DAP Fertilizer Real Or Fake : रबी सीजन में तिलहन, दलहन और अन्न वाली फसलों में सबसे अधिक खाद की डिमांड होती है। खाद की किल्लत और कालाबाजारी की चर्चाएं भी इसी सीजन में सबसे अधिक होती हैं। डीएपी काफी महंगी खाद होती है, इसलिए इसमें मिलावट की संभावना अधिक रहती है। यूपी की बात करें तो आगरा के साथ ही बुलंदशहर और अन्य जिलों में भी डीएपी की कालाबाजारी की कई खेप पकडी गईं हैं। इस डीएपी की नकली होने की संभावना अधिक है। KisanVoice की Exclusive रिपोर्ट में आइए कृषि विभाग और खाद विशेषज्ञ से जानते हैं कि असली और नकली डीएपी की पहचान कैंसे करें?
आगरा, उत्तर प्रदेश
DAP Fertilizer Real Or Fake : उत्तर प्रदेश के आगरा में गाजियाबाद से राजस्थान जा रही डीएपी (fertilizer) पकड़ी गई है। किसान की सूचना पर प्रशासन-पुलिस और कृषि विभाग की टीम ने किरावली मंडी में छापा मारा था। ट्रोला में जो डीएपी पकड़ी गई है, जिसके नकली होने के कई सबूत (DAP Fertilizer Real Or Fake ) कृषि विभाग (Agriculture Department) के अधिकारियों को मिले हैं। हालांकि अभी जो सैंपल जांच के लिए लैब भेजे हैं। उसकी जांच रिपोर्ट अभी आना बाकी है। कृषि विभाग के अधिकारी (Agriculture Department officials) भी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं है। अधिकारी गंभीरता दिखाते हुए स्वयं मामले की तह तक जाने के लिए पड़ताल करने में जुटे हैं। kisanvoice.in की Exclusive Report में आइए कृषि विभाग और खाद विशेषज्ञ से जानते हैं कि असली और नकली डीएपी की पहचान घर पर ही कैंसे करें ? पांच आसान टिप्स जानते हैं
दरअसल, किसानों (farmers) को रबी सीजन (Rabi Season) में सबसे अधिक मात्रा खाद की आवश्यकता होती है। कालाबाजारी करने और नकली खाद बेचने वालों को रबी सीजन का इंतजार रहता है। जिला प्रशासन, कृषि विभाग कितनी भी बेहतर व्यवस्था कर लें, लेकिन खाद (डीएपी) की किल्लत होने की समस्या लगभग हर साल होती है। इसी एक वजह किसानों द्वारा खाद के रूप में सबसे अधिक मांग डीएपी की जाती है। जबकि विकल्प के रूप में किसानों के लिए कम लागत में वही पैदावार देने को एनपीके, एसएसपी खाद भी उपलब्ध है।
DAP Fertilizer Real Or Fake : ट्रोला में 490 बोरा डीएपी बरामद हुईं 490 bags of DAP recovered from the trolley
जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार सिंह बताते हैं कि किसान ने कालाबाजारी के लिए लाये गए डीएपी की जानकारी दी थी। जिला कृषि अधिकारी ने गंभीरता दिखाकर तत्काल इसकी सूचना अपने उच्चाधिकायिों और एसडीएम किरावली को दी थी। जिस पर ही पुलिस और प्रशासन के साथ कृषि विभाग की टीम ने किरावली मंडी के पास डीएपी से लदे ट्रक को पकड़ लिया है। मौके से चालक और परिचालक को भी पकड़ लिया था। दो लोग जो डीएपी उतरवा रहे थे। वो मौके से फरार हो गए थे। वह अपने साथ 10 बोरा डीएपी ले गए, लेकिन ट्रोला में 490 बोरा डीएपी बरामद कर लिया गया।
यूपी और राजस्थान के सात लोगों के खिलाफ मुकदमा (Case against seven people of UP and Rajasthan)
किरावली मंडी के पास ट्रोला से बरामद डीएपी के मामले में शनिवार को उर्वरक निरीक्षक गुफरान अहमद की तहरीर और जिलाधिकारी के अनुमोदन पर किरावली थाना पुलिस ने यूपी और राजस्थान के सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। सूत्रों की मानें तो भले पकड़ी गई डीएपी के नमूना जांच के लिए लैब भेजे गए हैं, लेकिन उनकी पड़ताल में उक्त डीएपी नकल साबित होती नजर आ रही है। नकली डीएपी होने के कई सबूत मिल गए हैं। अधिकारियों को लैब की जांच रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।
नैनो डीएपी के फायदे (Benefits of Nano DAP)
अभी तक दानेदार डीएपी (DAP) आती थी लेकिन अब बाजार में नैनो डीएपी लिक्विड आ गया है। इसे इफको ने तैयार किया है। इसके 500 एमएल की एक बोतल एक बोरी सामान्य (IFFCO) डीएपी के बराबर काम करने का दावा किया गया है। इफको नैनो डीएपी फसलों के पोषण को बढ़ाने में मदद करता है। जो फसल के उत्पादन में उन्नति लाता है। यह किसानों की आय को बढ़ाता है। क्योंकि इससे इनपुट लागत में कटौती होती है। फसल के उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर होती है और उत्पाद की मांग बढ़ती है। इस तरह के दावे किए जा रहे हैं कि ये डीएपी लिक्विड के तौर पर होती है।
असली डीएपी की सामान्य पहचान (General identification of genuine DAP)
असली डीएपी (DAP) कठोर दानेदार, भूरा, काला या बादामी रंग का होता है। यदि हम उसे नाखूनों से तोड़ने का प्रयास करें तो ये खाद आसानी से नहीं टूटता है। यूरिया (urea) की तरह डीएपी भी मुट्ठी में भरकर फूंक मारने पर हल्का गीला हो जाए तो असली है। इसके दानों में चूना मिलाकर हाथ से रगड़ने पर तीक्ष्ण गंध आए तो भी ये असली है। यदि हम तवे पर धीमी आंच में डीएपी को गरम करें तो इसके दाने फूलकर बड़े हो जाते हैं।
डीएपी या अन्य फॉस्फेट खाद की पहचान जरूरी (Identification of DAP or other phosphate fertilizer is important)
उर्वरक निरीक्षक गुफरान अहमद बताते हैं कि डीएपी खरीदने से पहले किसान उसके बारे में जानकरी कर लें। जल्दबाजी या किसी के बहकावे में आकर यूं ही डीएपी न खरीदें। अफवाहों से बचें। पोश मशीनों से डीएपी दी जा रही है, जिसका रिकॉर्ड कृषि विभाग के पास रहता है। डीएपी की पहचान करने के लिए कई तरीके हैं। डीएपी या अन्य फॉस्फेट खाद की पहचान करना बहुत जरूरी है।
खाद खरीदने में किसान दिखाएं समझदारी (Farmers should show wisdom in buying fertilizers)
इफको के सीनियर मैनेजर डॉ. प्रहलाद सिंह ने बताया कि किसान इफको की डीएपी अधिकृत सेंटर से ही खरीदें। जिले में सेंटरों पर पोश मशीन से ही डीएपी मिल रही है। बाजार में कम रेट के चक्कर में किसान ना आएं। कोई भी खाद खरीदें तो पूरी जानकारी जरूर कर लें। महंगी खाद है, इसलिए किसान समझदारी दिखाएं। जिससे डीएपी खरीदी है उससे पक्का बिल जरूर लें। डीएपी की पहचान करने के लिए कई प्रक्रियाएं हैं, जिन्हें करके देखें।
डीएपी की पहचान कैसे करें (How to identify DAP)
- कांच के गिलास में पहले पानी भरें, उसमें डीएपी कुछ दानें डालें। गिलास को हिलाते रहिए। असली डीएपी धीरे-धीरे घुलती है। यदि वह घुल गई तो ठीक है। वहीं नकली डीएपी में मिट्टी या राख की गोलियां, पत्थर भी शामिल होते हैं। इसलिए जिस नकली डीएपी में मिट्टी या राख की गोलियां वह जल्दी घुलेगी। पत्थर घुलने से रह जाएंगे। हाथ से चेक करने पर चिपचिपा सा पदार्थ दिखेगा।
- किसान अपने हाथ की मुट्ठी में डीएपी को भरें। उसके बाद मुट्ठी में फूंक मारें। यदि वह पसीजने लगे तो समझ लीजिए असली है।
- असली डीएपी में रसायन की गंध आती है, जबकि नकली डीएपी में ऐसा कुछ ज्यादा नहीं होता है। नकली डीएपी ज्यादातर गंधहीन होती है।
- किसान चूल्हे पर तबा रखें। तबा गर्म हो जाए तो उसके बाद उस पर डीएपी के दाने डाल दें। यदि वह पिघलने के बाद पूआ जैसी हो जाए तो समझ लीजिए डीएपी असली है।
- असली डीएपी की बोरी की पैकिंग बड़ी साफ-सुथरी होती है। उसकी सिलाई के धागे उजड़े हुए नहीं होते हैं। डीएपी मसलने पर चूरा नहीं होती है।
यूपी में सख्त कार्रवाई नहीं होने से कालाबाजारी अधिक (Black marketing is more in UP due to lack of strict action)
यूपी में खाद की कालाबाजारी के खूब मामले सामने आते हैं। शिकायत पर पुलिस, प्रशासन और कृषि विभाग छापेमार कार्रवाई करके कालाबाजारी की भंडाफोड करते हैं। तमाम किसान तो असली-नकली खाद की पहचान नहीं जाते हैं। महाराष्ट्र की बात करें तो वहां पर सरकार ने नकली खाद और बीज के खिलाफ सख्त कानून बनाए हैं। इसकी वजह से वहां पर दोषियों पर सख्त कार्रवाई होती है। जिसकी वजह से वहां पर खाद की कालाबाजारी कम हो रही है। जबकि, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में खाद की कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान नहीं है। इसी वजह से रबी सीजन में खाद की खूब कालाबाजारी होती है
Q: डीएपी और यूरिया में क्या अंतर है? (What is the difference between DAP and urea?)
A: हम यूरिया खाद की बात करें तो इसमें 46% नाइट्रोजन (एन) होता है। जबकि, डीएपी में 46% फॉस्फोरस (पी) और 18% एन और एमओपी में 60% पोटेशियम (के) होता है। जो अच्छी और महंगी खाद है। जिसे सरकार की ओर से वितरित किया जाता है।
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