Home टिप्स और ट्रिक्स किसान भाइयो, इस तरह से आलू का बीज बोया तो होगा तगड़ा नुकसान, जानें आलू के बीज साइज और बुवाई से जुड़े टिप्स Sowing of potatoes without seed cutting, perfect size of potato seeds
टिप्स और ट्रिक्स

किसान भाइयो, इस तरह से आलू का बीज बोया तो होगा तगड़ा नुकसान, जानें आलू के बीज साइज और बुवाई से जुड़े टिप्स Sowing of potatoes without seed cutting, perfect size of potato seeds

Sowing of potatoes without seed cutting, perfect size of potato seeds
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kisan Voice Team से विशेष बातचीत में उद्यान विभाग के अधिकारियों और आलू की खेती के विशेषज्ञों ने कई अहम जानकारी बताई हैं। जिनका ध्यान आलू की बुवाई करने वाले हर किसान भाई को रखना चाहिए। किसान भाई समझदारी दिखाकर और विशेषज्ञों के टिप्स के आधार पर आलू की बुवाई करें

आगरा (उत्तर प्रदेश)

यूपी, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार समेत अन्य राज्यों के किसान अपने खेतों में आलू की बुवाई (preparing for sowing of potatoes) की तैयारी में लगे हैं। वैसे बारिश की वजह से आलू की बुवाई (Sowing of potatoes) कुछ लेट होने की संभावना है। आलू की बुवाई से पहले किसान भाईयों को आलू के बीज के बारे में सभी जांच करनी चाहिए। आलू के बीज की प्रकृति और उससे जुड़ी अन्य जानकारियां भी जरूर लें। बीज के बारे में जानकारी और सावधानी से बड़े नुकसान से बचा जा सकता है। जैसे बीज के आलू साइज कितना बड़ा होना चाहिए ? कई बार किसान आलू की कलम/ काटकर (potato seed cutting) बुवाई करते हैं। Kisan Voice Team ने उद्यान विभाग (Horticulture Department) के अधिकारियों के साथ ही आलू की खेती करने वाले विशेषज्ञों से आलू की बुवाई और आलू के बीज साइज समेत अन्य बातों को लेकर बातचीत की। जिसमें उद्यान विभाग के अधिकारियों और आलू की खेती के विशेषज्ञों ने कई अहम जानकारी बताई हैं। जिनका ध्यान आलू की बुवाई करने वाले हर किसान भाई को रखना चाहिए। इन बातों का ध्यान नहीं रखा और मौसम बिगड़ा तो आलू की खेती किसान भाईयों को रुला सकती है इसलिए किसान भाई समझदारी दिखाएं, विशेषज्ञों के बताई जानकारी का उपयोग करें।

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दरअसल, उत्तर प्रदेश के आगरा मंडल, अलीगढ़ मंडल और कानपुर मंडल के जिलों में आलू की फसल उगाने का क्रेज है। इन मंडल में बड़े रकबा (area of ​​​​potato cultivation) में आलू की बुवाई की जाती है। यहां के​ किसान मंदी हो या महंगाई की मार फिर भी आलू का रकबा कम नहीं करते हैं। कई क्षेत्रों में तो किसान अपने सभी खेतों में आलू की फसल की बुवाई ही करते हैं। चाहे उन्हें परिवार के ​गेहूं या आटा खरीदना पडे. भले ही इस साल आलू की पैदावार कम हुई। लेकिन, किसानों को इस साल आलू का भाव अच्छा खासा मिला है। आलू का भाव 3000 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गया है। वर्तमान में 2000-2600 रुपये प्रति कुंतल बिक रहा है।

आलू बीज का परफैक्ट साइज 56 एमएम तक

किसान अब आलू की बुवाई के लिए खेत तैयार कर रहे हैं. आलू की फसल के जानकारों की मानें तो उद्यान विभाग से मिलने वाले हाइब्रिड आलू के बीज को किसान काटकर/कलम करके (potato seed cutting) बुवाई करते हैं। आमतौर पर गुल्ला साइज यानी मीडियम साइज ही बीज माना जाता है। आलू के बीज का परफेक्ट साइज 56 एमएम तक होता है। उसके ऊपर आलू ओवर साइज होता है। देखा जाता है कि, अधिकतर किसान ओवर साइज आलू के बीज की बुवाई करते हैं. इसके लिए ओवर साइज आलू की कलम/काटकर (potato seed cutting) खेतों में बुवाई करते हैं। ओवर साइज (over size potato seed) वाले बीज की बुवाई का प्रतिशत कम है।

खेती नमी के साथ बुवाई की गहराई पर दें ध्यान

उद्यान विभाग के उप निदेशक धर्मपाल यादव बताते हैं कि आगरा में जब बीते साल आलू की मोहन प्रजाति पहली बार आई थी. जो किसान भाईयों को दी। अ​धिकतर किसान भाईयों ने मोहन प्रजाति के आलू की बुवाई कलम करके/ काटकर की गई। जमीन में नमी अधिक थी. जिसकी वजह से मोहन आलू (Mohan potato seed) में सड़ांध शुरू हो गई। जिससे आलू के बीज में अंकुरण की दिक्कत आई। जिससे किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ा है। क्योंकि, आलू की मोहन प्रजाति में लगभग 80 प्रतिशत तक पानी होता है। ऐसे में खेतों में नमी अधिक होने पर मोहन प्रजाति के आलू के बीज को खेतों में नमी मिलने से बीज के सडने और कम अंकुरण का अधिक खतरा है। यदि किसान भाईयों ने इस बीज को कलम करके बुवाई की तो नुकसान की संभावना अधिक है। इसी तरह आलू की कई प्रजातियों के बीज काट कर बुवाई न करें। इसलिए, उद्यान विभाग के अधिकारी (Horticulture department officer) या आलू विशेषज्ञ (potato expert) से सही जानकारी लेकर ही ​किसान भाई आलू की बुवाई करें।

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सीपीआरआई (CPRI) से मिलती हैं प्रजातियां

उद्यान विभाग (horticulture department) को मिलने वाली प्रजातियां सीपीआरआई CPRI से आती हैं, जो हाइब्रिड (Hybrid seed) होती हैं। आगरा में पिछले कई सालों में कई आलू की नई प्रजातियां आ चुकी हैं। यहां की जलवायु में अंतर होने से उनकी बुवाई में किसानों को सावधानी बरतनी चाहिए। बुवाई से पहले बीज की प्रजाति के बारे में किसानों को पूरी तरह जानकारी कर लेनी चाहिए। जिससे नुकसान की संभावना कम रहेगी।

जमीन में छह इंच नीचे रहती है नमी

मानसून (weather) की स्थिति सही होने पर इस साल बारिश ठीक हुई है। जिससे खेतों में नमी बढ़ जाती है। आलू विशेषज्ञों की मानें तो इस साल बारिश से खेतों में नमी काफी है। किसान आलू बुवाई समय पर करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। इस साल बुवाई के बाद जमीन में नमी रहने की संभावना है। ऊपरी मिट्टी (छह इंच) सूख जाती है, लेकिन नीचे जमीन में नमी बनी रहती है। इससे कई संवेदनशील प्रजातियों के बीज साइज आलू को कलम (potato cutting) करके बोया गया है तो उसमें सड़ांध फैलने की संभावना रहती है। विभाग के अधिकारियों (Horticulture department officer) या किसी आलू के विशेषज्ञ (potato expert) से जानकारी जरूर कर लें।

उद्यान विभाग को मिलती हैं ये प्रजाति

यूपी सरकार हर साल किसानों को आलू का बीज देती है। प्रदेश में आलू का बीज जिलेवार आवंटित किया जाता है। बात करें आगरा की तो उसे पिछले साल लगभग 4800 कुंतल आलू का बीज मिला था। इनमें मुख्य रूप से खुफरी बहार kufri bahar (3797) , ख्याति chip Sona, चिपसोना-1, चिप्सोना-2, सूर्या Surya, केसर Kesar, मोहन Mohan, आनंद Anand, पुखराज pukhraj आदि प्रजातियां शामिल हैं।

आलू बीज के तीन साइज

उद्यान विभाग के अधिकारी की मुताबिक, शासन की ओर से किसानों को आलू का बीज तीन रूप में दिया जाता है। जिसमें पहला एफ-1, दूसरा एफ-2 और तीसरा ओवर साइज होता है. आलू की बुवाई में अधिकतर मात्रा एफ-1 और एफ-2 साइज का ही बीज होता है। प्रदेश में किसान भाई भी सबसे अधिक एफ-1 और एफ-2 साइज के बीज की मांग करते हैं। बात आलू बीज की प्रजाति की करें तो उनमें सबसे अधिक मांग आलू बीज की प्रजाति 3797 की रहती है।

सरकार दे रही किसानों को सब्सिडी potato subsidy

सरकार की ओर से हर साल प्रदेश के आलू किसानों (potato farmer) को कम दामों पर आलू का अच्छा और आलू की नई प्रजाति का बीज मुहैया कराया जाता है। इसके साथ ही सरकार की ओर किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है। सरकार की ओर से सब्सिडी भी अच्छी खासी दी जाती है। तभी तो प्रदेश में सरकार के ओर से दिए जाने वाले आलू के बीज के लिए मारामारी होती है। उद्यान विभाग (Horticulture Department) के अधिकारियों के मुताबिक, प्रदेश में किसानों को आलू के बीज पर पिछले साल एक हजार रुपये प्रति कुंतल की सब्सिडी दी गई थी। ये सब्सिडी सभी प्रजातियों (potato varieties)पर किसानों को मिली थी।

आलू बीज की कलम (potato cutting) करके बुवाई से बचें

उद्यान विभाग के उप निदेशक धर्मपाल यादव बताते हैं कि किसान भाईयों को आलू की बुवाई (sowing potatoes) करने से पहले कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए. सबसे पहले खेत में जिस आलू की बुवाई करनी है। उसकी मिटटी की जांच जरूर कराएं। जिससे जमीन में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी हो जाएगी। इसके साथ ही ओवर साइज के आलू बीज की ही काटकर बुवाई कर सकते हैं मगर, इसके लिए आलू के बीज को अच्छी तरह से उपचारित जरूर करें। किसान भाईयों से अपील है कि आलू बीज को कलम (potato cutting) करके बुवाई नहीं करें।

आलू की बुवाई से पहले इन बातों का ध्यान रखें

आलू की खेती की बात करें तो देश में दो अगेती और पिछेती आलू की खेती की जाती है। देश में आलू की फसल के लिए अगेती बुवाई 15 सितंबर से 25 सितंबर तक होती है। इसके साथ ही आलू की फसल के लिए पछेती बुवाई 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच की जाती है। मगर, देश में तमाम किसान भाई 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच भी आलू की पछेती बुवाई करते हैं।

आलू की बुवाई से पहले इन बातों का रखें ध्यान

  • आलू की खेती के लिए खेत की अच्छे से जुताई करके भुरभुरा बना लें।
  • खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं।
  • मिट्टी परीक्षण के आधार पर खेती में खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
  • आलू के लिए रोग प्रतिरोधी और अच्छी पैदावार देने वाली किस्म के बीज चुनें।
  • आलू के बीजों को बुवाई से पहले दो से तीन दिन तक धूप में जरूर रखें।
  • आलू के बीज की बुवाई के समय कतारों में 60-75 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
  • आलू की बुवाई में कतारों में बीजों के बीच 20-25 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
  • आलू की बुवाई के बाद जमीन में आलू बीज को 5-7 सेंटीमीटर गहराई में बोएं।
  • आलू की बुवाई के बाद खेत की जरूरी और नियमित रूप से सिंचाई करें।
  • आलू की कटाई तब करें जब आलू की पत्तियां पीली हो जाएं और गिरने लगें।

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