हाथों सौंपने की योजना पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने कड़ा विरोध जताया है। यूनियन के मंडल अध्यक्ष रणवीर चाहर व जिलाध्यक्ष राजवीर लवानियां ने इस मुद्दे को किसानों और आम जनता के हितों पर सीधा हमला बताया। कहा कि ये जनविरोधी कदम है। सरकारें बिजली क्षेत्र का निजीकरण करके केवल बड़े कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं। जबकि, इसका खामियाजा आम जनता और किसानों को उठाना पड़ेगा।
Electricity Panchayat In Agra: सरकार की नीतियों का पुरजोर विरोध करेंगे (Will strongly oppose the policies of the government)
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के मंडल अध्यक्ष रणवीर सिंह चाहर ने कहा कि यदि सरकारें इस निर्णय को वापस नहीं लेती हैं, तो भाकियू इसे जन आंदोलन का रूप देगा। हम किसानों, मजदूरों और आम जनता को एकजुट करेंगे और सड़कों पर उतरकर सरकार की नीतियों का पुरजोर विरोध करेंगे। बिजली का निजीकरण केवल बिजली के दाम बढ़ाने और आम आदमी की मुश्किलें बढ़ाने का माध्यम है। निजीकरण के बाद बिजली दरों में बढ़ोतरी तय है। जिससे गांवों और किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। रणवीर सिंह चाहर ने कहा कि पहले ही किसान महंगे डीजल, उर्वरक और खेती की अन्य लागतों से जूझ रहे हैं, और अब अगर बिजली महंगी हुई, तो उनकी परेशानियां और बढ़ जाएंगी।
Electricity Panchayat In Agra: कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने का आरोप (Accusation of benefiting the corporates)
भाकियू के जिलाध्यक्ष राजवीर लवानियां ने आरोप लगाया कि केंद्र और प्रदेश सरकारें केवल बड़े उद्योगपतियों के हितों की रक्षा कर रही हैं। बिजली के निजीकरण से सरकारी नियंत्रण समाप्त हो जाएगा। और निजी कंपनियां मनमाने तरीके से बिजली की दरें तय करेंगी। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्र प्रभावित होगा, बल्कि शहरों में भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।भाकियू ने अन्य किसान संगठनों, मजदूर संघों और सामाजिक संगठनों से भी अपील की है कि वे इस मुद्दे पर एकजुट हों। लवानियां ने कहा कि ये लड़ाई केवल किसानों की नहीं है। बल्कि पूरे देश की जनता की है। हम सभी को साथ मिलकर सरकार की इस नीति का विरोध करना होगा।
Electricity Panchayat In Agra: सरकार से निर्णय वापस लेने की मांग (Demand to withdraw the decision from the government)
भाकियू ने केंद्र और प्रदेश सरकार से मांग की है कि वे बिजली निजीकरण की योजना को तुरंत रद्द करें और बिजली विभाग को सरकारी नियंत्रण में ही रखें। यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। भाकियू का यह विरोध अब धीरे-धीरे जोर पकड़ता जा रहा है, और आने वाले दिनों में यह सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
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