यूपी में बाजरा के उत्पादन में आगरा टॉप रहा है। बीते साल आगरा में 27 लाख कुंतल बाजरा का उत्पादन किया गया था, जिससे प्रदेश में आगरा का पहले स्थान पर रहा था। जिस पर इस साल कृषि विभाग ने जिले में बाजरा उत्पादन का लक्ष्य 33 लाख कुंतल रखा था।
आगरा, उत्तर प्रदेश
Millet Crops: देश में इस साल मानसून मेहरबान है। जिसकी वजह से सितंबर माह में यूपी में रिकॉर्ड बारिश हुई है। जिससे नदियां उफनीं (rivers overflowed) । लगातार हुई बारिश से खेतों में खड़ी किसानों की बाजरा (Millet) और सब्जियों की फसल जलमग्न हो गईं। आगरा में अतिवृष्टि किसानों के लिए संकट खड़ा कर गई है। जिले में सात हजार हेक्टेयर फसलों में बाजरा, गोभी, मिर्च, धान (Millet, cabbage, chilli, paddy crops) की फसलें नष्ट हो गई हैं। बारिश से जिले में 18671 किसान सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। ये आंकलन राजस्व, कृषि विभाग (Agriculture Department) की रिपोर्ट का है। जिसमें बारिश से 33 फीसदी से अधिक नुकसान का आंकलन किया गया है। जिला प्रशासन ने किसानों की फसलों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक मदद को 63274600 रुपये राशि के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी है। जबकि, जिले के 13 हजार बीमित किसानों में से महज 174 किसानों की शिकायत पर नुकसान का आंकलन हो रहा है, जबकि कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि बारिश से खरीफ की फसलों की उपज घटेगी। बारिश से 25 से 30 फीसदी उत्पादन में गिरावट आने की आशंका है।
बता दे कि केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से मोटे अनाज उगाने और खाने पर जोर दिया जा रहा है। यूपी में आगरा की बात करें तो मोटा अनाज यानी बाजरा के उत्पादन में आगरा का प्रदेश में झंडा बुलंद है। बीते साल आगरा में 27 लाख कुंतल बाजरे का उत्पादन किया गया था, जिससे प्रदेश में आगरा का पहले स्थान पर रहा था। जिस पर इस साल कृषि विभाग ने जिले में बाजरा उत्पादन का लक्ष्य 33 लाख कुंतल रखा था।
बारिश में खेतों में छोड़े तबाही के निशान
दरअसल, आगरा में 11 से 13 सितंबर के मध्य अतिवृष्टि हुई। रुक -रुक कर और तेज बारिश के साथ तेज हवा भी चली। जिसकी वजह से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। किसानों की खेतों में खडी बाजरा, मक्का, गोभी, मिर्च और सब्जियों की खेती जलमग्न हो गई। लगातार हुई मूसलाधार बारिश ने खेतों में तबाही के निशान छोड़ दिए हैं। जिले की सभी छह तहसीलों में किसानों की फसलों में नुकसान हुआ है। नदी और नाले के किनारे के खेतों में आज भी फसलें पानी में हैं। बारिश के साथ जो हवा चली। उससे बाजरा की फसल खेतों में ही लेट गई है। कहीं तो बाजरे की बाल ही पानी में डूबी हुई हैं।
33 फीसदी से अधिक नुकसान का आंकलन
राजस्व और कृषि विभाग के मुताबिक बाह तहसील के सात गांव के 755 किसानों को 265.50 हेक्टेयर में बाजरा की फसल नष्ट हुई है। बारिश से यहां पर बाजरे की फसल में करीब 33 फीसदी से अधिक नुकसान मिला है। बाह तहसील के किसानों को आर्थिक मदद के लिए 2257600 रुपये की रिपोर्ट शासन को भेजी है। इसके साथ ही खेरागढ़ तहसील के 156 गांव का सर्वे हुआ तो 77 गांव के अनुमानित 17916 किसानों की 6816 हेक्टेयर फसल में 33 फीसदी से अधिक नुकसान का आंकलन हुआ था। बारिश से किसानों की बाजरा, गोभी, मिर्च, बैगन और धान की फसलें नष्ट हुई हैं। खेरागढ़ तहसील के किसानों की आर्थिक मदद के लिए 61017000 रुपये की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी है।
बाजरा की फसल में ये मुआवजा राशि
कृषि उपनिदेशक पुरुषोत्तम कुमार मिश्रा ने बताया कि नियमानुसार 33 फीसदी से अधिक नुकसान पर सहायता राशि के तौर पर बाजरा की फसल पर 17 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से धनराशि दी जाती है। बारिश या अन्य आपदा में फसलों में नुकसान होने पर सहायता राशि अलग अलग है। जिलों में फसलों के नुकसान का आंकलन करके शासन को रिपोर्ट भेजी गई है।
13 हजार में से महज 174 शिकायतों पर आंकलन
आगरा जिले की बात करें तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने वाले 13 हजार किसान है, लेकिन बारिश में हुए नुकसान के लिए इन बीमित किसानों में से 174 किसानों ने फसल में नुकसान होने की अपनी शिकायत दर्ज कराई है। इन किसानों ही अपनी फसल में नुकसान का दावा किया है। इस पर तत्काल प्रभाव से कृषि विभाग ने जिला समन्वयक को आंकलन पर लगाया है। कृषि उपनिदेशक पुरुषोत्तम मिश्रा ने बताया कि दो से तीन दिन में जिले में फसल खराब होने का सर्वे पूरा हो जाएगा। इन किसानों को बाजरा पर 57 हजार, धान पर 80 हजार और अरहर पर 90 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा राशि प्रदान की जाएगी।
उत्पादन में होगी गिरावट
कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी के अध्यक्ष व कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरएस चौहान बताते हैं कि बारिश का प्रभाव सभी फसलों पर हुआ है। सबसे अधिक नुकसान खेतों में खड़ी बाजरे की फसलें में हुआ है। किसानों की खेतों में बाजरे की पकी फसल खड़ी थी। बारिश के दौरान थोडी भी हवा चलने से अधिकांश फसलें खेतों में लेट गई। इससे उपज प्रभावित होगी।
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