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Fertilizer News: किसानों का इसने छीन लिया सुकून, लम्बी कतार, Farmers are upset due to non-availability of DAP #CMYOGI #Kisan #News

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Fertilizer News: यूपी के अधिकतर जिलों में डीएपी के लिए सहकारी समितियों पर किसानों लंबी-लंबी लाइनें लग रही है। कई घंटे कतार में लगने के बाद भी किसानों को खाद नहीं मिल रही है। आगरा की बात करें तो नवंबर माह में डीएपी 2750, एनपीके 5572 मैट्रिक टन आई है।

आगरा/लखनऊ, उत्तर प्रदेश

Fertilizer News: खेतीबाड़ी में रबी सीजन (Rabi Season) चल रहा है, जो कृषि (Agriculture) में सबसे बड़ा सीजन माना जाता है। इसमें अन्न (Grains), तिलहन (oilseeds), दलहन (pulses) की मुख्य फसलें उगाई जाती हैं। किसान (farmers) अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए इस सीजन में पूरी ताकत लगा देता है। आलू, सरसों और गेहूं की फसलों के लिए सबसे अधिक डिमांड डीएपी (Fertilizer News) की होती है, जो किसानों को तनाव दे रही है। सरकारी आंकड़ों में भले ही डीएपी और एनपीके (Fertilizer News) की भरपूर उपलब्धता है, लेकिन किसानों के सामने तो किल्लत ही किल्लत है। गांव-गांव इसकी आवाज गूंज रही है। सहकारी समितियों पर हर दिन कई घंटे कतार में लगने के बाद भी किसानों को खाद (Fertilizer News) नहीं मिल रही है।

कृषि विभाग और जिला प्रशासन किसानों से पर्याप्त मात्रा में डीएपी, एनपीके होने का दावा कर रहा है, जबकि साधन सहकारी समितियों पर लंबी-लंबी लाइनें लगी हैं। तड़के से ही किसान समितियों पर लगने वाली लाइनों में डीएपी (Fertilizer News) के लिए लग रहे हैं। इन लाइनों में महिलाओं को भी देखा जा रहा है। किसानों का कहना है कि घंटों तक लाइन में लगना पड़ता है। कभी-कभी तो लाइन में लगने के बाद भी डीएपी नहीं मिलती है। जब नंबर आता है तो समिति पर डीएपी खत्म हो जाती है। किसानों का कहना है कि समिति से बहुत कम मामत्रा में डीएपी मिलती है, जबकि फसलों की बुवाई के लिए डीएपी की डिमांड ज्यादा है।

Fertilizer News: आगरा में आई 2750 मीट्रिक टन डीएपी (2750 metric tons of DAP arrived in Agra)

शासन-प्रशासन के आंकड़ों में डीएपी और एनपीके की कोई कमी नहीं है। बात करें केवल आगरा जनपद की तो यहां सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू महीना (नवंबर) में अभी डीएपी 2750 मीट्रिक टन और एनपीके 5572 मैट्रिक टन उपलब्ध है। इसके बाद भी खाद के लिए हल्ला मच रहा है। किल्लत की गूंज गांव-गांव सुनाई दे रही है। साधन सहकारी समितियों पर तड़के से ही किसान लाइनों में लग रहें। खाद के लिए घंटों तक लाइन में लगना पड़ रहा है। अब तो हालात ये हो गए हैं कि महिलाएं भी लाइनों में लग रही हैं।

Fertilizer News: आगरा में आई 2750 मीट्रिक टन डीएपी (2750 metric tons of DAP arrived in Agra)
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Fertilizer News: बाजार में डीएपी की कालाबाजारी जमकर (Black marketing of DAP in the market)

दूसरी ओर बाजार में डीएपी की कालाबाजारी जमकर हो रही है। अब तो कृषि विभाग के अधिकारियों पर कालाबाजारी करवाने जैसे आरोप किसानों ने लगाना शुरू कर दिये हैं। इससे मिलते-जुलते हालात आसपास के मंडलों के कई जिलों के बने हुए हैं। प्रदेश के जिन-जिन जिलों में डीएपी की सबसे अधिक डिमांड रहती हैं वहां इसकी किल्लत जबर्दश्त है। बाजार में निर्धारित रेट से अधिक रुपये देकर किसानों को डीएपी खरीदनी पड़ रही है। ऐसे माहौल में माफिया खूब चांदी काट रहे हैं। नकली डीएपी खपाई जा रही है।

Fertilizer News: डीएपी के लिए किसान परेशानी (Farmers in trouble for DAP)

आगरा में तो नकली डीएपी पकड़ी भी जा चुकी है। आगरा प्रदेश का पहला जिला बन गया है जहां डीएपी को लेकर सबसे अधिक कार्रवाई हुई हैं। सबसे अधिक मुकदमा दर्ज कराए गए हैं। एसटीएफ भी कार्रवाई कर चुकी है। किसान नेता सुभाष चाहर का कहना है किसानों को डीएपी के लिए बहुत परेशानी हो रही है। साधन सहकारी समितियों पर किसान अपने बच्चों तक को लाइन में लगाने के लिए मजबूर हो गए हैं। कुछ किसानों ने तो डीएपी न मिलने के कारण यूरिया के साथ ही गेहूं की बुवाई करना शुरू कर दिया है।

Fertilizer News: तहसील दिवस में शिकायत नहीं मिली (No complaint received in Tehsil Diwas)
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Fertilizer News: तहसील दिवस में शिकायत नहीं मिली (No complaint received in Tehsil Diwas)

आगरा के जिलाधिकारी (IAS Arvind Mallappa Bangari) अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने कहा कि वर्तमान में जनपद में पर्याप्त मात्रा में 2750 मैट्रिक टन डीएपी और एनपीके (NPK) 5572 मैट्रिक टन उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में फसल के अनुरूप डीएपी की मांग है, लेकिन तहसील दिवस में डीएपी से संबंधित कोई भी शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने यह भी बताया कि जहां-जहां सहकारी समिति हैं, उसमें पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है।

Fertilizer News: डीएपी को टोकन नंबर सिस्टम लागू (Token number system implemented for DAP)

डीएम आगरा Arvind Mallappa Bangari का कहना है कि साधन सहकारी समितियों (cooperative societies) पर लेखपाल एवं अन्य अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जिससे किसानों को आसानी से उनकी भूमि के अनुसार पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराई जा सकें। साथ ही साथ सभी सहकारी समितियों में टोकन नंबर सिस्टम लागू करके उर्वरक का वितरण कराया जा रहा है।

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