Potato Farming: आलू की फसल में खरपतवार उगना आम समस्या है। जो हर किसान की परेशानी है। आलू की फसल में खरपतवार के नियंत्रण के लिए Kisan Voice ने आगरा के बिचपुरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी के अध्यक्ष और वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान से खास बातचीत की। जिसमें खरपतवार पर नियंत्रण करने की अलग-अलग विधि बताई हैं. आइए, जिन्हें अच्छी तरह से समझते हैं।
आगरा, उत्तर प्रदेश
Potato Farming: आलू की बुवाई के 15-20 दिन बाद आलू की फसल (Potato Farming) खरपतवार (Weeds) उगने लगतें हैं। जो संकरी पत्ती और चौडी पत्ती वाले खरपतवार होते हैं। ऐसे में इस दौरान ही खरपतवार का नियंत्रण (Necessary To Control Weeds) होना जरूरी है। ऐसे में आलू कंद जब आकार में बढ़ने शुरू होगा तो उसे जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलेंगे। क्योंकि, आलू की फसल (Potato Farming) में उगे खरपतवार ही पोषक तत्वों से तेजी से बढेंगे। जिसकी वजह से आलू की फसल (Potato Farming) को पोषक तत्व कम मात्रा में मिलेंगे. जिसकी वजह से आलू की फसल में 30 से 60 प्रतिशत तक उत्पादन में गिरावट आ सकती है। इसलिए, हमें उचित समय पर ही खरपतवारों पर नियंत्रण कर लेना चाहिए। ये कहना कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी (Krishi Vigyan Kendra Bichpuri, Agra) के अध्यक्ष और वरिष्ठ वैज्ञानिक (Senior Agricultural Scientist Dr. Rajendra Singh Chauhan) डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान का है। आइए, KVK के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान के खरपतवार नियंत्रण के टिप्स और ट्रिक्स जानते हैं।
आलू की फसल (Potato Farming) में बेहतर पैदावार के लिए अच्छा बीज, खाद, सिंचाई के साथ ही खरपतवार पर नियंत्रया करना बेहद जरूरी है। ये एक ऐसी फसल है जिसे लगातार नमी की आवश्यकता होती है। इसी नमी में खरपतवार खूब उगते हैं। आलू की बुवाई करने के बाद आलू अंकुरण होने के साथ ही खरपतवार भी उगते हैं। मिट्टी को ढकने वाली घास, चौड़ी पत्ती और सकंरी पत्ती समेत अन्य खरपतवारों का नियंत्रण करना बेहद जरूी है.
Potato Farming: खेत में नमी कम होने पर ये खरपतवारनाशी का छिड़काव करें (Spray this herbicide when moisture is low in the field)
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक (Senior Agricultural Scientist Dr. Rajendra Singh Chauhan) डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि यदि खेत में नमी कम है। इसके साथ ही यदि 5-10 प्रतिशत आलू उग चुका है। इसके साथ ही खेत में खरपतवार उग आए हैं तो इस समय पर खरपतवारनाशी पैराक्वाट डाइक्लोराइड (Paraquat Dichloride) 24% एसएल का प्रयोग करें। यह खरपतवारनाशी तेजी से खरपतवारों नष्ट करने वाला, गैर-चयनात्मक, संपर्क खरपतवारनाशी है। ये खरपतवारनाशी आलू के खेत में लगभग सभी तरह की घास और वार्षिक चौड़ी पत्ती के खरपतवारों को नियंत्रण करता है। इस की 1-1.5 आईटीएस मात्रा का 300-400 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें।
Potato Farming: दोपहर बाद प्रयोग करने से मिलेगा अच्छा परिणाम (Use after noon will give good results)
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक (Senior Agricultural Scientist Dr. Rajendra Singh Chauhan) डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि आलू की फसल में खरपतवारनाशी (weedicide) के छिड़काव के समय ये ध्यान रखें कि इसमें खरपतवार अच्छी तरह से भीग जाए। एक और जरूरी बात ये है कि इस खरपतवारनाशी का दोपहर बाद प्रयोग करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। ये भी ध्यान रखें कि आलू की फसल में उगे खरपतवारों पर ये दवा का छिड़काव करें। आलू की फसल पर इसका छिड़काव नहीं करें।
Potato Farming: घोल बनाने से पहले बनाएं आन पेस्ट (Make on-paste before making the solution)
वरिष्ठ कृषि (Senior Agricultural Scientist Dr. Rajendra Singh Chauhan) वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि यदि आलू फसल 15-20 दिन की हो चुकी है। इसके साथ ही आलू उग गया है। ऐसे में खेत में पर्याप्त नमी है। ऐसे में खरपतवारनाशी रसायन मेट्रीब्यूजिन (weedicide chemical Metribusine) 70% डब्ल्यूपी का प्रयोग करें। ये खरपतवारनाशी रसायन चौड़ी और संकरी पत्ती के खरपतवार पर बेहद प्रभावी है। लेकिन यह कुछ खरपतवार जगंली मटर-अंकरी का प्रभावी नियंत्रण नहीं कर पाता है। इसकी एक हेक्टेयर में 250 से 300 ग्राम मात्रा का 300- 400 लीटर पानी में घोल बनाना होता है। लेकिन घोल बनाने से पहले इस खरपतवारनाशी का आन पेस्ट बनाएं। उसे 15-20 मिनट तक रखा रहने के बाद पानी में घोलें। इसके बाद छिड़काव करें।
Potato Farming: कट नोजिल से दवा का छिड़काव करें (Spray the medicine with a cut nozzle)
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक (Senior Agricultural Scientist Dr. Rajendra Singh Chauhan) डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि आलू की फसल में खरपतवार के नियंत्रण की खरपतवारनाशी छिड़काव करने के दौरान कई सावधानी बरतनी चाहिए। जिसमें सबसे पहले ये ध्यान रखना चाहिए। जिसमें खरपतवारनाशी के छिड़काव के दौरान खरपतवार को ही दवा भिगोए। आलू के पौधों पर ये दवा ना गिरे। इसके लिए सावधानी पूर्वक ही दवा का छिड़काव करें। इसके लिए खरपतवारनाशी के छिड़काव के दौरान मशीन में पॅन/कट नोजिल का उपयोग करें। जिससे दवा खरपतवार पर ही गिरेगी।
खरपतवारनाशी दवा पेंडीमेथालिन 30 ईसी का प्रयोग करें (Use weedicide Pendimethalin 30 EC)
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि आलू की बुवाई के बाद आलू का अंकुरण नहीं होने पर खरपतवार के नियंत्रण के लिए पेंडीमेथालिन (Pendimethalin) 30 ईसी का प्रयोग करना चाहिए। ये चयनात्मक प्री-इमर्जेंट रसायन है। इसका प्रयोग आलू की फसल में बुवाई के बाद और अंकुरण से पूर्व ही करना चाहिए। इस दवा से मिट्टी की ऊपरी सतह पर एक परत बनती है। जो मिट्टी को ढकने वाले घास समेत चौड़ी पत्ती के अनेकों खरपतवारों का नियंत्रण करती है। खेत में इसका प्रभाव भी 45- 60 दिनों तक रहता है। इस खरपतवारनाशी की 3.3 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 300-400 लीटर पानी में घोल बनाकर पॅन/कट नोजिल से छिड़काव करें।
जानें कब करें पहली सिंचाई? (Know when to do the first irrigation?)
वरिष्ट कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह बताते हैं कि आलू की फसल बुवाई करते समय यदि खेत में नमी कम थी तो बुवाई के बाद जल्द सिंचाई करें। खेत में सही नमी होने पर 15 से 20 दिन बाद पहली सिंचाई करें। खासकर जब आलू 2 से 5% जमाव हो जाए। तब पहली सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई करते समय ध्यान रखें कि अगर कूड में सिंचाई कर रहे हैं तो एक तिहाई को सूखा रहना चाहिए। दो तिहाई कूड में ही पानी चलाएं। ऐसा करने से कूड बैठेगा नहीं, आलू की फसल से अच्छा उत्पादन मिलेगा।
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